Thursday, 17 October 2024

रिश्ते......

 अगर आप खुद को मिटा सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

आप अपनी भावनाएं अपने मन के भाव सिर्फ अंतर्मन में छिपा सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

अपना गुस्सा अपना डर सिर्फ खुद को दिखा के दूसरो के सामने मुस्कुरा सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

सब सही गलत भूल के अगर आप खुद को दोषी बना सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

आप रहे या ना रहे खुद में बाकी पर दूसरो को उनके लिए नजर आ सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

सारी शर्ते सारी परिस्थिति में आप अपने आप को भुला सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

कटपुतली जैसे मौन रह के सबके इशारों पे खुद को नचा सकते हैं तो हां आप रिश्ते निभा सकते है ,

मान अपमान सब में खुद को स्वयं दबा सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

आप किसी भी स्थिति में हो पर औरों के लिए हर वक्त खड़े आ सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है ......

Tuesday, 23 July 2024

हकीकत

हाथों की टेढ़ी मेढ़ी लकीरों सी हैं जिंदगी इतनी उलझी है की सिरे नही मिलते ,

हमारे अपना मान लेने से दुनिया में कभी अपने नही मिलते,

लोग हमे वक्त और जरूरत के हिसाब से बदलते बहुत है हम इस जमाने के हिसाबो से नही मिलते,

लोग बोलते है समझते नही है हम उनको पर कभी कोई हमे भी समझेगा ये भरम भी हमे नही मिलते,

रिश्तों की हकीकतों के आइने में जो खुद को ढूंढू मे यहां दुनिया तो मिलती है पर ऐसे आइने नहीं मिलते ,

Thursday, 25 April 2024

बनावट दर्द की

 मिलावट की दुनिया मे हम सोने जैसा दिल ढूंढना चाहते है,चांदी सी चमक सा प्यार पाना चाहते है,

ना सोना सच्चा ना चांदी असली इस बनावटी दुनिया मे लोगो पे यकीन करके बस कुछ और नही धोखा पाना चाहते है,

वक्त से जल्दी बदलते लोगो को अपना वक्त देकर हम बस इस तिलिस्मी दुनिया मे खो जाना चाहते है...................


Tuesday, 23 April 2024

ख्वाईश

 जिंदगी इतनी बड़ी क्यों है क्यों ना मौत आती है,

जिंदा रहते हुए मरने से क्यों ना मुक्ति दिलाती है,

ख्वाईश नही है कोई अब ऐसे जीने की,

मजबूरी बन गई बस सांसे लेने की......

Sunday, 21 April 2024

जन्मदिन

 लोग देते है इस दिन ढेर सारी शुभकामनाएं पर मेरे पास देने को आंसू के सिवा कुछ ना होता ,होता होगा लोगो के लिए ये खास खुशियों का दिन इस दिन से ज्यादा उदास पूरी साल में कोई दिन नही होता, हंसना तो क्या इस दिन तो झूटी मुस्कान भी नही आती है, कुछ सालो से भूल गई थी इस दिन को आज फिर सब पहले जैसा है , यही नियति है मेरी और बस यही मेरी हाथों की रेखा है ...........



हक

मुझे हक नही अब कि तुमपे अपना मैं हक जताऊ,
यूं पराया किया है एक पल में मै क्या अब खुद को समझाऊं,
सुकून से जीना बस तुम सोचना भी ना मुझे चाहे मैं मर भी जाऊ,
सारी गलतियां मै अपनी ही मानु यही दुआ है बस इस जिंदगी मे कभी तुम्हे ना मैं याद आऊं ...............