जीवन एक रणभूमि है हुंकार करो और बड़े चलो,
खुद को ही खुद से जीतो,
खुद के प्रहार लोगो के वार सब सहते रहो और लड़ते चलो कभी खुद से ,कभी दूसरों से जब उचित जान प्रतिकार करो,
खुद ही तुम खुद को समझो हर हार जीत सहर्ष स्वीकार करो
जीवन के रण मे तुम घायल हो या मर जाओ हर घाव से रिस्ते खून का स्राव मे आनंद भरो,
तुम कभी ना विचलित हो जीवन पथ पर,
हर घाव सहर्ष स्वीकार करो,
जख्म को हरा ही रहने दो हर दर्द में तुम आंनद भरो,
पथ के कांटे पथ के कंकर खुद ही ढूंढो खुद पाँव धरो,
जीवन मे सब एकल ही है ये बात सहर्ष स्वीकार करो,
जीवन एक रणभूमि है हुंकार करो और बड़े चलो...................................................