जिंदगी किसी जंग से कम नज़र आती नहीं,
हम जिंदा है या मर चुके है बात समझ आती नहीं,
ना नजरिए है ना नजारे है,
कभी सोचो तो डर लगता क्या हम वही है ??
जो कभी किसी बात से डरते ना थे,
हर गलत बात पे लड़ते थे पीछे हटते ना थे,
अब बड़े मजबूर और कमजोर से हो गए है हम,
लगता है अपने आप से हि दूर हो गए है हम,
किस किस से लड़े किस किस कि सुने
जीवन शूल सा भूकता है,
कौन सी राह चलें, कौन सी छोड़ दे,
कौन सपना है कौन पराया किसे क्या कहे या कुछ भी कहना छोड़ दे,
ये खामोशी कहीं मुझे खामोश हि ना कर दे..............
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