Wednesday 30 August 2023

कांच

 कांच के चमचमाते से टुकड़े हीरे नही बन सकते,

ठीक वैसे ही जैसे दूसरो के लिए बनाई हुई बातें खुद पे लागू नहीं कर सकते,

बड़ी ही अच्छी लगती है कुछ बातें पर सिर्फ बातों में ही क्योंकि वो होती भी सिर्फ बातें ही है,

जब वही बातें उसी इंसान पे परखने लगो तो चुभने लगती है,

सच्चाई तब तक सच्ची लगती है जब तक दूसरी तरफ से छिपी रहे और एकतरफा हो,

खुद पे बात आती है तो सच्चाई के मायने ही बदल जाते है...........


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