बात की बात थी ,
बातों में बात थी,
बातों ही बातों मे बात बीत गई,
बातों की कहानी बनी,
बातों का बतंगड बना ,
इन्ही बातों बातों मे दिन और रात बीत गई .........
बात की बात थी ,
बातों में बात थी,
बातों ही बातों मे बात बीत गई,
बातों की कहानी बनी,
बातों का बतंगड बना ,
इन्ही बातों बातों मे दिन और रात बीत गई .........
बहुत दिन बीते मेरी खुद से कोई ना बात हुई,
मिलते है बाहरी दुनिया से खुद से पर मुलाकात ना हुई,
कई बार उमडे मन के बादल पर बरसात ना हुई,
आँखों मे नमी भी रही , भावनाओं मे ख़ुशी भी रही पर इनकी रहमत हमारे साथ ना हुई......................
जिंदगी और मौत का अगर कोई सवाल नहीं,
तो यूँही असत्य कहना मेरा कोई कारोबार नहीं,
झूठ से हासिल कभी कुछ भी तो होता नहीं,
सार्वभौमिक सत्य है जीवन कोई धोखा नहीं.......अंजलि
जिंदगी किसी जंग से कम नज़र आती नहीं,
हम जिंदा है या मर चुके है बात समझ आती नहीं,
ना नजरिए है ना नजारे है,
कभी सोचो तो डर लगता क्या हम वही है ??
जो कभी किसी बात से डरते ना थे,
हर गलत बात पे लड़ते थे पीछे हटते ना थे,
अब बड़े मजबूर और कमजोर से हो गए है हम,
लगता है अपने आप से हि दूर हो गए है हम,
किस किस से लड़े किस किस कि सुने
जीवन शूल सा भूकता है,
कौन सी राह चलें, कौन सी छोड़ दे,
कौन सपना है कौन पराया किसे क्या कहे या कुछ भी कहना छोड़ दे,
ये खामोशी कहीं मुझे खामोश हि ना कर दे..............
जीवन की आपाधापी में हम कुछ ऐसे दौड़े,
उतर गए रंग ,
दिखें सबके ढंग,
चलो अब हौले हौले....................