मेरी हैं क्या भूल उस ईश्वर की रचना मैं भी ,
जिसने तुमको मानव का जन्म दिया,
तुमको क्या हक हैं मुझसे मेरी ज़िन्दगी लेने का,
हमारा घर भी झीना हमसे,
दिया मौत का धुआं हमको ,
क्यों ऐसा कर रहे हो तुम ए इंसान ,
क्या ऐसा कर के तुम जी पाओगे,
क्या बिना पेड़ो के इस प्रदूषित हवा,
मैं तुम सांस ले पाओगे ,
फिर क्यों कर रहे हो खुद से खिलवाड़ क्या हैं
तुम्हारे पास मेरे सवालों का जवाब,
मैं तो बस एक नन्ही चिड़िया हूँ जनाब,
नन्ही चिड़िया |
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