Thursday, 18 July 2019

अपनी परछाई ही कहाँ साथ साथ चलती है,
तन्हाई के अंधेरो मे साथ छोड़ जाती है,
और किसी का फिर ऐतबार कैसा ??
कब साथ चलते चलते राह मोड़ ले,
आपके साये कि तरह आपका साथ छोड़ दे.........

Monday, 15 July 2019

जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है,
जब भी मैं खुद को समेट के खड़े होती हूं तू टांग अड़ाने क्यों चली आती है,
माना मेरी ख़ुशी तुझसे देखीं नही जाती ,
तो तू गम मे भी मेरी खिल्ली उड़ाने क्यों चली आती है,
लेन देन का खेल बंद कर दे अपना तुझसे मुझे कुछ नही चाहिए ,
जो तूने दे दिया वो संभाल नही पायी मै आज तक ,
तुझसे इससे ज्यादा उम्मीद नही मेरी,
जा पीछा छोड़ मेरा मुझे छोड़ दे मेरे हाल पे क्यों बार बार तू झूठी हँसी हंसा के रुलाने चली आती है,
जा ले जा अपनी सांसे भी अपनी धड़कन भी शांत रहने दे मुझे शोर सुनाने क्यों चली आती है,
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है,
मुझे तू समझ बैठी क्या है??
 तू जो दे रही मे चुप करके सब स्वीकार करू,
 क्यों करू नही चाहिए तुझसे कुछ भी ले जा मुझे मुझ मे रहने दे तू जा,
जा मै क्यों न तेरा प्रतिकार करू,
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है ...............

Thursday, 4 July 2019

अपने सिद्धांतों और उसूलों की दीवार इतनी ऊँची खड़ी किये है हम डर लगता है कही दीवार गिरा दूँ तो मैं भी ना दरक जाऊं, गिरने का डर नही पर गिर के शायद कभी संभल ही न पाऊँ, यकीन खुद पे करने में भी डर लगता है कभी कभी हर विश्वास पे अविश्वास मिला ,

Friday, 21 June 2019

उधेड़ना

ज्यादा सीते सीते भी कपड़ों की सिलाई उधेड़ जाती है,
रेशा रेशा दूर होके जगह बना लेते कभी न भरने वाली,
जैसे ज्यादा सँभालते संभालते रिश्ते ...........

Monday, 17 June 2019

मेरी सखी

एक तू ही है जो मुझे खुद में समेट लेती है,
मेरे मन की बात को किसी से भी न कहती है,
जो कुछ होता है मुझमे अनकहा सा तू वो भी समझ लेती है,
एक तेरे साथ ने जिंदगी दी है हमे,
वरना जीवन का गुबार हमे डूबा देता,
हम किसी से कभी कुछ न कह पाते,
हमारा अपना ही दर्द हमे सुला देता,
मन जब भी व्यथित होता तेरे पास होती हूँ मैं
मन जब भी निराश होता है एक तूही होती है मेरे साथ मेरी आश बनके,
तूने भी मेरा साथ दिया है लम्हा लम्हा,
बहुत बार सम्भाल लिया हमे तनहा,
एक वादा तुझसे मांगती हूँ मै मेरा साथ मत छोड़ना,
जब भी मेरे कदम डगमगाये मुझे सँभाल लेना,
जोर से थामना हाथ की हम होश मे आ जाए,
फिर से तेरे सिवा किसी को अपने आप तक न ला पाये,
तू जीवन भर साथ रहना मेरे यूँही,
अल्फाज ना भी हो तो मेरे मौन को स्वीकार लेना,
इस दुनिया के भर्म जाल से हमे उबार लेना,
नही चाहिए मुझे इस बेग़ैरत दुनिया से कुछ भी,
यहां लोग सिवाय धोखे के दे भी क्या सकते है,

Thursday, 13 June 2019

प्राणवायु

रास्ते भर हवा की सरसराहट कितनी आवाज अलग सी धुन , अलग सी महक, अलग अंदाज, चाहे न चाहे वो अपने होने का अपने वजूद का एहसास कराती है ,बताती है इस कायनात में अकेला कोई नही मै हूँ लगती बेमुल्य पर हूँ बहुमूल्य मेरे बिना जीवन यूँ जैसे बिना आत्मा का शरीर ,  मैं एकदम सरल ,निश्छल, निष्कपट,अनवरत प्रवाहमयी मैं वो प्राण वायु जो कभी प्राण दे के जनम का रूप धारण करने वाली और कभी प्राण हर के मृत्यु का रूप धारण करके निष्प्राण कर देने वाली..................

Monday, 10 June 2019

सीमाएं

बचपन से ही कुछ सीमाएं तय की जाती है लड़कियों की , मान की ,सम्मान की, इज्जत की, इन्हें बेड़ियां ही कहेंगे आज के लोग पर ये बेड़ियां नही उस परिवार की आन है जहां जन्मी हो लड़की, ये आन आप की जिम्मेदारी तब बनती है जब आप के सर पे आधार(पिता का हाथ) ना हो, एक लड़की उस दिन अपनी जिम्मेवारी खुद अपने काँधे रखती है, जब उसे कोई टोकने वाला ना हो, स्वतंत्रता की भी सीमाए खुद ही तय करनी पड़ती है और बंदिशों की भी, अपने संस्कारो की भी और दुनिया की उँगलियों को उठ्ने से पहले तोड़ने की भी , ये सिद्धान्त खोखले हो सकते है अत्याधुनिक वर्तमान युग के लिए पर ये कभी असत्य नही हो सकते, बंदिशों के आगे भी जहान है ,खुला आसमान है, निर्द्वंद स्वछन्द पर ये स्वतन्त्रता उतनी ही स्वतंत्र है जितनी पानी खींचने वाली ड़ोर , ड़ोर के बिना कुँए से जल निकालना मुमकिन नही ,
 के  , उसी तरह बिना बंदिशो के निर्द्वन्द संसार में मान की उम्मीद करना भी सिर्फ एक कल्पना मात्र हैं/

Tuesday, 4 June 2019

व्याख्या

भरोसा
भ- भावनाओ का
रो-रोष रहित
सा-साथ

विश्वास
वि-विशेष
श्वा-साँसों का
स- संकलन 

दोनों का स्थान गर एक बार डगमगाया तो जिंदगी बोझ और साँसे घुटन बन के रह जाती है
                                                 अंजलि 

Wednesday, 29 May 2019

दिलासा


ना किसी से आश कोई,
न कोई उम्मीद,
ना कोई मेरा आपना,
ना साधु, ना फ़कीर,
रैनबसेरा दुनिया है ,
दो पल यहां निवास,
मुझे रहन दो तनहा ही ,
नही बनना किसी का खास..........

Tuesday, 21 May 2019

ख्वाब

वो चार दिन एक सपना,
बन चूका जैसे अपना,
आँखें थी खुली पर हम ख्वाब में थे,
लाखों सवाल थे पर हम भावनाओं के ज्वार मे थे,
जी गये थे उस सपने को अपना समझ कर जिसकी कोई पहचान नही थी,
कोई अस्तित्व नही था,
समुंदर की लहरों की तरह बहे जा रहे थे कोई किनारा नही था पर इतरा रहे थे,
खुद को भूल के उस सपने को जिए जा रहे थे,
ये कैसी मनोस्थिति थी विचार से परे,
पता ही नही कौन सी दिशा में बहे,
पर फिर भी वो चार दिन एक सपना,
बन चूका जैसे अपना,
आँखें खुली थी पर वो ख्वाब तोडना नही चाहते थे,
मन के भवर में कोई नांव छोड़ना नही चाहते थे,
बस जी रहे थे वो एक सपना,
लगा मानो जी गये हो पूरी उम्र उसमे

जो अपना तो नही था ,
पर था तो मेरी आँखों मे बसा एक अपना मेरा सपना,
वो चार दिन एक सपना,
बन चूका जैसे अपना...................

नकाब

खुद को बयां करना आसान है,
लोगो को समझ पाना मुश्किल है,
परते दर परते कितनी गहराई है,
आज तक आवाज भी न आयी है,
खुद को खुरचना आसान है,
लोगो के नकाब उतारना मुश्किल है,
पता नही क्या सच और क्या झूठ है,
लोगो को पहचानना मुश्किल है,
खुद को बयां करना आसान है,
लोगो को समझ पाना मुश्किल है...................

Sunday, 19 May 2019

चलो आज कोई कहानी लिखते हैं,
जो किसी ने न कही हो मुंहजबानी लिखते हैं,
जिसमे न द्वंद हो न छन्द हो,
ना प्रीत हो न गीत हो,
न जीवन की हो सच्चाई,
ना कोई झूठा मीत हो,

चलो आज कोई कहानी लिखते हैं -2
जिसमे न दर्द हो न दुआ हो,
न मान हो न अपमान हो,
न स्वाभिमान हो, न अभिमान हो

चलो आज कोई कहानी लिखते है-2


हर हर महादेव

हर हर कर के हर लियो मेरे राग और द्वेष,
हमरे मन के सब विकार और सभी क्लेश
न हमपे है बुद्धि बल और न तुम जैसा त्याग,
हम जैसे दीनन का प्रभु ना करना तुम परित्याग,
मतलब के सब मित्र हैं,और सुखन के यार,
तेरी माया से रचित झणभंगुर संसार,
तेरे हाथ ही डोर है, तूही है भरतार,
मेरी जीवन की नावं के बनियो तारणहार


हर हर महादेव

Saturday, 11 May 2019

जमाना

कोई अपना नही जमाने में,
सब व्यस्त है एक दूजे को आजमाने मे,
कोई लगा किसी को गिराने में,
तो कोई लगा किसी का नामो निशान मिटाने मे,
सब व्यस्त है आजकल के जमाने मे,
कोई नही आता गिरो को उठाने को,
हर कोई बस लगा  h अपनी जगह पाने को........अंजलि
   

गुबार

बहुत दिनों से भरा ये गुबार अब फूटा,
किसी के लिए  सिर्फ शब्द हमारे लिए ये भार अब फूटा,
कोई समझे चाहे न समझे मुझे ,
मेरे अपने विचारों का प्रहार अब फूटा...............
                                               अंजलि

बहरूपिये

मन पे बोझ रखके नही जी सकते हम ,
आँशु ख़ुशी और गम के सब पी सकते हम,
वक़्त ने हमको  सब सहने की ताकत दी है,
ईश्वर ने हमे सब कहने की हिम्मत दी है,
जितने सबक जिंदगी ने सिखाये है हमे,
जिंदगी ने ना जाने कितने दांव   खेले है,
बहुत सहा, बहुत समझा बहुत देखी दुनिया,
यही लगा क्या हम ही दुनिया से अलबेले हैं,
लोग दूसरों का लहूँ पी के भी आज जिन्दा है,
मर गयी इंसानियत पर नही शर्मिंदा है,
गिद्द (पंछी)दुनिया में आज कम क्यों हुए,
उसका कारण क्योंकि इंसान ही गिद्द बन बैठा,
मरे हुए का भी जो मांस तक न छोड़ें वो कहाँ से इंसान कहलाने के काबिल हैं,
यही दुनिया है यहां सभी जीते हैं,
मुखोटे पहने हुए तमाम बहरूपिये है,
कैसे किसका नकाब उतरेगा,
कौन जाने कौन क्या निकलेगा??

                 अंजलि

मेरी नजर

वाहय दुनिया मुझे लुभाये भले ,
मेरे पैरों में अब भी बेड़ी हैं,
मैंने खुद को खुला नही छोड़ा,
जंजीर आज भी उतनी भारी पहनी है,
खुद को वापिस ले सकूँ दुनिया के तमाशे से,
खुद को संभाल सकूँ खुद से ही तराश सकूँ,
जरुरी नही है हर शख्श हम को पहचाने ,
हम अकेले ही सही हमको कोई ना जाने,
जैसे भी हैं हम खुद में जिन्दा हैं,
आत्मसंम्मान है हम्मे नही शर्मिंदा है,
नजरे उठा करके खुद को देख सकते है,
सर उठा के मुश्किलों का सामना कर सकते हैं,
सच है तो दुनिया से उलझ सकते हैं,
अपनी बातों को बेबाक कह सकते हैं,
खुद को जाने दुनिया को समझ सकते है.......

आजमाईश

                        
                         
पहचान और आजमाईश मे फर्क होता है,
तराजु पे खड़ा इंसान खुद को क्या समझे,
सामने वाले के दिल में क्या होता हैं,
तोल के सामान बेचेगा ,
कीमत लेके किसी को फेकेगा ,
उसके लिए मोल नही उसका कुछ ,
बस कुछ तौल और उसका ईमान सिर्फ पैसा है,
कौन जानेगा उसके मन की जो बिक गया बस जिसकी कोई कदर ही नही,

जिंदगी एक किताब




कदम जो आगे बढ़ जाए उनको मोड़ना मुश्किल होता है,
सही गलत के तराजु में तोलना मुश्किल होता है,
खुली किताब बनके जीवन सरल तो बन सकता है पर अक्सर उस किताब को जोड़ना मुश्किल होता हैं,
कुछ भाव कुछ अभाव जीवन का हिस्सा सही ,
जीवन अपना हैं किसी के मनोरंजन का हिस्सा नही ,
उड़ते हुए पन्ने हवा की चाल नही देखते बस उड़ जाया करते है,
बस या बेबस कही उलझे तो कही फट जाया करते है,
वापिस वो नही आते उस किताब का हिस्सा बनने ,
जरुरी है किताब बंद ही रहे जो कुछ अनकहा है वो उसी मे रहे,
यूँ तो कुछ भी नही हैं खास पर मेरा अपना हैं,
जो गुजर गया अच्छा हो या बुरा मेरा ही तो सपना हैं,
चोट खाने से डरते है तो संभल जाना अच्छा ,
अपने कदमो को रोक के ठहर जाना अच्छा,
पन्ने आँशु से न कही भीग जाए ,
जिंदगी से रूठ के कहि न गल जाए ,
वक़्त की धूप से धुंधले कही न पड़ जाए ,

Tuesday, 26 February 2019

24-02-2019 श्रीदामु तुम्हारी याद साथ रही आँखों मे नींद नही आयी तुम्हारी सूरत दिखती रही, मन बड़ा भारी भारी कुछ भी अच्छा नही लग रहा हैं , कमरा खाली , रसोई खाली तुम्हारी दूध की कटोरी और बिस्कुट  तुम्हे याद कर रहे है कही से आ जाओ ना सब सूना पड़ा तुम्हारा बॉक्स तुम्हारा कम्बल तुम्हारी तकिया सब बुला रही हैं तुम्हे, चलो साथ में धुप खाने चलते हैं, चलो घूमने चलते हैं श्रीदामु गाडी ख़ाली हैं तुम्हारे लिए मम्मी रो रही हैं उनकी गोद भी खाली पड़ी हैं फूलो जैसे नरम नरम पाँव वाला प्यारी सी सूरत वाला बात बात पे रुठनेवाला मेरा श्रीदामु कहा खो गया हैं,  भैया भी अपने कमरे में सोने नही गया तू जो नही था तुझे goodnight कहे बिना किसी को नींद नही आ रही है , तुम आ जाओ बस काश भगवान् के पास जाके तुम्हे वापिस ला सकते तो छीन लाते, इतनी गहरी नींद आयी है तुम्हे good good wala good morning shreedamu bhaiya ji uth uth jaao bhaiya dekho subah ho gyi 😢😢 तुम्हारे बिना ये पहली सुबह हैं, और अब रात दूसरी हैं कल तुम सोये ही नही आज में गुडमार्निंग नही बोल पायी , कल goodnight किये बिना ही चले गए तुम  कैसे  goodnight khte the hum log goodnight goodnight goodnight shreedamu raat ho gyi so jaa bacche , रात इतनी लंबी हो जायेगी सोचा नही था जाग जाओ बाबु ,श्रीदामु आ जाओ श्रीदामु श्रीदामु तेरा प्यारा प्यारा मुँह आ जा प्यारे श्रीदामु😢😢😢😢😢😢😢 मन बहुत उदास हैं तुम्हारे जाने के बाद लग रहा हैं  हम तुम्हारे लिए ही जी रहे थे क्या या तुम्हारे प्यार से बंधे थे आज वो बंधन याद रह हैं श्रीदामु तु हमे बहुत  सता रहा हैं, आ जा ना टेढे मेढ़े कूदता फाड़ता सब से लड़ा के आ जा न वापिस miss u shreedamu क्या करूँ कुछ समझ नही आ रहा काश मेरे श्रीदामु तुम्हे वापिस ला सकते फिर से प्यार करते और तुम्हारा प्यार पा सकते नही पता हमे तुम कहाँ खो गए कभी न जागनेवाली नींद में क्यों सो गए हो पर बस इतनी विनती हैं मेरी भगवान् से मेरे श्रीदामु को प्यार से रखना जहां रखना उसे ढेर सारी खुशियाँ मिलनी चाहिए, घूमने को गाडी जरूर देना उसे भगवान् उसको राजा बना के रखना वो कोई राजा ही था सबके दिलो पे राज करता रहा आज खाली कर गया हम सबको .....................

आज चार दिन हो गए श्रीदामु पर घर आज भी वीरान हैं सूनापन आज भी वही है ,मन अभी भी भारी भारी हैं , तेरी याद अब तलक जारी है , श्रीदामु तेरी गाडी   ढ़की आज पर तू देखने नही आया बैठने की जिद्द भी नही की तूने न घूमने के लिए दौड़ के मम्मी को मनाया अच्छा नही लगा तेरा यूँ रूठ जाना हम सब को यूँ तनहा छोड़ जाना रसोई का वो कोना आज भी खाली हैं आज भी ऐसा लगता है कि तू आएगा फिर से अपने नन्हे नन्हे पाँव को दूध की कटोरी मे डाल के मुझ पे छीटे डालेगा, तुझे चिढ़ाने पे अपने दांत मेरे हाथों में चुभोएगा, पर नही तू चला गया और जानेवाले वापिस नही आया करते सिर्फ सताती है उनकी यादें और तू यूँ जो अचानक चला गया कभी न कभी कही न कही इस जनम न सही अगले जन्म ही तू मिला तो बहुत लड़ाई होगी तुमसे