Tuesday 23 July 2024

हकीकत

हाथों की टेढ़ी मेढ़ी लकीरों सी हैं जिंदगी इतनी उलझी है की सिरे नही मिलते ,

हमारे अपना मान लेने से दुनिया में कभी अपने नही मिलते,

लोग हमे वक्त और जरूरत के हिसाब से बदलते बहुत है हम इस जमाने के हिसाबो से नही मिलते,

लोग बोलते है समझते नही है हम उनको पर कभी कोई हमे भी समझेगा ये भरम भी हमे नही मिलते,

रिश्तों की हकीकतों के आइने में जो खुद को ढूंढू मे यहां दुनिया तो मिलती है पर ऐसे आइने नहीं मिलते ,

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