Sunday 16 January 2022

जीवन एक रणभूमि

 जीवन एक रणभूमि है हुंकार करो और बड़े चलो, 

खुद को ही खुद से जीतो,

खुद के प्रहार लोगो के वार सब सहते रहो और लड़ते चलो कभी खुद से ,कभी दूसरों से जब उचित जान  प्रतिकार करो,

 खुद ही तुम खुद को समझो हर हार जीत सहर्ष स्वीकार करो

जीवन के रण मे तुम घायल हो या मर जाओ हर घाव से रिस्ते खून का स्राव मे आनंद भरो,

तुम कभी ना विचलित हो जीवन पथ पर,

हर घाव सहर्ष स्वीकार करो,

जख्म को हरा ही रहने दो हर दर्द में तुम आंनद भरो,

पथ के कांटे पथ के कंकर खुद ही ढूंढो खुद पाँव धरो,

जीवन मे सब एकल ही है ये बात सहर्ष स्वीकार करो,

जीवन एक रणभूमि है हुंकार करो और बड़े चलो...................................................

दर्द

 हर एक शख्स जो हमसे रुबरु हुआ वो कुछ ना कुछ हासिल ही करने आए, हम बेमतलब सबको अपना मान बैठे , हमें हमेशा एक फरेब एक टीस ना मिटने वाला दर्द ही हासिल हुआ ,ना बदल पाए हम खुद को फिर भी एक बचपना जो हमने बड़े होने तक ना छोड़ा, ना जाने मरने के बाद ही छूटेगा ये अब तब तक और कितने दर्द हासिल होंगे, मन से सोचने का काम कब बंद होगा ,कब हम खुद से खुद मे शामिल होंगे.................................................................................

जीवन -एक स्वप्न

उम्र भर के लिए कुछ भी नहीं जो आज है वो कल नहीं होगा वक़्त है बदल जाएगा, और बदलता वक़्त ले जाएगा अपने साथ आपका सब कुछ, कुछ झूठी मुस्कान कुछ सच्ची हकीकत, कुछ तस्वीर सा आईना, कुछ गहरी कुछ उथली बातें, कुछ परछाइयां ,

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Tuesday 15 June 2021

पिंजरा

 क्यूँ कभी कभी ऐसा लगता है जैसे हमारे इर्द गिर्द एक बड़ा सा पिंजरा हो और हमने उसमें खुद को कैद कर रखो अपनी स्वेच्छा से अपने हालातो के चलते ,कभी मन मे आता है ये सारे दायरे हम तोड़ दे खुद को स्वतन्त्र छोड़ दे ,तोड़ दे ये पिंजरा रिहा हो जाए , पर क्यूँ नहीं कर पाते हम ऐसा क्यूँ नहीं तोड़ पाते अपनी सोच के दायरे , क्यूँ नहीं आसमानो तक अपनी आवाज़ नहीं पहुंचा पाते ,क्यूँ घुटन के बाद भी कम हवा मे सांस लेते है ,


Tuesday 25 May 2021

राज........–

 इस तिलिस्मी दुनिया मे लोग वफादार नहीं मिलते,

मन कि बात कह सके वो राजदार नहीं मिलते,

मिलता है सब कुछ यहां के बाजारो मे मगर जो बिक ना सके वैसे ईमानदार नहीं मिलते,

बड़ा आसान लगता है अपना मान लेना मगर जो अपना बन सके वैसे किरदार नहीं मिलते,

दिए कि लो मे रोशन है आज भी कई घर कि सबके यहां रोशनदान नहीं मिलते,

Saturday 15 May 2021

बातें

 बात की बात थी ,

बातों में बात थी,

बातों ही बातों मे बात बीत गई,

बातों की कहानी बनी,

बातों का बतंगड बना ,

इन्ही बातों बातों मे दिन और रात बीत गई .........

Thursday 13 May 2021

मन की बात

 बहुत दिन बीते मेरी खुद से कोई ना बात हुई,

मिलते है बाहरी दुनिया से खुद से पर मुलाकात ना हुई,

कई बार उमडे मन के बादल पर बरसात ना हुई,

आँखों मे नमी भी रही , भावनाओं मे ख़ुशी भी रही पर इनकी रहमत हमारे साथ ना हुई......................


Monday 3 May 2021

स्पष्टता

 जिंदगी और मौत का अगर कोई सवाल नहीं, 

तो यूँही असत्य कहना मेरा कोई कारोबार नहीं, 

झूठ से हासिल कभी कुछ भी तो होता नहीं,

सार्वभौमिक सत्य  है जीवन कोई धोखा नहीं.......अंजलि

Friday 9 April 2021

जीवन

 जिंदगी किसी जंग से कम नज़र आती नहीं,

हम जिंदा है या मर चुके है बात समझ आती नहीं,

ना नजरिए है ना नजारे है,

कभी सोचो तो डर लगता क्या हम वही है ??

जो कभी किसी बात से डरते ना थे,

हर गलत बात पे लड़ते थे पीछे हटते ना थे,

अब बड़े मजबूर और कमजोर से हो गए है हम,

लगता है अपने आप से हि दूर हो गए है हम,

किस किस से लड़े किस किस कि सुने

जीवन शूल सा भूकता है,

कौन सी राह चलें, कौन सी छोड़ दे,

कौन सपना है कौन पराया किसे क्या कहे या कुछ भी कहना छोड़ दे,

ये खामोशी कहीं मुझे खामोश हि ना कर दे..............


Thursday 8 April 2021

यूँ ही अनकही

 जीवन की आपाधापी में हम कुछ ऐसे दौड़े,

उतर गए रंग ,

दिखें सबके ढंग,

चलो अब हौले हौले....................

Friday 27 September 2019

विश्वास - एक सजा

ज़िन्दगी तू मुझे एक सीख और दे गयी,
भरोसा तो वैसे भी लोगो पे कम था मेरा और रहा सहा भी सब ले गयी,
लोगो पे ऐतबार करने की एक बेहतरीन सजा दे गयी,
सिर्फ आपके मानने भर से दुनिया अपनी नही हो जाती गैर को गैरो की तरह ही रखने का नजरिया दे गयी,

Thursday 26 September 2019

भूल मेरी शूल सी लगती है,
गलती गुनाह सी लगती है,
भूलना चाहती हूँ गुजरे मंज़र को,
पर यादें वही उलझी है,
जहां से राह मोड़ चुके है लोग,
आज तक मेरी निगाह उसी रास्ते को निहारती है,
कैसा मंज़र था तूफ़ान का जो छीन ले गया हमसे ,
पर क्या कहे लोग भी तो सिर्फ संजोग से मिलते बिछड़ते है........


Sunday 22 September 2019

खोना

इस दुनिया मे जो आपके पास से जो गया,
असीम अनंत दुनिया का हो गया,
वो जो कल था वो वापिस नही आना,
वो अतीत के दामन मे खो गया,
जो आदत में उतर गया था कभी,
आज नजरो से भी ओझल हो गया,
वक़्त है ये वक़्त जो वापिस लौट के नही आता,
मेरे जीवन का वो लम्हा मुझसे जुदा हो गया.......

Saturday 21 September 2019

एक विचार

मैं अकेले खुश थी या उदास थी,
मैं खुद के लिए खास थी या बकवास थी,
मैं मेरे विचारों में थी या मेरे उसूल मुझमे थे,
मेरे सवाल खुद से थे या मैं खुद के लिए एक सवाल थी,
मैं खुद के लिए सिर्फ एक मशवरा थी या सभी सवालों का खुद ही जवाब थी,
मैं शून्य थी या शून्य में जीवन की तलाश थी,
मैं जिंदगी की किताब का एक पन्ना थी या मैं खुद एक किताब थी,
मैं एक चित्र थी या चित्रवलियो की एक श्रृंखला थी,
मेरी स्वास मुझमे थी या स्वास में मैं थी,
मैं एक पल थी या चलते समय के साथ हर पल के साथ थी,
मैं स्वयं प्राणवायु थी या प्राणवायु मेरे साथ थी,
मैं एक आत्मा थी या आत्मा में मै थी,
मैं एक अनसुलझा सवाल थी या सुलझे हुए हर सवाल का जवाब थी,
मैं स्वयं एक आग थी या जीवन को प्रदीप्त करने को मुझमे कही आग थी,
मैं पंचतत्वों से रचित एक जीव या मुझमे सिर्फ पंचतत्वों की ही शक्ति मात्र थी,
मैं अवचेतन पारलौकिक जगत का हिस्सा या मैं स्वयं चेतना मात्र थी,
मैं जो भी थी जैसे भी थी  बस उस परम पिता परमात्मा की एक कृति मात्र थी.............
..
विचार

Sunday 15 September 2019

जिंदगी अनजानी

जिंदगी तुझे जीना ही ज्यादा मुश्किल है ,
तू रोज नए नए पैतरे बदलती है,
एक मुश्किल जाती भी नही तू नयी भेज देती है,
तराशे या कुरेदे तुझे तू तमाशा बना ही देती है,
कभी कभी रहने का मन नही होता तुझमे,
पर फिर भी साँसों की डोर भी तेरा ही साथ देती है,
यूँ कहने को तो मेरे सीने में धड़कता है दिल पर धड़कन पर हक़ तू ही जमा लेती है,
जीवन पूरा हो जाता है पर समझ नही आती जिंदगी,
तू अपनी होते हुए भी होती है बेगानी,
तू जानकर भी रहती है रह जाती है अनजानी..........

Wednesday 11 September 2019

सहारा

जो लोग अँगुली पकड़ के चलने की कोशिश में ताउम्र रहते है,
लोग उनका हाथ छोड़ ही देते है,
बचपन में भी जब कदमो पे चलना आ जाए तो हाथ पकड़ के चलना नही सिखाया जाता,
बुढ़ापे में लाठी थमा के हाथ छुड़ा लेते है लोग,
सहारा ढूढ़ने वाले सहारा ही ढूंढते रहते है,
आसरे की नदी में डूब ही जाते है,
और हाथ छुड़ा के किनारे पे आ जाते है लोग.........

Tuesday 10 September 2019

मृत्युलोक

सच में ये जीवन मृत्युलोक ही है जरुरी नही साँसों की डोर टूटे तभी मौत हो कभी कभी जिंदगी रहते भी इंसान मर जाता है और वो स्थिति मौत से भी बड़ी होती है,क्योंकि मरने के बाद इंसान मुक्त तो हो जाता है सब रिश्तो, भावनाओ और एहसासों से ,पर जिंदगी रहते आयी मौत तो बोझ और चिंता में तिल तिल तड़पाती रहती है.........................

Monday 9 September 2019

तजुर्बा

एक बचपना बाकी था मुझमे मैंने उसको ना मरने दिया,
हर तरह के लोग मिले जीवन में किसी ने अपनापन दिया किसी ने दगा दिया,
अच्छे मिले तो लगा दुनिया अच्छी, बुरे मिले तो लगा दुनिया इत्तनी भी अच्छी नही,
किसी ने सीख दी जीने के सबक की तो किसी ने हमे गिरा दिया,
ऊपर ऊपर से  अच्छी सोच रखने वालों ने भीतर के जहर से अक्सर डरा दिया,
कोईं मिला असली चेहरे के साथ किसी ने परत दर परत नकाब के चेहरों को दिखा दिया,
हाँ ऊपर से कठोर सोच वालो ने सच का दर्शन कर दिया ,
ये तजुर्बे जो पल पल में पल भर में जीवन को बदल देते है हमने इनका हर पल एक नया ही तजुर्बा किया .........

Saturday 7 September 2019

बहुत परखा पर समझ न पाये झूठ और सच्चा भी,
बड़ी बड़ी बातें सुनाई खुद को समझाने को पर दिल रहा बच्चा भी.........

Friday 6 September 2019

चलो आज एक भरम टूट गया ,
उम्मीदों का आखिरी महल टूटा,
कतरा कतरा होंके बिलखे जो हाथ छूट गया,
छोड़ के जानेवाला खुश है अपनी दुनिया मे,
फिर क्यों मेरा ही दिल दुखा क्यों भावनाओ का ज्वार फूट गया,
कितने अच्छे से झूठ बोला वो हम सच समझके उसे खुद को गलत समझते रहे,
अपनी भी ना सुनी हमने उसके आगे ,
हमारी सोच को हम खुद ही कोसते रहे पर नही वो मेरी सोच थी सही आज हुआ वही जिसके डर से हम खुदu से भी लड़ जाते थे,
लोग आपको बदल के खुद ठहर जाते है,
छोड़ के हाथ अजनबी तो निकल जाते है,
हम गुजरे वक़्त के साथ को याद करके आँसू बहाते है,
पर ये यादें भी तो झूठी ही है फिर क्यों हम बेहाल हुए जाते है,