Thursday, 17 October 2024

रिश्ते......

 अगर आप खुद को मिटा सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

आप अपनी भावनाएं अपने मन के भाव सिर्फ अंतर्मन में छिपा सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

अपना गुस्सा अपना डर सिर्फ खुद को दिखा के दूसरो के सामने मुस्कुरा सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

सब सही गलत भूल के अगर आप खुद को दोषी बना सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

आप रहे या ना रहे खुद में बाकी पर दूसरो को उनके लिए नजर आ सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

सारी शर्ते सारी परिस्थिति में आप अपने आप को भुला सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

कटपुतली जैसे मौन रह के सबके इशारों पे खुद को नचा सकते हैं तो हां आप रिश्ते निभा सकते है ,

मान अपमान सब में खुद को स्वयं दबा सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है,

आप किसी भी स्थिति में हो पर औरों के लिए हर वक्त खड़े आ सकते है तो हां आप रिश्ते निभा सकते है ......

Tuesday, 23 July 2024

हकीकत

हाथों की टेढ़ी मेढ़ी लकीरों सी हैं जिंदगी इतनी उलझी है की सिरे नही मिलते ,

हमारे अपना मान लेने से दुनिया में कभी अपने नही मिलते,

लोग हमे वक्त और जरूरत के हिसाब से बदलते बहुत है हम इस जमाने के हिसाबो से नही मिलते,

लोग बोलते है समझते नही है हम उनको पर कभी कोई हमे भी समझेगा ये भरम भी हमे नही मिलते,

रिश्तों की हकीकतों के आइने में जो खुद को ढूंढू मे यहां दुनिया तो मिलती है पर ऐसे आइने नहीं मिलते ,

Thursday, 25 April 2024

बनावट दर्द की

 मिलावट की दुनिया मे हम सोने जैसा दिल ढूंढना चाहते है,चांदी सी चमक सा प्यार पाना चाहते है,

ना सोना सच्चा ना चांदी असली इस बनावटी दुनिया मे लोगो पे यकीन करके बस कुछ और नही धोखा पाना चाहते है,

वक्त से जल्दी बदलते लोगो को अपना वक्त देकर हम बस इस तिलिस्मी दुनिया मे खो जाना चाहते है...................


Tuesday, 23 April 2024

ख्वाईश

 जिंदगी इतनी बड़ी क्यों है क्यों ना मौत आती है,

जिंदा रहते हुए मरने से क्यों ना मुक्ति दिलाती है,

ख्वाईश नही है कोई अब ऐसे जीने की,

मजबूरी बन गई बस सांसे लेने की......

Sunday, 21 April 2024

जन्मदिन

 लोग देते है इस दिन ढेर सारी शुभकामनाएं पर मेरे पास देने को आंसू के सिवा कुछ ना होता ,होता होगा लोगो के लिए ये खास खुशियों का दिन इस दिन से ज्यादा उदास पूरी साल में कोई दिन नही होता, हंसना तो क्या इस दिन तो झूटी मुस्कान भी नही आती है, कुछ सालो से भूल गई थी इस दिन को आज फिर सब पहले जैसा है , यही नियति है मेरी और बस यही मेरी हाथों की रेखा है ...........



हक

मुझे हक नही अब कि तुमपे अपना मैं हक जताऊ,
यूं पराया किया है एक पल में मै क्या अब खुद को समझाऊं,
सुकून से जीना बस तुम सोचना भी ना मुझे चाहे मैं मर भी जाऊ,
सारी गलतियां मै अपनी ही मानु यही दुआ है बस इस जिंदगी मे कभी तुम्हे ना मैं याद आऊं ...............





Saturday, 30 December 2023

 कर्ण प्रिय शब्दो पे यकीन ना करे वो सिर्फ शब्द है जो सिर्फ कहने के लिए कहे जाते है, अर्थ जानने निकलेंगे तो सब भावविहीन, विश्वास करने निकलेंगे तो सब काल्पनिक , खुद को निर्भर कर दिया तो वजूद विहीन, बिना नीवं के मकान जैसे खुद को पाएंगे .....

Saturday, 4 November 2023

 Sometimes we are unable to understand ourselves and expect others to understand us. Sometimes we are unable to silence our own mind. I don't know how many desires it carries with it which cannot be fulfilled because life is always full of compromises. Either compromise or try to change yourself.

Tuesday, 31 October 2023

रिश्ते या सपने

 भरम मत पालिये की इस दुनिया मे लोग आपके अपने है,

 बस चंद मीठे, चंद कड़वे अनुभव आपके अपने है,

बाकी तो सब सोती नींद मे देखे हुए सपने है ............

नींद टूटी तो सपना ख़तम....

Always stay alone

 खुद ही गिरना है ,

खुद ही सम्भलना है,

रास्ते पथरीले हो या रेतीले,  

जीवन मे बस अकेले ही चलना है,

होते होंगी दुनिया के साथ अपनों की भीड़

यहाँ अपनों से ठगे बैठे है खुद ही उबरना है,

हाथों की लकीरें कुछ ऐसी है हाथ मे,

करो सबका पर कोई ना होगा साथ मे,

हाथों को थामने को दूसरा हाथ सिर्फ अपना है,

खुद ही गिरना है ,

खुद ही सम्भलना है,

जीवन मे बस अकेले ही चलना है ........................

Monday, 30 October 2023

 नकारात्मकता किसी के जेहन मे यूँही नही जाती हर इंसान चाहता है खुश रहना पर जब आपको जीवन ने सिर्फ किये के बदले राख ही परोसी हो तो आप किस सोच से सकारात्मकता का दामन थामे,या तो आप खुद को हद तर्जे का बेफकूफ मान ले ,या अपने जीवन मे खुद को हीं अपने लिए सिर्फ एक अभिशाप

 आपके होने या ना होने से जब किसी को कोई फर्क नही पड़ता तो आप शायद घर मे पड़े उस खिलोने से है जिन्हे वक़्त होने या मन होने पे खेल के छोड़ दिया जाता है, या उस जानवर की तरह जिन्हे पुचकार बुलाया जाता है जब खुद का टाइम पास करना हो उसके बाद भगा दिया जाता है , क्या ये जीवन आप उन लोगो के हिस्से मे देना चाहेंगे जिनके लिए आप सिर्फ एकनाम है आपकी भावनाये, संवेदनाये सिर्फ उनको समझने के लिए हो पर आप खुद इस उम्मीद से परे रहे कि आपके मन को भूल कर भी कोई समझेगा ,नही समझेगा तो क्यू ही समझाना क्यों बेवजह लोगो के जीवन मे खुद की उपस्थिति दरसाना जब आप हीं उनके लिए महत्वहीन है तो आप की भावनाये तो मायने क्या हीं रखेंगी, कभी कभी हम लोगो को खुद से ज्यादा मान बैठते है भूल जाते है खुद को भी ,पर दुसरो का तो वजूद है उनका अपना जीवन उनके मुताबिक है हमारे नही शायद हम ये भी भूल जाते है कि हम तो कोई नही कुछ भी नही पता नही किस बेनाम रिश्ते को नाम दिये जा रहे है ,पता नही क्या निभा रहे है, हम तो अजनबी है उस शख्श के लिए फिर किसको अपना बता रहे है,मन की मनोदशा कभी कभी विचारो के प्रहार से उद्दीगन हो जाती है मन टूट चुका होता है उन बातों से जिनके कसूररवार आप ठहरा दिये जाते हो ,शायद जीना नही आता मुझे या ये मान पाना कि कौन अपना और कौन पराया ,हम तो सिर्फ मानने से ही उस रिश्ते को निभाते जिसका कोई वजूद ही नही ना दुनिया मे ना उस व्यक्ति के लिए जिसको आप मानते हो .अपनी भावनाये शायद मेरी पहुँच से बाहर है लोग आपको हजार गलतियां बता के आपको बदलने की कोशिश करते है पर सिर्फ तब तक जब तक आप उनके मुताबिक ना हो उसके बाद वो ही बदल जाते ,कभी कभी अकेलापन शायद एक रोग बन जाता है तो हम अपने मन की लोगो से कह देते है बिना सोचे समझे की वो बातें उनके लिए महत्वहीन है शून्य है उनका अस्तित्व फिर क्यू किसी के लिए खुद को कटपुतली बनाना ,जब आपका वजूद ही ना हो .............

बोझ

आप जब लोगो पे बोझ बनने लगते है ,

आपकी मजूदगी से वो अखरने लगते है,

शायद रिश्ते जरूरत से ज्यादा कुछ भी नही,

जरूरते ख़तम होने पे रिश्ते भी समिटने लगते है,

Wednesday, 20 September 2023

शून्य

संदेह और प्रेम दोनो एक साथ नही रह सकते,

पर सच और झूठ रह सकते है ,

झूठ को सच का नकाब पहना के दूसरो को बेवकूफ बनाना कौनसा मुश्किल काम है ,

ये आसान भी इसीलिए है क्यूंकि आप यकीन करके खुद ही खुद को बेवकूफ बना रहे होते है ,

Wednesday, 30 August 2023

कांच

 कांच के चमचमाते से टुकड़े हीरे नही बन सकते,

ठीक वैसे ही जैसे दूसरो के लिए बनाई हुई बातें खुद पे लागू नहीं कर सकते,

बड़ी ही अच्छी लगती है कुछ बातें पर सिर्फ बातों में ही क्योंकि वो होती भी सिर्फ बातें ही है,

जब वही बातें उसी इंसान पे परखने लगो तो चुभने लगती है,

सच्चाई तब तक सच्ची लगती है जब तक दूसरी तरफ से छिपी रहे और एकतरफा हो,

खुद पे बात आती है तो सच्चाई के मायने ही बदल जाते है...........


Monday, 28 August 2023

मन के पंख

कितनी काल्पनिक और झूठ सी ये जादुई कहानियों की दुनिया ,वास्तविकता से कोसो दूर सबकी किस्मत जादू से बदलती हुई एक पल में चमत्कार ,और बच्चो को सुनाई जाने वाली परियो की कहानियां ना किसी ने आजतक इन परियों को देखा होगा ना ही किसी को कभी जादू जैसे चीज का ज्ञान मिला होगा , जीवन के सुहावने लुभावने मनमोहक सपनो सी ये दुनिया सच में किसी के साथ कभी कोई जादू नहीं होता है या यूं कहे जादू नाम की कोई चीज ही नहीं होती .................................




Friday, 30 June 2023

समर्पण और प्रेम

प्रेम में समर्पण का महत्व तो सभी बताते है ,

पर क्या खुद को उस समर्पण में ढाल पाते है,

जितना आप लोगो के लिए खुद को मिटाते जाओगे,

दूसरा आपको उतना ही आजमाता जाएगा,

आप मिट भी जाओगे तो मजाक ही बनाए जाओगे,

वक्त के साथ लोग बदल जायेंगे और आप सिर्फ एक तमाशा बन के रह जाएंगे,


Saturday, 17 June 2023

पूर्ण सत्य

 जिंदगी के सिरे ढूंढिए वक्त तो फिसल रहा है,

धीरे धीरे ही सही जिंदगी जा रही है मौत के करीब,

समेटिए खुद को दूसरों का आसरा छोड़िए,

सच सिर्फ इतना ही है हर एक रिश्ता किसी वजह और जरूरत से ही जुड़ा होता है,

मौत आने तक सब अपने ही लगते है मौत के बाद इंसान अकेले ही लकड़ी की चिता पे पड़ा होता है,

राख बन जाने तक रुकने वाले भी सोचते है समय खराब हो रहा है,

वो अंतिम संस्कार तेहरवी तक चलने वाले क्रियाकर्म को भी ढोंग और ढकोसला बताता है,

अरे जाने वाला गया अब भला कौन किसको याद आता है,

जिंदा रहते ही कहा याद करते है लोग हाल चाल पूछ के कोई एक आद ही औपचारिकता निभाता है,

रिश्ते और रिश्ते , रिश्तों के बाजार में रिश्तो की लेन देन में, रिश्तों के बोझ को निभाने वाला ही निभा पाता है ,

खैर छोड़िए जिंदगी है तब तक जिए खुद से खुद तक कोई याद करे तो ठीक कोई साथ चले तो ठीक ना भी चले तो भी ठीक ,कोई अपना माने तो ठीक ना भी माने तो भी ठीक ,दोस्त माने तो ठीक दुश्मन माने तो भी ठीक ,राम राम कहे और मस्त रहे दुनिया में कोई किसी का है ही नही इस यथार्थ के साथ जीवन का सफर तय कर मौत के अंतिम पडाव तक ...............................................................

Monday, 5 June 2023

भरम

 सब के पास चंद अपने है ,

मेरे पास भरम है,

हाथो की लकीरों में खोट है

या मैं ही गलत हूं रिश्ते निभाने में,

लोग सिर्फ आजमाते है मुझे अपनाते नही है,

लोगो को अपना समझने से वो अपने बन जाते नही है,..............

रेत के रिश्ते

 सबको अपना मान के जो हम चल रहे है,

हमेशा से गलत हम ही है जो अपनो को अपना समझ रहे है,

कोई क्यू समझे हमे सही हम तो उनमें से है जो सबको अखर रहे है,

हाथो में रेत ही रेत है हम और भर रहे है........................


Sunday, 2 April 2023

कोई अपना नहीं......

वक्त और हालात जब बदलते है तब हर इंसान बदल जाते है,
आज के अपने कल ख्वाब में भी ना नजर आते है,
मानने को किसी को अपना मानना आसान है,
बात जब निभाने की आती है हम लोगो को गैर नजर आते है,
यही हकीकत है जानते है हम फिर भी क्यों सबको अपना मान जाते है,
बात जब होंगी उनके अपनो की हम उनसे कोसो दूर नजर आते है,
क्योंकि नाम नही है सिर्फ एहसास है जो लोगो को नही समझ आते है,...........................

Saturday, 11 February 2023

नाउम्मीद....

 जब अपने अपने नहीं होते तो परायों से उम्मीद कैसी,

इस दिखावा और झूठ कि दुनिया में सच्चाई की उम्मीद कैसी,


Sunday, 22 January 2023

पिंजरे की कैद

 कभी कभी इंसान की स्थिति पिंजरे मे कैद उस पंछी जैसी होती जो पिंजरे से रिहा होने कि सोचना भी नहीं चाहता, मोह वश उसको पिंजरा ही अच्छा लगने लगता वो कैद को सहृष स्वीकार कर वाह्य दुनिया से खुद को अलग कर उस छोटे से पिंजरे को अपनी पूरी दुनिया मान लेता है, और बंधन मे बंधे होते भी जीवन् को आज़ाद होके जीता, पर मोह , माया , और भावनाओ से बना ये जाल् कभी ना कभी तो टूटता पर तब तक पंछी अपनी उड़ान भूल चुका होता अब उसे अपनी कैद से ज्यादा आजादी से डर लगने लगता , वो स्व छ्न्द आसमानो मे उड़ने वालोंं के साथ जीवन् जीने योग्य नहीं रहता ,अकेले उस पिंजरे मे कैद उसके सारे अपने उसको भूल चुके होते,पिंजरा टूटने पे रिहा होने पर उसके जीवन् का अस्तित्व भी समाप्त हो जाता , जैसे इंसान मोह से जुड़े होने कि वजह से अपने आप को अपनो के बीच सुरक्षित और मुक्त मानता जीवन् जीने कि उसकी लालसा मृत्यु जैसे सत्य को भी स्वीकार नहीं करना चाहती , और मृत्यु के बाद भी वो भटकाव लेके अपनो कि तलाश करता वो अपने जो माटी के पुतले को जला चुके होते, और दो चार दिन उसको भुलाने कि प्रकिया मे आगे बढ़ चुके होते , समय रुकता नहीं सब अपने जीवन् कि कैद मे जीवन् जीने लगते ,माया रूपी सोने के पिंजरे मे खुद को मुक्त मान लेते ...................


मन के घोड़े ......


 मन के घोड़े दूर दूर तक सपनो मे हो आते है ,

सपने तो सपने होते कब सच से नजर मिलाते है,

सपनो को जी लेने वाले भ्रम का जाल बनाते है,

खुद से खुद को ही दूर रखके हवा हवा ( भावनाओं) मे रह जाते है,

सच तो ये सच के सामने सपने दम तोड़ ही जाते है ................

Sunday, 20 November 2022

रंग उतरता ही है....

 जब दरार सी आती है फर्क पड़ ही जाता है ,

जुडाव से बिखराव तक का सफर चल ही जाता है,

दर्रे दर्रे उतर जाती है सब पपड़ीयां,

खो जाती है रंगत बदल जाती है सारी हस्तियां,

रंग उतरता ही है इंसान हो या तितलियां,,लल

,

जिंदगी एक रेल.......

 रेल सी लम्बी जिंदगी और बोगी जैसे जुड़े हर रिश्ते और यात्री जैसे जुड़े हर अपने ....

रेल सी जिंदगी है ,

है बड़ा लम्बा सफर,

जितने डिब्बे है जुड़े सबका अपना नंबर,

चल रहे है एक पटरी रास्ता है बस सफर,

कौन आए कौन जाए पटरियों को क्या खबर,

उच्च नीच   जाति जैसे  जुड़े एसी से जनरल ,

अपना अपना  श्रेणीक्रम है, अपना अपना मूल्य है,

यूँ तो है एक ही डगर है ,अन्तर


तो पर जरूर है,

समाज के भेदभाव जैसा रेल पे भी है असर,

सब जुड़े से दिख रहे है है सभी अलग थलग,

कि जिंदगी एक रेल सी है, है बड़ा लम्बा सफर ..

बोगी जुडती कपलिंग से बँधी रहती वेक्यूम से,

रिश्ते जुड़ते भावनाओं से बंधे रहते स्नेह से,

टूट जाते स्वार्थ से, छल से, चाल से, कपट से,दम्भ से

उतर जाते यात्री से अपने अपने मतलब से अपने अपने स्टेशन,

रास्ते है पडाव है बांधाये है सुख दुःख सी,

चलती जाती रेल का बस चलते जाना अनवरत,

कभी जीवन के अंत तक भी साथ देती पटरियां,

या कभी यूँही कहीं बोझिल हो टूट जाती सी है,

कौन आए कौन जाए पटरियों को क्या खबर,

जिंदगी एक रेल सी है ,है बड़ा लम्बा सफर ..

किसकी मंजिल है कहां तक कितना लम्बा है सफर .........................



Thursday, 12 May 2022

..........

 कभी कभी खुद को खुद ही दफनाना पड़ता है ,

अपनी जिंदगी को जीते जी मौत जैसा बनाना पड़ता है,

ख़ुशी नहीं मिलती किसी को भी ऐसा करके 

पर खुद से हार कर खुद को दिखाना पड़ता है,


Wednesday, 11 May 2022

दो कदम

 दो कदम आगे ही तो बढ़े थे ,

हम को बदल के लोग बदलने लगे ,

हंसी कि उम्मीद तो हमको कभी थी ही नहीं,

लोग आँखो मे आँसू देख के ही हंसने लगे,

दूसरों को खुश रखने को हमने खुद से ही समझौते किये,

लोग हमें जख्म दे के हमसे मुकरने लगे,

खेल नहीं हूँ मैं जो कल अपने बनने का दावा किये,

आज वो दाँव खेलने लगे ..................

Sunday, 24 April 2022

संग्राम

 पता नहीं कितनी कसौटीयां और कितने इम्तिहान है ,

जीवन जीवन सा है या कोई युद्ध है संग्राम है,


तमाशा

 ये तो सच है कि भगवान झटके देते है कभी कभी अनगिनत,

कभी सपने शुरू होने के पहले ही खत्म हो जाते है,

कभी मुस्कुराते हुए चेहरे पल भर मे आंसुओं कि बाढ़ मे बदल जाते है,

कभी कभी अपने अपनो से इतनी दूर निकल जाते है जहां ना आवाज जाती है ,ना ख़ामोशी

ये जनम वो जनम ,अच्छे कर्म बुरे कर्म ,

हाथों कि लकीरें, माथे कि लकीरें,

मेरी तक़दीर ,तेरी तकदीर,

किसने देखा है आने वाला कल ,

पर क्या ये वक़्त जो थम गया बरसो से सिर्फ अपने लिए ,

ऐसा कौन सा जनम था वो जहां के कर्ज यहां तक चलें आए,

इस जनम का तो याद नहीं ऐसा कौन सा कर्म था वो जिसकी सजा आज तक पूरी ना हुई ,

सोच और समझ से परे हम ने किया क्या जो हमसे रास्ते ही छूट गए,

अपने जो नाम के ही अपने थे उनके भी गर्दिश मे हाथ ही छूट गए,

लोग समझते है हम ज़िंदा है आज तक कुछ मौत ऐसी भी होती है जिनमें साँसे नहीं जाती ,

ये वो मौत है जिसमें शरीर ख़ाक नहीं होता चिता पे नहीं सोता ,

मरने वाले को तो फिर भी सुकून मिल गया होता है ये तो वो मौत है जहां इंसान जिंदा ही मर गया होता है,

रिश्तों के तमाशे मे भावनांए दफ्न हो गई,

ऊधेर बुन और कसमकश मे जीवन अपना अस्तित्व खो गई 

Thursday, 14 April 2022

जिंदगी की आजमाईश

 जिंदगी तु मुझे हर बारी क्यूँ आजमाने चली आती है,

जब भी जीने की कोशिश करती हूँ तू सताने चली आती है,

छोड़ दे ना अकेला मुझे क्यूँ हर बारी एक नया ख्वाब दिखाने चली आती है,

दुनिया के छलावे से जब भी खुद को समेट के खड़ा करती हूँ तू मुझे फिर उलझाने चली आती है,

साँसे है चल रही है वक़्त है गुजर रहा है क्यूँ हर बारी तू अपनेपन का स्वांग रचाने चली आती है,

चुपचाप ही तो हूँ किसी का क्या लेती क्यूँ हर बारी तू मुझे भूला हुआ सब याद कराने चली आती है,

अब मुस्कुराने की हिम्मत भी ना होती मेरी क्यूँ की तू हर बारी आंसुओं कि चादर मुझे तोहफे मे देने चली आती है ........................................................



Saturday, 26 March 2022

मनो व्यथा

 कुछ बेचेनी है जो समझ नहीं आती , 

कश्मकश सी हर वक़्त छाई है, 

मुझे पता नहीं मेरा मुक्कदर,

किस मोड़ पे खड़े है हम ,

आंखों मे सिर्फ परछाई है,

कुछ सहमे कुछ डरे ,

टेढ़ी मेढी हाथों की लकीरो मे उलझें पड़े,

पता नहीं मेरी किस्मत मुझे कहां छोड़ आई है,


Thursday, 17 March 2022

बेरंग होली

जीवन मे रंग नहीं है फिर भी होली है,

हम किसी के संग नहीं है फिर भी होली है,

रिश्तों मे अब समर्पण नहीं है फिर भी होली है,

रंगों मे रंग जाने का अब मन नहीं है फिर भी होली है,

फरेबी सी दुनिया मे सच्चा रंग नहीं है फिर भी होली है,

आजकल के अपनो मे अपनो के लिए वक़्त नहीं है फिर भी होली है,

हाथों मे गुलाल है और मन मे कटार है फिर भी होली है,

तमाम उलझने है जलती मन मैं मन की होली है,फिर भी होली है,

चलो होली कल भी थी आज भी है बस होली तो होली है

क्या जला आये होलिका मे सब तो राख है फिर भी होली है,

Wednesday, 16 March 2022

मेरा जादू..................................

 तू वजह कब बन गया मेरे जीने की पता ही ना चला , 

एक अजनबी अनजान शक्श मुझे इतना प्यारा भी होगा,

जिसपे बेफिक्र हो के मैं यकीन करती हूँ,

जो मुझे बात बे बात ढेरो मुस्कुराहट तोहफे मे देता है,

जिसने मुझे बदल के रख दिया मेरी रात को दिन बना दिया,

मेरी उदासियां जाने कहां दफना दी,

मैं तो चुप गुमशुम सी जी रही थी जिंदगी ,

उसने मुझे खुद से खुद मे मिला दिया,

वो एक बड़ा जादुगर ही है जो आज मेरी आदत बन गया,

अब डर लगता है कहीं ये हाथ ना छूट जाए,

इसके जाने से मेरा ख्वाब ना मेरी आँखों से रूठ ना जाए,

फिर मैं गुमशुम हो जाऊ और हंसना क्या मुस्कुरा भी ना पाऊं,

कहां से लाये हो तुम इतना प्यार निश्चल, निर्मल, निर्विकार,

तेरे लीजिये मुझे हर मुश्किलें स्वीकार...................................

न्

Tuesday, 8 March 2022

 किसी को समझने मे गलत समझना सबसे आसान होता है सही समझने मे शायद बरसो लग जाते है गलत ठहराने मे चन्द पल एक इल्जाम एक तोहमत बस 

Sunday, 16 January 2022

जीवन एक रणभूमि

 जीवन एक रणभूमि है हुंकार करो और बड़े चलो, 

खुद को ही खुद से जीतो,

खुद के प्रहार लोगो के वार सब सहते रहो और लड़ते चलो कभी खुद से ,कभी दूसरों से जब उचित जान  प्रतिकार करो,

 खुद ही तुम खुद को समझो हर हार जीत सहर्ष स्वीकार करो

जीवन के रण मे तुम घायल हो या मर जाओ हर घाव से रिस्ते खून का स्राव मे आनंद भरो,

तुम कभी ना विचलित हो जीवन पथ पर,

हर घाव सहर्ष स्वीकार करो,

जख्म को हरा ही रहने दो हर दर्द में तुम आंनद भरो,

पथ के कांटे पथ के कंकर खुद ही ढूंढो खुद पाँव धरो,

जीवन मे सब एकल ही है ये बात सहर्ष स्वीकार करो,

जीवन एक रणभूमि है हुंकार करो और बड़े चलो...................................................

दर्द

 हर एक शख्स जो हमसे रुबरु हुआ वो कुछ ना कुछ हासिल ही करने आए, हम बेमतलब सबको अपना मान बैठे , हमें हमेशा एक फरेब एक टीस ना मिटने वाला दर्द ही हासिल हुआ ,ना बदल पाए हम खुद को फिर भी एक बचपना जो हमने बड़े होने तक ना छोड़ा, ना जाने मरने के बाद ही छूटेगा ये अब तब तक और कितने दर्द हासिल होंगे, मन से सोचने का काम कब बंद होगा ,कब हम खुद से खुद मे शामिल होंगे.................................................................................

जीवन -एक स्वप्न

उम्र भर के लिए कुछ भी नहीं जो आज है वो कल नहीं होगा वक़्त है बदल जाएगा, और बदलता वक़्त ले जाएगा अपने साथ आपका सब कुछ, कुछ झूठी मुस्कान कुछ सच्ची हकीकत, कुछ तस्वीर सा आईना, कुछ गहरी कुछ उथली बातें, कुछ परछाइयां ,

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