Sunday, 21 April 2024

जन्मदिन

 लोग देते है इस दिन ढेर सारी शुभकामनाएं पर मेरे पास देने को आंसू के सिवा कुछ ना होता ,होता होगा लोगो के लिए ये खास खुशियों का दिन इस दिन से ज्यादा उदास पूरी साल में कोई दिन नही होता, हंसना तो क्या इस दिन तो झूटी मुस्कान भी नही आती है, कुछ सालो से भूल गई थी इस दिन को आज फिर सब पहले जैसा है , यही नियति है मेरी और बस यही मेरी हाथों की रेखा है ...........



हक

मुझे हक नही अब कि तुमपे अपना मैं हक जताऊ,
यूं पराया किया है एक पल में मै क्या अब खुद को समझाऊं,
सुकून से जीना बस तुम सोचना भी ना मुझे चाहे मैं मर भी जाऊ,
सारी गलतियां मै अपनी ही मानु यही दुआ है बस इस जिंदगी मे कभी तुम्हे ना मैं याद आऊं ...............





Saturday, 30 December 2023

 कर्ण प्रिय शब्दो पे यकीन ना करे वो सिर्फ शब्द है जो सिर्फ कहने के लिए कहे जाते है, अर्थ जानने निकलेंगे तो सब भावविहीन, विश्वास करने निकलेंगे तो सब काल्पनिक , खुद को निर्भर कर दिया तो वजूद विहीन, बिना नीवं के मकान जैसे खुद को पाएंगे .....

Saturday, 4 November 2023

 Sometimes we are unable to understand ourselves and expect others to understand us. Sometimes we are unable to silence our own mind. I don't know how many desires it carries with it which cannot be fulfilled because life is always full of compromises. Either compromise or try to change yourself.

Tuesday, 31 October 2023

रिश्ते या सपने

 भरम मत पालिये की इस दुनिया मे लोग आपके अपने है,

 बस चंद मीठे, चंद कड़वे अनुभव आपके अपने है,

बाकी तो सब सोती नींद मे देखे हुए सपने है ............

नींद टूटी तो सपना ख़तम....

Always stay alone

 खुद ही गिरना है ,

खुद ही सम्भलना है,

रास्ते पथरीले हो या रेतीले,  

जीवन मे बस अकेले ही चलना है,

होते होंगी दुनिया के साथ अपनों की भीड़

यहाँ अपनों से ठगे बैठे है खुद ही उबरना है,

हाथों की लकीरें कुछ ऐसी है हाथ मे,

करो सबका पर कोई ना होगा साथ मे,

हाथों को थामने को दूसरा हाथ सिर्फ अपना है,

खुद ही गिरना है ,

खुद ही सम्भलना है,

जीवन मे बस अकेले ही चलना है ........................

Monday, 30 October 2023

 नकारात्मकता किसी के जेहन मे यूँही नही जाती हर इंसान चाहता है खुश रहना पर जब आपको जीवन ने सिर्फ किये के बदले राख ही परोसी हो तो आप किस सोच से सकारात्मकता का दामन थामे,या तो आप खुद को हद तर्जे का बेफकूफ मान ले ,या अपने जीवन मे खुद को हीं अपने लिए सिर्फ एक अभिशाप

 आपके होने या ना होने से जब किसी को कोई फर्क नही पड़ता तो आप शायद घर मे पड़े उस खिलोने से है जिन्हे वक़्त होने या मन होने पे खेल के छोड़ दिया जाता है, या उस जानवर की तरह जिन्हे पुचकार बुलाया जाता है जब खुद का टाइम पास करना हो उसके बाद भगा दिया जाता है , क्या ये जीवन आप उन लोगो के हिस्से मे देना चाहेंगे जिनके लिए आप सिर्फ एकनाम है आपकी भावनाये, संवेदनाये सिर्फ उनको समझने के लिए हो पर आप खुद इस उम्मीद से परे रहे कि आपके मन को भूल कर भी कोई समझेगा ,नही समझेगा तो क्यू ही समझाना क्यों बेवजह लोगो के जीवन मे खुद की उपस्थिति दरसाना जब आप हीं उनके लिए महत्वहीन है तो आप की भावनाये तो मायने क्या हीं रखेंगी, कभी कभी हम लोगो को खुद से ज्यादा मान बैठते है भूल जाते है खुद को भी ,पर दुसरो का तो वजूद है उनका अपना जीवन उनके मुताबिक है हमारे नही शायद हम ये भी भूल जाते है कि हम तो कोई नही कुछ भी नही पता नही किस बेनाम रिश्ते को नाम दिये जा रहे है ,पता नही क्या निभा रहे है, हम तो अजनबी है उस शख्श के लिए फिर किसको अपना बता रहे है,मन की मनोदशा कभी कभी विचारो के प्रहार से उद्दीगन हो जाती है मन टूट चुका होता है उन बातों से जिनके कसूररवार आप ठहरा दिये जाते हो ,शायद जीना नही आता मुझे या ये मान पाना कि कौन अपना और कौन पराया ,हम तो सिर्फ मानने से ही उस रिश्ते को निभाते जिसका कोई वजूद ही नही ना दुनिया मे ना उस व्यक्ति के लिए जिसको आप मानते हो .अपनी भावनाये शायद मेरी पहुँच से बाहर है लोग आपको हजार गलतियां बता के आपको बदलने की कोशिश करते है पर सिर्फ तब तक जब तक आप उनके मुताबिक ना हो उसके बाद वो ही बदल जाते ,कभी कभी अकेलापन शायद एक रोग बन जाता है तो हम अपने मन की लोगो से कह देते है बिना सोचे समझे की वो बातें उनके लिए महत्वहीन है शून्य है उनका अस्तित्व फिर क्यू किसी के लिए खुद को कटपुतली बनाना ,जब आपका वजूद ही ना हो .............

बोझ

आप जब लोगो पे बोझ बनने लगते है ,

आपकी मजूदगी से वो अखरने लगते है,

शायद रिश्ते जरूरत से ज्यादा कुछ भी नही,

जरूरते ख़तम होने पे रिश्ते भी समिटने लगते है,

Wednesday, 20 September 2023

शून्य

संदेह और प्रेम दोनो एक साथ नही रह सकते,

पर सच और झूठ रह सकते है ,

झूठ को सच का नकाब पहना के दूसरो को बेवकूफ बनाना कौनसा मुश्किल काम है ,

ये आसान भी इसीलिए है क्यूंकि आप यकीन करके खुद ही खुद को बेवकूफ बना रहे होते है ,

Wednesday, 30 August 2023

कांच

 कांच के चमचमाते से टुकड़े हीरे नही बन सकते,

ठीक वैसे ही जैसे दूसरो के लिए बनाई हुई बातें खुद पे लागू नहीं कर सकते,

बड़ी ही अच्छी लगती है कुछ बातें पर सिर्फ बातों में ही क्योंकि वो होती भी सिर्फ बातें ही है,

जब वही बातें उसी इंसान पे परखने लगो तो चुभने लगती है,

सच्चाई तब तक सच्ची लगती है जब तक दूसरी तरफ से छिपी रहे और एकतरफा हो,

खुद पे बात आती है तो सच्चाई के मायने ही बदल जाते है...........


Monday, 28 August 2023

मन के पंख

कितनी काल्पनिक और झूठ सी ये जादुई कहानियों की दुनिया ,वास्तविकता से कोसो दूर सबकी किस्मत जादू से बदलती हुई एक पल में चमत्कार ,और बच्चो को सुनाई जाने वाली परियो की कहानियां ना किसी ने आजतक इन परियों को देखा होगा ना ही किसी को कभी जादू जैसे चीज का ज्ञान मिला होगा , जीवन के सुहावने लुभावने मनमोहक सपनो सी ये दुनिया सच में किसी के साथ कभी कोई जादू नहीं होता है या यूं कहे जादू नाम की कोई चीज ही नहीं होती .................................




Friday, 30 June 2023

समर्पण और प्रेम

प्रेम में समर्पण का महत्व तो सभी बताते है ,

पर क्या खुद को उस समर्पण में ढाल पाते है,

जितना आप लोगो के लिए खुद को मिटाते जाओगे,

दूसरा आपको उतना ही आजमाता जाएगा,

आप मिट भी जाओगे तो मजाक ही बनाए जाओगे,

वक्त के साथ लोग बदल जायेंगे और आप सिर्फ एक तमाशा बन के रह जाएंगे,


Saturday, 17 June 2023

पूर्ण सत्य

 जिंदगी के सिरे ढूंढिए वक्त तो फिसल रहा है,

धीरे धीरे ही सही जिंदगी जा रही है मौत के करीब,

समेटिए खुद को दूसरों का आसरा छोड़िए,

सच सिर्फ इतना ही है हर एक रिश्ता किसी वजह और जरूरत से ही जुड़ा होता है,

मौत आने तक सब अपने ही लगते है मौत के बाद इंसान अकेले ही लकड़ी की चिता पे पड़ा होता है,

राख बन जाने तक रुकने वाले भी सोचते है समय खराब हो रहा है,

वो अंतिम संस्कार तेहरवी तक चलने वाले क्रियाकर्म को भी ढोंग और ढकोसला बताता है,

अरे जाने वाला गया अब भला कौन किसको याद आता है,

जिंदा रहते ही कहा याद करते है लोग हाल चाल पूछ के कोई एक आद ही औपचारिकता निभाता है,

रिश्ते और रिश्ते , रिश्तों के बाजार में रिश्तो की लेन देन में, रिश्तों के बोझ को निभाने वाला ही निभा पाता है ,

खैर छोड़िए जिंदगी है तब तक जिए खुद से खुद तक कोई याद करे तो ठीक कोई साथ चले तो ठीक ना भी चले तो भी ठीक ,कोई अपना माने तो ठीक ना भी माने तो भी ठीक ,दोस्त माने तो ठीक दुश्मन माने तो भी ठीक ,राम राम कहे और मस्त रहे दुनिया में कोई किसी का है ही नही इस यथार्थ के साथ जीवन का सफर तय कर मौत के अंतिम पडाव तक ...............................................................

Monday, 5 June 2023

भरम

 सब के पास चंद अपने है ,

मेरे पास भरम है,

हाथो की लकीरों में खोट है

या मैं ही गलत हूं रिश्ते निभाने में,

लोग सिर्फ आजमाते है मुझे अपनाते नही है,

लोगो को अपना समझने से वो अपने बन जाते नही है,..............

रेत के रिश्ते

 सबको अपना मान के जो हम चल रहे है,

हमेशा से गलत हम ही है जो अपनो को अपना समझ रहे है,

कोई क्यू समझे हमे सही हम तो उनमें से है जो सबको अखर रहे है,

हाथो में रेत ही रेत है हम और भर रहे है........................


Sunday, 2 April 2023

कोई अपना नहीं......

वक्त और हालात जब बदलते है तब हर इंसान बदल जाते है,
आज के अपने कल ख्वाब में भी ना नजर आते है,
मानने को किसी को अपना मानना आसान है,
बात जब निभाने की आती है हम लोगो को गैर नजर आते है,
यही हकीकत है जानते है हम फिर भी क्यों सबको अपना मान जाते है,
बात जब होंगी उनके अपनो की हम उनसे कोसो दूर नजर आते है,
क्योंकि नाम नही है सिर्फ एहसास है जो लोगो को नही समझ आते है,...........................

Saturday, 11 February 2023

नाउम्मीद....

 जब अपने अपने नहीं होते तो परायों से उम्मीद कैसी,

इस दिखावा और झूठ कि दुनिया में सच्चाई की उम्मीद कैसी,


Sunday, 22 January 2023

पिंजरे की कैद

 कभी कभी इंसान की स्थिति पिंजरे मे कैद उस पंछी जैसी होती जो पिंजरे से रिहा होने कि सोचना भी नहीं चाहता, मोह वश उसको पिंजरा ही अच्छा लगने लगता वो कैद को सहृष स्वीकार कर वाह्य दुनिया से खुद को अलग कर उस छोटे से पिंजरे को अपनी पूरी दुनिया मान लेता है, और बंधन मे बंधे होते भी जीवन् को आज़ाद होके जीता, पर मोह , माया , और भावनाओ से बना ये जाल् कभी ना कभी तो टूटता पर तब तक पंछी अपनी उड़ान भूल चुका होता अब उसे अपनी कैद से ज्यादा आजादी से डर लगने लगता , वो स्व छ्न्द आसमानो मे उड़ने वालोंं के साथ जीवन् जीने योग्य नहीं रहता ,अकेले उस पिंजरे मे कैद उसके सारे अपने उसको भूल चुके होते,पिंजरा टूटने पे रिहा होने पर उसके जीवन् का अस्तित्व भी समाप्त हो जाता , जैसे इंसान मोह से जुड़े होने कि वजह से अपने आप को अपनो के बीच सुरक्षित और मुक्त मानता जीवन् जीने कि उसकी लालसा मृत्यु जैसे सत्य को भी स्वीकार नहीं करना चाहती , और मृत्यु के बाद भी वो भटकाव लेके अपनो कि तलाश करता वो अपने जो माटी के पुतले को जला चुके होते, और दो चार दिन उसको भुलाने कि प्रकिया मे आगे बढ़ चुके होते , समय रुकता नहीं सब अपने जीवन् कि कैद मे जीवन् जीने लगते ,माया रूपी सोने के पिंजरे मे खुद को मुक्त मान लेते ...................


मन के घोड़े ......


 मन के घोड़े दूर दूर तक सपनो मे हो आते है ,

सपने तो सपने होते कब सच से नजर मिलाते है,

सपनो को जी लेने वाले भ्रम का जाल बनाते है,

खुद से खुद को ही दूर रखके हवा हवा ( भावनाओं) मे रह जाते है,

सच तो ये सच के सामने सपने दम तोड़ ही जाते है ................