Thursday 5 September 2019

अचानक

चलो कुछ ख्वाब अधूरे ही छोड़ दे,
बेहिसाब दर्द की राह मोड़ दे,
जो साथ चलते चलते अचानक हाथ छोड़ दे,
बेबात ही सब रिश्ते तोड़ दे,
क्या करे उसका इंतजार जो हमे तनहा छोड़ दे,
पलट के भी ना देखे यूँ ही मुँह मोड़ दे,
हम उसके लिए चाहे रोये ,चाहे सिसके, आँखों में भरे आँसू कैसे बहना छोड़ दे,
पत्थर बन गया जो उसे कहाँ सुनाई देगी मेरी आवाज चाहें चिल्ला चिल्ला के हम गला रौंद दे,
सिर्फ एक चेहरा ही तो था ,एक नाम था आज तक नही पता पता तक उसका ,
जिंदगी में हम शामिल कर गए जिसे नही चुना कभी हमे यार भी,
जो दोस्त भी न बन पाया हम उसपे जान छोड़ दे,
वो जो चला गया लगता नही वापिस अब आएगा वो
चाहे हम मौत तक उसके नाम की पुकार करे,
या अपने जीवन के साथ ही खुद को मौन की खाई मे छोड़ दे............

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