जब भी मोड़ आया जिंदगी में कोई उस वक़्त हमने खुद हो तनहा सा पाया |
क्या करे हम किसी रिश्ते की बात बेबसी के वक़्त तो साया भी अपना न आया |
जीते रहे छुपा कर अपने गम भी सभी फिर भी आखों को अपनी नम सा पाया |
जब भी मोड़ आया जिंदगी में कोई उस वक़्त हमने खुद हो तनहा सा पाया |
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