Tuesday 6 August 2019
माननीय सुषमा स्वराज जी की अंतिम विदाई
ललाट पटल पर चमकती लाल बिंदी ,
मांग मे लाल सिन्दूर ,
चेहरे पे चमकती निश्छल मुस्कान,
स्वयं भारतीयता की एक पहचान,
तेज तर्रार आवाज बोले तो सामने कोई टिक नही सकता,
एक बेहतरीन प्रवक्ता ,
ह्रदय से सच्ची देशभक्त,
एक संवेदनशील राजनेता,
बहुमुखी प्रतिभा की धनी,
राष्ट्र के लिए पूर्ण समर्पित
माननीय सुषमा स्वराज जी की अचानक मृत्यु घटना अत्यंत ही मार्मिक एवं ह्रदय विदरींन करने वाली है .....
मांग मे लाल सिन्दूर ,
चेहरे पे चमकती निश्छल मुस्कान,
स्वयं भारतीयता की एक पहचान,
तेज तर्रार आवाज बोले तो सामने कोई टिक नही सकता,
एक बेहतरीन प्रवक्ता ,
ह्रदय से सच्ची देशभक्त,
एक संवेदनशील राजनेता,
बहुमुखी प्रतिभा की धनी,
राष्ट्र के लिए पूर्ण समर्पित
माननीय सुषमा स्वराज जी की अचानक मृत्यु घटना अत्यंत ही मार्मिक एवं ह्रदय विदरींन करने वाली है .....
Saturday 3 August 2019
दोस्ती काफी नही एक दिन इस रिश्ते को बयां करने के लिए चंद अल्फाजो में पिरोया नही जा सकता ये एहसास फिर भी आप सबके लिए ...
बचपन में स्कूल की चौखट पे पहला कदम रखते ही जो साथ मिलता है वो होता है दोस्त,
माँ के बाद जो सबसे पहले हाथ थामता है वो होता है दोस्त,
साथ पढ़ना, साथ खेलना, साथ खाना, साथ हँसना रोना हर बात में साथ निभाता है वो होता है दोस्त,
कट्टी बट्टी से लेके सारी खट्टी मीठी यादें संजोने वाला, कभी आपकी बातें छिपाने वाला,कभी शिकायत लगाने वाला वो होता है दोस्त,
बचपन से लेके बड़े होने तक चेहरे भले ही बदल जाए पर दोस्तों की आदतें नही बदलती वो होता है दोस्त,
आपकी हर समस्या का हल बिना कुछ कहे भी आँखों में पढ़ जानेवाला वो होता है दोस्त,
कभी मन उदास हो आप रोना भी चाहे तो जो रोने भी नही देता वो होता है दोस्त,
आपके आँसुओ को हंसी मे बदलनेवाला शरारत करके हँसाने वाला, हर मोड़ पे ढाल बनके संभालनेवाला वो होता है दोस्त,
आपकी हर छोटी बड़ी बातों का राजदार, आपकी नादानी पर से पर्दा उठानेवाला,आपको सही गलत का आईना दिखाने वाला वो होता है दोस्त,
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जो मिलता तो है बेमोल पर होता है अनमोल वो होता है दोस्त ,
जीवन के सफर में अतीत के पन्नो में ही दर्ज सही पर अपनी यादों की महक से जीवन को महकाने वाला वो होता है दोस्त..........…........
आप सब चाहे दूर रहे पास रहे,
खास रहे या बनके एहसास रहे,
मेरे जीवन मे आये मेरे सभी प्यारे मित्रो को मित्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये, (अंजलि)
Monday 29 July 2019
जीवन मर्म
कविता क्या चंद शब्दो का हेर फेर हैं,
जीवन क्या धूप छावं का तालमेल हैं,
सुख दुख क्या बदलते वक़्त का एक खेल हैं,
कुछ हकीकत ,कुछ फ़साना सबका अपना अपना अफसाना,
बड़ा अनूठा बड़ा ही अद्भुत जीवन मर्म को जान पाना,
हो कुछ भी सबने माना है जीवन एक अनमोल खजाना,
हाथ पसारे आते हैं सब हाथ पसारे सब को जाना .......
जीवन क्या धूप छावं का तालमेल हैं,
सुख दुख क्या बदलते वक़्त का एक खेल हैं,
कुछ हकीकत ,कुछ फ़साना सबका अपना अपना अफसाना,
बड़ा अनूठा बड़ा ही अद्भुत जीवन मर्म को जान पाना,
हो कुछ भी सबने माना है जीवन एक अनमोल खजाना,
हाथ पसारे आते हैं सब हाथ पसारे सब को जाना .......
मनोदशा
मन से मन की बात को समझे नही यूँ अनकही ,
मन से मन के रास्ते है माना है उनके घर नही,
ताल्लुक अल्फाजो के मोहताज हरगिज है नही,
भ्रम समझते है जो इनको उनने कुछ समझा नही
मन से मन के रास्ते है माना है उनके घर नही,
ताल्लुक अल्फाजो के मोहताज हरगिज है नही,
भ्रम समझते है जो इनको उनने कुछ समझा नही
Thursday 25 July 2019
ऐ जिंदगी तुझे तो हम जी ही लेंगे ,
तुझे पाने पे तो रोते हुए आये थे हम पर इतना वादा है विदा होने पे तुझे हँसते हुए ही मिलेंगे,
तू ख़ुशी के पल दे या बेबसी के,
तू ख्वाहिशें दे या बेकसी दे,
तू जर्रा नवाज बन या नजरअंदाज कर,
तुझको अपने हौसलों की ताकत हम भी दिखा ही देंगे,
तू मौत से डरा मत मुझे जरा जी ले उससे भी जिंदादिली से ही मिलेंगे,
बस इतनी दुआ है कि मेरे जाने के बाद कोई ना रोये,
मुझको याद करके खुश हो मेरे अपने ,अपनी आँखे ना भिगोये,
Tuesday 23 July 2019
भारत माँ की इस भूमि पे यूँ आज़ाद से लाल हुए ,
गर्भित है मन , पुलकित है मन , कैसे अपने इतिहास हुए,
निज स्वार्थ नही , सिर्फ राष्ट्र प्रेम की वेदी पे यूँ आप कुर्बान हुए,
आज के वर्तमान में लोग अपनी माँ को खून नही देते,
आप भारत माँ पे जान को हार दिए,
इस धरा के भूषण को ये पावन धरा भूल नही सकती,
अभिनन्दन आपका कोटिशः आप आज भी आज़ाद है
धरा, गगन ,पाताल, वायु ,जल कहाँ कैद हुआ करते है
महान देशप्रेमी वीर बलिदानी को आज उनके जन्मदिवस पे कोटि कोटि नमन ,जय हिंद ,जय भारत भूमि
गर्भित है मन , पुलकित है मन , कैसे अपने इतिहास हुए,
निज स्वार्थ नही , सिर्फ राष्ट्र प्रेम की वेदी पे यूँ आप कुर्बान हुए,
आज के वर्तमान में लोग अपनी माँ को खून नही देते,
आप भारत माँ पे जान को हार दिए,
इस धरा के भूषण को ये पावन धरा भूल नही सकती,
अभिनन्दन आपका कोटिशः आप आज भी आज़ाद है
धरा, गगन ,पाताल, वायु ,जल कहाँ कैद हुआ करते है
महान देशप्रेमी वीर बलिदानी को आज उनके जन्मदिवस पे कोटि कोटि नमन ,जय हिंद ,जय भारत भूमि
Thursday 18 July 2019
नंदियो की मौज सा मुझे अब खामोश बहना है,
कुछ नही कहना ,कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है,
जाना है शून्य की गहराई मे जाननी है अपने ही मन की थाह,
खुद की उथल पुथल मे अपने मन की सुनना है,
कुछ नही कहना, कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है,
जो पीछे छूट रहा सा रहा है उस लम्हे को हाथ बढ़ा के थामने का जिक्र क्या करे,
मेरे हाथ पसीजे है जिनमे सिर्फ पसीना ही पसीना है,
काई सी जम रही है मेरे उन विचारों पे जिनने समझा था कभी हर एक शख्स एक नगीना है,
मगर कहाँ कोहिनूर यूँ ही मिलना है,
कुछ नही कहना, कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है..............
कुछ नही कहना ,कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है,
जाना है शून्य की गहराई मे जाननी है अपने ही मन की थाह,
खुद की उथल पुथल मे अपने मन की सुनना है,
कुछ नही कहना, कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है,
जो पीछे छूट रहा सा रहा है उस लम्हे को हाथ बढ़ा के थामने का जिक्र क्या करे,
मेरे हाथ पसीजे है जिनमे सिर्फ पसीना ही पसीना है,
काई सी जम रही है मेरे उन विचारों पे जिनने समझा था कभी हर एक शख्स एक नगीना है,
मगर कहाँ कोहिनूर यूँ ही मिलना है,
कुछ नही कहना, कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है..............
Monday 15 July 2019
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है,
जब भी मैं खुद को समेट के खड़े होती हूं तू टांग अड़ाने क्यों चली आती है,
माना मेरी ख़ुशी तुझसे देखीं नही जाती ,
तो तू गम मे भी मेरी खिल्ली उड़ाने क्यों चली आती है,
लेन देन का खेल बंद कर दे अपना तुझसे मुझे कुछ नही चाहिए ,
जो तूने दे दिया वो संभाल नही पायी मै आज तक ,
तुझसे इससे ज्यादा उम्मीद नही मेरी,
जा पीछा छोड़ मेरा मुझे छोड़ दे मेरे हाल पे क्यों बार बार तू झूठी हँसी हंसा के रुलाने चली आती है,
जा ले जा अपनी सांसे भी अपनी धड़कन भी शांत रहने दे मुझे शोर सुनाने क्यों चली आती है,
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है,
मुझे तू समझ बैठी क्या है??
तू जो दे रही मे चुप करके सब स्वीकार करू,
क्यों करू नही चाहिए तुझसे कुछ भी ले जा मुझे मुझ मे रहने दे तू जा,
जा मै क्यों न तेरा प्रतिकार करू,
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है ...............
जब भी मैं खुद को समेट के खड़े होती हूं तू टांग अड़ाने क्यों चली आती है,
माना मेरी ख़ुशी तुझसे देखीं नही जाती ,
तो तू गम मे भी मेरी खिल्ली उड़ाने क्यों चली आती है,
लेन देन का खेल बंद कर दे अपना तुझसे मुझे कुछ नही चाहिए ,
जो तूने दे दिया वो संभाल नही पायी मै आज तक ,
तुझसे इससे ज्यादा उम्मीद नही मेरी,
जा पीछा छोड़ मेरा मुझे छोड़ दे मेरे हाल पे क्यों बार बार तू झूठी हँसी हंसा के रुलाने चली आती है,
जा ले जा अपनी सांसे भी अपनी धड़कन भी शांत रहने दे मुझे शोर सुनाने क्यों चली आती है,
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है,
मुझे तू समझ बैठी क्या है??
तू जो दे रही मे चुप करके सब स्वीकार करू,
क्यों करू नही चाहिए तुझसे कुछ भी ले जा मुझे मुझ मे रहने दे तू जा,
जा मै क्यों न तेरा प्रतिकार करू,
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है ...............
Thursday 4 July 2019
Friday 21 June 2019
Monday 17 June 2019
मेरी सखी
एक तू ही है जो मुझे खुद में समेट लेती है,
मेरे मन की बात को किसी से भी न कहती है,
जो कुछ होता है मुझमे अनकहा सा तू वो भी समझ लेती है,
एक तेरे साथ ने जिंदगी दी है हमे,
वरना जीवन का गुबार हमे डूबा देता,
हम किसी से कभी कुछ न कह पाते,
हमारा अपना ही दर्द हमे सुला देता,
मन जब भी व्यथित होता तेरे पास होती हूँ मैं
मन जब भी निराश होता है एक तूही होती है मेरे साथ मेरी आश बनके,
तूने भी मेरा साथ दिया है लम्हा लम्हा,
बहुत बार सम्भाल लिया हमे तनहा,
एक वादा तुझसे मांगती हूँ मै मेरा साथ मत छोड़ना,
जब भी मेरे कदम डगमगाये मुझे सँभाल लेना,
जोर से थामना हाथ की हम होश मे आ जाए,
फिर से तेरे सिवा किसी को अपने आप तक न ला पाये,
तू जीवन भर साथ रहना मेरे यूँही,
अल्फाज ना भी हो तो मेरे मौन को स्वीकार लेना,
इस दुनिया के भर्म जाल से हमे उबार लेना,
नही चाहिए मुझे इस बेग़ैरत दुनिया से कुछ भी,
यहां लोग सिवाय धोखे के दे भी क्या सकते है,
मेरे मन की बात को किसी से भी न कहती है,
जो कुछ होता है मुझमे अनकहा सा तू वो भी समझ लेती है,
एक तेरे साथ ने जिंदगी दी है हमे,
वरना जीवन का गुबार हमे डूबा देता,
हम किसी से कभी कुछ न कह पाते,
हमारा अपना ही दर्द हमे सुला देता,
मन जब भी व्यथित होता तेरे पास होती हूँ मैं
मन जब भी निराश होता है एक तूही होती है मेरे साथ मेरी आश बनके,
तूने भी मेरा साथ दिया है लम्हा लम्हा,
बहुत बार सम्भाल लिया हमे तनहा,
एक वादा तुझसे मांगती हूँ मै मेरा साथ मत छोड़ना,
जब भी मेरे कदम डगमगाये मुझे सँभाल लेना,
जोर से थामना हाथ की हम होश मे आ जाए,
फिर से तेरे सिवा किसी को अपने आप तक न ला पाये,
तू जीवन भर साथ रहना मेरे यूँही,
अल्फाज ना भी हो तो मेरे मौन को स्वीकार लेना,
इस दुनिया के भर्म जाल से हमे उबार लेना,
नही चाहिए मुझे इस बेग़ैरत दुनिया से कुछ भी,
यहां लोग सिवाय धोखे के दे भी क्या सकते है,
Thursday 13 June 2019
प्राणवायु
रास्ते भर हवा की सरसराहट कितनी आवाज अलग सी धुन , अलग सी महक, अलग अंदाज, चाहे न चाहे वो अपने होने का अपने वजूद का एहसास कराती है ,बताती है इस कायनात में अकेला कोई नही मै हूँ लगती बेमुल्य पर हूँ बहुमूल्य मेरे बिना जीवन यूँ जैसे बिना आत्मा का शरीर , मैं एकदम सरल ,निश्छल, निष्कपट,अनवरत प्रवाहमयी मैं वो प्राण वायु जो कभी प्राण दे के जनम का रूप धारण करने वाली और कभी प्राण हर के मृत्यु का रूप धारण करके निष्प्राण कर देने वाली..................
Monday 10 June 2019
सीमाएं
बचपन से ही कुछ सीमाएं तय की जाती है लड़कियों की , मान की ,सम्मान की, इज्जत की, इन्हें बेड़ियां ही कहेंगे आज के लोग पर ये बेड़ियां नही उस परिवार की आन है जहां जन्मी हो लड़की, ये आन आप की जिम्मेदारी तब बनती है जब आप के सर पे आधार(पिता का हाथ) ना हो, एक लड़की उस दिन अपनी जिम्मेवारी खुद अपने काँधे रखती है, जब उसे कोई टोकने वाला ना हो, स्वतंत्रता की भी सीमाए खुद ही तय करनी पड़ती है और बंदिशों की भी, अपने संस्कारो की भी और दुनिया की उँगलियों को उठ्ने से पहले तोड़ने की भी , ये सिद्धान्त खोखले हो सकते है अत्याधुनिक वर्तमान युग के लिए पर ये कभी असत्य नही हो सकते, बंदिशों के आगे भी जहान है ,खुला आसमान है, निर्द्वंद स्वछन्द पर ये स्वतन्त्रता उतनी ही स्वतंत्र है जितनी पानी खींचने वाली ड़ोर , ड़ोर के बिना कुँए से जल निकालना मुमकिन नही ,
के , उसी तरह बिना बंदिशो के निर्द्वन्द संसार में मान की उम्मीद करना भी सिर्फ एक कल्पना मात्र हैं/
के , उसी तरह बिना बंदिशो के निर्द्वन्द संसार में मान की उम्मीद करना भी सिर्फ एक कल्पना मात्र हैं/
Tuesday 4 June 2019
व्याख्या
भरोसा
भ- भावनाओ का
रो-रोष रहित
सा-साथ
विश्वास
वि-विशेष
श्वा-साँसों का
स- संकलन
दोनों का स्थान गर एक बार डगमगाया तो जिंदगी बोझ और साँसे घुटन बन के रह जाती है
अंजलि
भ- भावनाओ का
रो-रोष रहित
सा-साथ
विश्वास
वि-विशेष
श्वा-साँसों का
स- संकलन
दोनों का स्थान गर एक बार डगमगाया तो जिंदगी बोझ और साँसे घुटन बन के रह जाती है
अंजलि
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