Thursday, 12 May 2022

..........

 कभी कभी खुद को खुद ही दफनाना पड़ता है ,

अपनी जिंदगी को जीते जी मौत जैसा बनाना पड़ता है,

ख़ुशी नहीं मिलती किसी को भी ऐसा करके 

पर खुद से हार कर खुद को दिखाना पड़ता है,


Wednesday, 11 May 2022

दो कदम

 दो कदम आगे ही तो बढ़े थे ,

हम को बदल के लोग बदलने लगे ,

हंसी कि उम्मीद तो हमको कभी थी ही नहीं,

लोग आँखो मे आँसू देख के ही हंसने लगे,

दूसरों को खुश रखने को हमने खुद से ही समझौते किये,

लोग हमें जख्म दे के हमसे मुकरने लगे,

खेल नहीं हूँ मैं जो कल अपने बनने का दावा किये,

आज वो दाँव खेलने लगे ..................