Tuesday 31 October 2023

रिश्ते या सपने

 भरम मत पालिये की इस दुनिया मे लोग आपके अपने है,

 बस चंद मीठे, चंद कड़वे अनुभव आपके अपने है,

बाकी तो सब सोती नींद मे देखे हुए सपने है ............

नींद टूटी तो सपना ख़तम....

Always stay alone

 खुद ही गिरना है ,

खुद ही सम्भलना है,

रास्ते पथरीले हो या रेतीले,  

जीवन मे बस अकेले ही चलना है,

होते होंगी दुनिया के साथ अपनों की भीड़

यहाँ अपनों से ठगे बैठे है खुद ही उबरना है,

हाथों की लकीरें कुछ ऐसी है हाथ मे,

करो सबका पर कोई ना होगा साथ मे,

हाथों को थामने को दूसरा हाथ सिर्फ अपना है,

खुद ही गिरना है ,

खुद ही सम्भलना है,

जीवन मे बस अकेले ही चलना है ........................

Monday 30 October 2023

 नकारात्मकता किसी के जेहन मे यूँही नही जाती हर इंसान चाहता है खुश रहना पर जब आपको जीवन ने सिर्फ किये के बदले राख ही परोसी हो तो आप किस सोच से सकारात्मकता का दामन थामे,या तो आप खुद को हद तर्जे का बेफकूफ मान ले ,या अपने जीवन मे खुद को हीं अपने लिए सिर्फ एक अभिशाप

 आपके होने या ना होने से जब किसी को कोई फर्क नही पड़ता तो आप शायद घर मे पड़े उस खिलोने से है जिन्हे वक़्त होने या मन होने पे खेल के छोड़ दिया जाता है, या उस जानवर की तरह जिन्हे पुचकार बुलाया जाता है जब खुद का टाइम पास करना हो उसके बाद भगा दिया जाता है , क्या ये जीवन आप उन लोगो के हिस्से मे देना चाहेंगे जिनके लिए आप सिर्फ एकनाम है आपकी भावनाये, संवेदनाये सिर्फ उनको समझने के लिए हो पर आप खुद इस उम्मीद से परे रहे कि आपके मन को भूल कर भी कोई समझेगा ,नही समझेगा तो क्यू ही समझाना क्यों बेवजह लोगो के जीवन मे खुद की उपस्थिति दरसाना जब आप हीं उनके लिए महत्वहीन है तो आप की भावनाये तो मायने क्या हीं रखेंगी, कभी कभी हम लोगो को खुद से ज्यादा मान बैठते है भूल जाते है खुद को भी ,पर दुसरो का तो वजूद है उनका अपना जीवन उनके मुताबिक है हमारे नही शायद हम ये भी भूल जाते है कि हम तो कोई नही कुछ भी नही पता नही किस बेनाम रिश्ते को नाम दिये जा रहे है ,पता नही क्या निभा रहे है, हम तो अजनबी है उस शख्श के लिए फिर किसको अपना बता रहे है,मन की मनोदशा कभी कभी विचारो के प्रहार से उद्दीगन हो जाती है मन टूट चुका होता है उन बातों से जिनके कसूररवार आप ठहरा दिये जाते हो ,शायद जीना नही आता मुझे या ये मान पाना कि कौन अपना और कौन पराया ,हम तो सिर्फ मानने से ही उस रिश्ते को निभाते जिसका कोई वजूद ही नही ना दुनिया मे ना उस व्यक्ति के लिए जिसको आप मानते हो .अपनी भावनाये शायद मेरी पहुँच से बाहर है लोग आपको हजार गलतियां बता के आपको बदलने की कोशिश करते है पर सिर्फ तब तक जब तक आप उनके मुताबिक ना हो उसके बाद वो ही बदल जाते ,कभी कभी अकेलापन शायद एक रोग बन जाता है तो हम अपने मन की लोगो से कह देते है बिना सोचे समझे की वो बातें उनके लिए महत्वहीन है शून्य है उनका अस्तित्व फिर क्यू किसी के लिए खुद को कटपुतली बनाना ,जब आपका वजूद ही ना हो .............

बोझ

आप जब लोगो पे बोझ बनने लगते है ,

आपकी मजूदगी से वो अखरने लगते है,

शायद रिश्ते जरूरत से ज्यादा कुछ भी नही,

जरूरते ख़तम होने पे रिश्ते भी समिटने लगते है,