आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है,
क्यों रोज एक ही बात कहें,
बेहतर है चुप ही रहते है,
जरुरी नही नाव लेके उतर पड़े समुन्दर मे,
हम अपनी नांव नन्ही नदी पे ही चला लेते है,
जब दूजो को मोहलत ना हो तो छोड़ो क्या परवाह करना,
हम खुद बेपरवाह रहके क्यों दूजो की परवाह करते है,
क्यों बेवजह दूसरों से हम नाते निभाते है,
जब नाता बनता है तो झूठी उम्मीदे रखते है,
हम मन से जुड़ जाते लोग तो सिर्फ मोहब्बत करते है,
लोग दिल को दिमाग से खेलते है हम उनसे चाहत रखते है,
अफ़सोस है शातिर शख्स सभी फिर भी हम उन पे अपना वक़्त यूँही जाया करते है,
आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है ,
कुछ भी नही ,कुछ भी नही अब बस कुछ भी ना कहते है.....….............
हम अपने मन मे रहते है,
क्यों रोज एक ही बात कहें,
बेहतर है चुप ही रहते है,
जरुरी नही नाव लेके उतर पड़े समुन्दर मे,
हम अपनी नांव नन्ही नदी पे ही चला लेते है,
जब दूजो को मोहलत ना हो तो छोड़ो क्या परवाह करना,
हम खुद बेपरवाह रहके क्यों दूजो की परवाह करते है,
क्यों बेवजह दूसरों से हम नाते निभाते है,
जब नाता बनता है तो झूठी उम्मीदे रखते है,
हम मन से जुड़ जाते लोग तो सिर्फ मोहब्बत करते है,
लोग दिल को दिमाग से खेलते है हम उनसे चाहत रखते है,
अफ़सोस है शातिर शख्स सभी फिर भी हम उन पे अपना वक़्त यूँही जाया करते है,
आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है ,
कुछ भी नही ,कुछ भी नही अब बस कुछ भी ना कहते है.....….............
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