गर्व से गर्दन हम उठाते हैं तब,
जब सरहदों पे लोग जान गवांते है,
अपने वतन की मान रखने को ,
वो अपना सर्वश्व लूटाते हैं,
नही हैं मोल कुछ इनका उनकी नजर में जो घर पे बैठकर सिर्फ अपनी जुबान चलाते है,
सीने पे लगनेवाली गोली मोहलत नही देती उन्हें कुछ सोचने की,
मौत सर पे खड़ी होती हैं हर घड़ी और वो सीमाओं में खड़े भी सीमाओं में बंधे .......
Saturday, 6 May 2017
हमारा गर्व......हमारा गौरव ....हमारे रक्षक देशभक्त सिपाही
क्या हैं समाज ज्ञान ?????😢
हम सबको बचपन में moral science पढ़ायी जाती है,
बड़ी बड़ी बातें सिखायी जाती हैं,
पर बड़े होने पे हमे उन morals पे चलने की स्वतंत्रता नही मिलती हैं,
वो बाते सिर्फ पढने तक ही रहती है जीवन में उतारी नही जाती,
सभी नियम उलटे से बेउत्तर ,बेमायने से लगते हैं,
जब गिरते हुए को संभालने की जगह उसे कुचलकर निकल जाने को हम समाज की रीत कहते हैं,
यही होता हैं सब ऐसा ही करते हैं ,
गलत बात को भी ठीक कहते हैं???
किसी की मदद करने को जुर्म समझा जाता हैं,
मरते हुए को बचाने की नही मरता छोड़ जाने की सलाह दी जाती हैं,
फिर क्यों society science हमे बचपन में पढ़ाई नही जाती,
क्यों बेवकूफ समझा जाता हैं उन्हें जो दूसरों के काम आते हैं,
भले ही नही मिलता कुछ पर आत्मसंतुष्टि तो पाते हैं..............
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