Friday 27 September 2019

विश्वास - एक सजा

ज़िन्दगी तू मुझे एक सीख और दे गयी,
भरोसा तो वैसे भी लोगो पे कम था मेरा और रहा सहा भी सब ले गयी,
लोगो पे ऐतबार करने की एक बेहतरीन सजा दे गयी,
सिर्फ आपके मानने भर से दुनिया अपनी नही हो जाती गैर को गैरो की तरह ही रखने का नजरिया दे गयी,

Thursday 26 September 2019

भूल मेरी शूल सी लगती है,
गलती गुनाह सी लगती है,
भूलना चाहती हूँ गुजरे मंज़र को,
पर यादें वही उलझी है,
जहां से राह मोड़ चुके है लोग,
आज तक मेरी निगाह उसी रास्ते को निहारती है,
कैसा मंज़र था तूफ़ान का जो छीन ले गया हमसे ,
पर क्या कहे लोग भी तो सिर्फ संजोग से मिलते बिछड़ते है........


Sunday 22 September 2019

खोना

इस दुनिया मे जो आपके पास से जो गया,
असीम अनंत दुनिया का हो गया,
वो जो कल था वो वापिस नही आना,
वो अतीत के दामन मे खो गया,
जो आदत में उतर गया था कभी,
आज नजरो से भी ओझल हो गया,
वक़्त है ये वक़्त जो वापिस लौट के नही आता,
मेरे जीवन का वो लम्हा मुझसे जुदा हो गया.......

Saturday 21 September 2019

एक विचार

मैं अकेले खुश थी या उदास थी,
मैं खुद के लिए खास थी या बकवास थी,
मैं मेरे विचारों में थी या मेरे उसूल मुझमे थे,
मेरे सवाल खुद से थे या मैं खुद के लिए एक सवाल थी,
मैं खुद के लिए सिर्फ एक मशवरा थी या सभी सवालों का खुद ही जवाब थी,
मैं शून्य थी या शून्य में जीवन की तलाश थी,
मैं जिंदगी की किताब का एक पन्ना थी या मैं खुद एक किताब थी,
मैं एक चित्र थी या चित्रवलियो की एक श्रृंखला थी,
मेरी स्वास मुझमे थी या स्वास में मैं थी,
मैं एक पल थी या चलते समय के साथ हर पल के साथ थी,
मैं स्वयं प्राणवायु थी या प्राणवायु मेरे साथ थी,
मैं एक आत्मा थी या आत्मा में मै थी,
मैं एक अनसुलझा सवाल थी या सुलझे हुए हर सवाल का जवाब थी,
मैं स्वयं एक आग थी या जीवन को प्रदीप्त करने को मुझमे कही आग थी,
मैं पंचतत्वों से रचित एक जीव या मुझमे सिर्फ पंचतत्वों की ही शक्ति मात्र थी,
मैं अवचेतन पारलौकिक जगत का हिस्सा या मैं स्वयं चेतना मात्र थी,
मैं जो भी थी जैसे भी थी  बस उस परम पिता परमात्मा की एक कृति मात्र थी.............
..
विचार

Sunday 15 September 2019

जिंदगी अनजानी

जिंदगी तुझे जीना ही ज्यादा मुश्किल है ,
तू रोज नए नए पैतरे बदलती है,
एक मुश्किल जाती भी नही तू नयी भेज देती है,
तराशे या कुरेदे तुझे तू तमाशा बना ही देती है,
कभी कभी रहने का मन नही होता तुझमे,
पर फिर भी साँसों की डोर भी तेरा ही साथ देती है,
यूँ कहने को तो मेरे सीने में धड़कता है दिल पर धड़कन पर हक़ तू ही जमा लेती है,
जीवन पूरा हो जाता है पर समझ नही आती जिंदगी,
तू अपनी होते हुए भी होती है बेगानी,
तू जानकर भी रहती है रह जाती है अनजानी..........

Wednesday 11 September 2019

सहारा

जो लोग अँगुली पकड़ के चलने की कोशिश में ताउम्र रहते है,
लोग उनका हाथ छोड़ ही देते है,
बचपन में भी जब कदमो पे चलना आ जाए तो हाथ पकड़ के चलना नही सिखाया जाता,
बुढ़ापे में लाठी थमा के हाथ छुड़ा लेते है लोग,
सहारा ढूढ़ने वाले सहारा ही ढूंढते रहते है,
आसरे की नदी में डूब ही जाते है,
और हाथ छुड़ा के किनारे पे आ जाते है लोग.........

Tuesday 10 September 2019

मृत्युलोक

सच में ये जीवन मृत्युलोक ही है जरुरी नही साँसों की डोर टूटे तभी मौत हो कभी कभी जिंदगी रहते भी इंसान मर जाता है और वो स्थिति मौत से भी बड़ी होती है,क्योंकि मरने के बाद इंसान मुक्त तो हो जाता है सब रिश्तो, भावनाओ और एहसासों से ,पर जिंदगी रहते आयी मौत तो बोझ और चिंता में तिल तिल तड़पाती रहती है.........................

Monday 9 September 2019

तजुर्बा

एक बचपना बाकी था मुझमे मैंने उसको ना मरने दिया,
हर तरह के लोग मिले जीवन में किसी ने अपनापन दिया किसी ने दगा दिया,
अच्छे मिले तो लगा दुनिया अच्छी, बुरे मिले तो लगा दुनिया इत्तनी भी अच्छी नही,
किसी ने सीख दी जीने के सबक की तो किसी ने हमे गिरा दिया,
ऊपर ऊपर से  अच्छी सोच रखने वालों ने भीतर के जहर से अक्सर डरा दिया,
कोईं मिला असली चेहरे के साथ किसी ने परत दर परत नकाब के चेहरों को दिखा दिया,
हाँ ऊपर से कठोर सोच वालो ने सच का दर्शन कर दिया ,
ये तजुर्बे जो पल पल में पल भर में जीवन को बदल देते है हमने इनका हर पल एक नया ही तजुर्बा किया .........

Saturday 7 September 2019

बहुत परखा पर समझ न पाये झूठ और सच्चा भी,
बड़ी बड़ी बातें सुनाई खुद को समझाने को पर दिल रहा बच्चा भी.........

Friday 6 September 2019

चलो आज एक भरम टूट गया ,
उम्मीदों का आखिरी महल टूटा,
कतरा कतरा होंके बिलखे जो हाथ छूट गया,
छोड़ के जानेवाला खुश है अपनी दुनिया मे,
फिर क्यों मेरा ही दिल दुखा क्यों भावनाओ का ज्वार फूट गया,
कितने अच्छे से झूठ बोला वो हम सच समझके उसे खुद को गलत समझते रहे,
अपनी भी ना सुनी हमने उसके आगे ,
हमारी सोच को हम खुद ही कोसते रहे पर नही वो मेरी सोच थी सही आज हुआ वही जिसके डर से हम खुदu से भी लड़ जाते थे,
लोग आपको बदल के खुद ठहर जाते है,
छोड़ के हाथ अजनबी तो निकल जाते है,
हम गुजरे वक़्त के साथ को याद करके आँसू बहाते है,
पर ये यादें भी तो झूठी ही है फिर क्यों हम बेहाल हुए जाते है,

हादसे

हादसों की हदे अभी जीवन से मिटी नही,
दुर्घटनाएं भरोसे के टूटने की अब तक घटी नही,
यूँ बेपनाह एहसास हुआ ठग जाने का क़ि बहती आँखें अब तक थमी नही,
भरोसा जीत के ही तो भरोसा तोड़ते है लोग ये भर्म टूटे तो कई बार पर आदतें यकीन की आज तक उठी नही..............

Thursday 5 September 2019

टूटे तो यूँ टूटे की टुकड़ा टुकड़ा जो बिखरा वो समेटने के लायक ही नही रहा ,विश्वास, प्यार, एहसास सब मर से गये दिल मे ही उन्हें दफना सा दिया है, अब नही बचा यकीन किसी पे भी न वो हिम्मत है मुझमे फिर से धोखा खाने की किसी को खुद से बढ़ कर चाह पाने की, जो होता है अच्छे के लिए होता है ऐसा कहा जाता है शायद ये सजा जो मिली मुझे उसमे भी कुछ राज होंगे, लोग सच्चे नही थे जिनपे मैंने  ऐतबार किया ,वो मेरे अपने नही थे जिनसे मैंने प्यार किया जो समझ ही न पाए मेरे आँसुओ की कीमत भी मैंने उनपे ही अपनी जान को निसार किया ,याद रहोगे तुम ताउम्र एक तजुर्बा बनके , अब तो यकीन सा होने लग गया तुम ना आओगे लौट के खेल सा था जो तुमने खेला शुक्रिया उसका पत्थर थे हम पहले से क्यों हमको कुरेदा इतना आवाज मेरी कोई तुम तलक ना जायेगी, जिंदगी है अभी बाकी मौत भी ना आएगी यूँ इस कदर सांस लेना मेरा दुस्वार हुआ सिर्फ आंसू ही बचे है जो आँखों में डब डाबाते है बात बेबात मेरी आँखों से झलक आते है , मैं जिन्दा रह मरु तुम्हे क्या परवाह तुम तो खुदगर्ज हो झूठे हो वफ़ा की उम्मीद क्या रखना एकबार पलट के भी क्यों देखोगे मेरी हालत को जाओ दूर गये हो तुम तो जाओ अपनी यादें भी अपने साथ ले जाओ जो आंसू है मेरे सारे उन्हें भी ले जाओ बद्दुआ तो नही दूंगी पर इतना कहूंगी मगर जो तुमने मेरे साथ किया वो तुम्हे भी मिले उम्र भर प्यार के लिए जी तुम्हारा भी जले , बहुत बहुत शुकिया मेरे जीवन मे आने के लिए यूँ इस कदर मुझे टुकड़े टुकड़े कर जाने के लिए 

अचानक

चलो कुछ ख्वाब अधूरे ही छोड़ दे,
बेहिसाब दर्द की राह मोड़ दे,
जो साथ चलते चलते अचानक हाथ छोड़ दे,
बेबात ही सब रिश्ते तोड़ दे,
क्या करे उसका इंतजार जो हमे तनहा छोड़ दे,
पलट के भी ना देखे यूँ ही मुँह मोड़ दे,
हम उसके लिए चाहे रोये ,चाहे सिसके, आँखों में भरे आँसू कैसे बहना छोड़ दे,
पत्थर बन गया जो उसे कहाँ सुनाई देगी मेरी आवाज चाहें चिल्ला चिल्ला के हम गला रौंद दे,
सिर्फ एक चेहरा ही तो था ,एक नाम था आज तक नही पता पता तक उसका ,
जिंदगी में हम शामिल कर गए जिसे नही चुना कभी हमे यार भी,
जो दोस्त भी न बन पाया हम उसपे जान छोड़ दे,
वो जो चला गया लगता नही वापिस अब आएगा वो
चाहे हम मौत तक उसके नाम की पुकार करे,
या अपने जीवन के साथ ही खुद को मौन की खाई मे छोड़ दे............

Wednesday 4 September 2019

दगा

तू दगा करके खुश है तो जा खुश हो ले,
हम भी दिल के दर्द को आँसुओ में बहा देंगे,
पता था हमे लोग यूँही होते है दुनिया इस लिए इतबार नही करते थे,
तेरा हर झूठ सच सा लगा था हमे गलती हमारी ही तो थी सपने जो देखे हमने ,
झूठ की ईंट पे सच्ची मीनार जो बना ली थी हमने,
अंजाम से बेखबर होंके लोगो पे यकीन जो कर ली थी हमने,
दर्द बर्दाश्त तो नही होता पर जीना तो हर हाल मे होता है ,
एक आंधी सा आया तू और तूफ़ान सा उजाड़ गया,
जिंदगी का एक और सबक सीखा ही गया ........

Tuesday 3 September 2019

सच या झूठ

आँखें फड़कना बंद हो गई,
हिचकियों ने आना छोड़ दिया,
आंखें खुली रखो या बंद नींदों ने आना छोड़ दिया,
सपने जो सच से लगते थे टूट गए,
तो आँखों ने सपने सजाना छोड़ दिया,
अब तो सच भी सच्चा नही लगता,
हमने सच और झूठ का आईना खुद को दिखाना छोड़ दिया,
बहुत बह गई भावनाओं के ज्वार भाटे मे अब तो एहसास के किनारों पे भी जाना छोड़ दिया,
ये दुनिया दिखावटी बातें ही करती है हमने उनकी गहराई में जाना छोड़ दिया...............