तू वजह कब बन गया मेरे जीने की पता ही ना चला ,
एक अजनबी अनजान शक्श मुझे इतना प्यारा भी होगा,
जिसपे बेफिक्र हो के मैं यकीन करती हूँ,
जो मुझे बात बे बात ढेरो मुस्कुराहट तोहफे मे देता है,
जिसने मुझे बदल के रख दिया मेरी रात को दिन बना दिया,
मेरी उदासियां जाने कहां दफना दी,
मैं तो चुप गुमशुम सी जी रही थी जिंदगी ,
उसने मुझे खुद से खुद मे मिला दिया,
वो एक बड़ा जादुगर ही है जो आज मेरी आदत बन गया,
अब डर लगता है कहीं ये हाथ ना छूट जाए,
इसके जाने से मेरा ख्वाब ना मेरी आँखों से रूठ ना जाए,
फिर मैं गुमशुम हो जाऊ और हंसना क्या मुस्कुरा भी ना पाऊं,
कहां से लाये हो तुम इतना प्यार निश्चल, निर्मल, निर्विकार,
तेरे लीजिये मुझे हर मुश्किलें स्वीकार...................................
न्
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