मैं नन्हा सा बीज, इस स्थुल जगत से घबराया
तब धरती माँ ने अपने प्यार भरे गोद में सुलाया
एक दिन हवा के झोंके ने मुझे पुकारा
पर उस ममतामई गोद को छोड़ने में मैं हिचकिचाया
फिर बारिश की की बूंद ने छींटे मार कर मुझे जगाया
पर फिर भी मैं वहीँ पड़ा रहा अलसाया
सुरज की किरणों ने मुझे ललकारा
गुस्से से आवाज़ देकर पुकारा
धीरे धीरे तब मैं ऊपर आया
अपनी जड़ों को धरती में हीं जमाया
बीज से अब मैं पौधे के रूप में आया|
थोरा सा ख्याल , थोरी सी देखभाल
जिससे हम भी बड़े हो सके |
पोधे से हो सके एक वृक्ष तैयार |
जो आपको कल देगा शीतल छाया
तब धरती माँ ने अपने प्यार भरे गोद में सुलाया
एक दिन हवा के झोंके ने मुझे पुकारा
पर उस ममतामई गोद को छोड़ने में मैं हिचकिचाया
फिर बारिश की की बूंद ने छींटे मार कर मुझे जगाया
पर फिर भी मैं वहीँ पड़ा रहा अलसाया
सुरज की किरणों ने मुझे ललकारा
गुस्से से आवाज़ देकर पुकारा
धीरे धीरे तब मैं ऊपर आया
अपनी जड़ों को धरती में हीं जमाया
बीज से अब मैं पौधे के रूप में आया|
अब हमे चाहिए आपका थोरा सा प्यारा |
थोरा सा ख्याल , थोरी सी देखभाल
जिससे हम भी बड़े हो सके |
पोधे से हो सके एक वृक्ष तैयार |
जो आपको कल देगा शीतल छाया
,
स्वछ हवा और गर्मी में ठण्ड का साया |
स्वछ हवा और गर्मी में ठण्ड का साया |
2 comments:
Kaash ham sab insaan us mamata ke sparsh ko ped paudhon me bhi bantate to kitna achchha hota.Aaj hame paryavaran ki samsyaa se naa joojhana padata.Bahut bhavanatmak panktiyan beti.
thanx uncle
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