Thursday, 5 September 2019

अचानक

चलो कुछ ख्वाब अधूरे ही छोड़ दे,
बेहिसाब दर्द की राह मोड़ दे,
जो साथ चलते चलते अचानक हाथ छोड़ दे,
बेबात ही सब रिश्ते तोड़ दे,
क्या करे उसका इंतजार जो हमे तनहा छोड़ दे,
पलट के भी ना देखे यूँ ही मुँह मोड़ दे,
हम उसके लिए चाहे रोये ,चाहे सिसके, आँखों में भरे आँसू कैसे बहना छोड़ दे,
पत्थर बन गया जो उसे कहाँ सुनाई देगी मेरी आवाज चाहें चिल्ला चिल्ला के हम गला रौंद दे,
सिर्फ एक चेहरा ही तो था ,एक नाम था आज तक नही पता पता तक उसका ,
जिंदगी में हम शामिल कर गए जिसे नही चुना कभी हमे यार भी,
जो दोस्त भी न बन पाया हम उसपे जान छोड़ दे,
वो जो चला गया लगता नही वापिस अब आएगा वो
चाहे हम मौत तक उसके नाम की पुकार करे,
या अपने जीवन के साथ ही खुद को मौन की खाई मे छोड़ दे............

Wednesday, 4 September 2019

दगा

तू दगा करके खुश है तो जा खुश हो ले,
हम भी दिल के दर्द को आँसुओ में बहा देंगे,
पता था हमे लोग यूँही होते है दुनिया इस लिए इतबार नही करते थे,
तेरा हर झूठ सच सा लगा था हमे गलती हमारी ही तो थी सपने जो देखे हमने ,
झूठ की ईंट पे सच्ची मीनार जो बना ली थी हमने,
अंजाम से बेखबर होंके लोगो पे यकीन जो कर ली थी हमने,
दर्द बर्दाश्त तो नही होता पर जीना तो हर हाल मे होता है ,
एक आंधी सा आया तू और तूफ़ान सा उजाड़ गया,
जिंदगी का एक और सबक सीखा ही गया ........

Tuesday, 3 September 2019

सच या झूठ

आँखें फड़कना बंद हो गई,
हिचकियों ने आना छोड़ दिया,
आंखें खुली रखो या बंद नींदों ने आना छोड़ दिया,
सपने जो सच से लगते थे टूट गए,
तो आँखों ने सपने सजाना छोड़ दिया,
अब तो सच भी सच्चा नही लगता,
हमने सच और झूठ का आईना खुद को दिखाना छोड़ दिया,
बहुत बह गई भावनाओं के ज्वार भाटे मे अब तो एहसास के किनारों पे भी जाना छोड़ दिया,
ये दुनिया दिखावटी बातें ही करती है हमने उनकी गहराई में जाना छोड़ दिया...............

Tuesday, 27 August 2019

ख़ामोशी खामोश नही ....

वो एक ख़ामोशी जो शोर नही करती ,
वो हजारो उलझने लपटें होती है,
हजारों आवाजें है उसमें जो सिर्फ सुनायीं नही देती,
हम उस ख़ामोशी की आवाज सुनना चाहते है,
पर सुन नही पाते यहां वो ख़ामोशी शांति नही देती बेचैनी देती है,
ख़ामोशी शांत तो तब होती है जब हम सब आवाजे सुन ले जो हम सुनना चाहते है,
फिर नही बचता कुछ कहने सुनने को तब जो शान्ति होती है वो मन की शान्ति होती,
जिसमे सुकून होता है, नम्रता होती है,
गुस्सा और बेचैनी नही होती,
पर कभी कभी न टुटनेवाली ख़ामोशी इंसान को शून्य की और ले जाना चाहती ,
सब कुछ टूटने के बाद जो सन्नाटा होता है वो शांत नही होता व्याकुल होता है,
पर कोई हल नही इंसान हर हाल में जीता है,
जिंदगी में जीने के लिए ख़ामोशी से भी ख़ामोशी से ही दोस्ती करनी होती है,
मन की शान्ति को उथल पुथल बेचैनी के समुद्र मे ढूँढना होता है,
हालात चाहे कितने भी अजीब हो ,नाउम्मीदी हो उम्मीद फिर भी जोड़नी होती है,
चाहे कितना भी गहरा हो डुबाव उतराव ढूंढना पड़ता है,
ख़ामोशी मे भी मन की शान्ति का मुकाम ढूँढना पड़ता है...........




Wednesday, 14 August 2019

आज फिर वही बात छिड़ गई,
फिर पुरानी याद आ गयी,
नही चाहा पर फिर भी याद आज भी रुला गयी,
वो कलाई जो छूट गयी हमेशा के लिए,
आज वो रेशम की डोर उसकी कलाई को तरसा गयी,
जेहन मे से अतीत के पन्ने नही फटते,
मिट चुकी हस्तियां है फिर भी रिश्ते नही मिटते,

Monday, 12 August 2019

आखिरी सच

जब तक मौत (मौन) नही आती,
हर इंसान जीवन को जीने के तरीके खोजता रहता है,
ऐसे रहूं ,वैसे रहूं ,ये करू, वो करूँ,
साम, दाम ,दंड ,भेद कुछ नही छोड़ता,
खुद के आगे बढ़ने को दूसरे को सीढ़ी बनाना ,
बुरा करके सबका अपना मतलब निकालना,
सिर्फ मैं ,मैं और मैं के पीछे भागता रहता है,
ये मेरा वो मेरा अब सब मेरे तब खत्म जब कोई ना मेरा मौत ही आखिरी बसेरा ,
तिनका उठा के नही ले जा पाता दुसरो का हक़ छीनने वाला ,
फिर क्यों इतनी उठपुथल मे जीवन भर जीता है ,
एक जीवन जीने के लिए क्यों लोगो के विश्वास को ,ईमान को,ठेस पहुचाता है,
लोगो को धोखा दे के क्या पाना चाहता है,
कहाँ जाना चाहता है,
यूँ तो इंसान चाँद पे भी घर बनाना चाहता है,
पृथ्वी को नारकीय करके अब वहां भी उत्पात मचाना चाहता है,
एक जीव एक आत्मा सब में है ये भूल के खुद को सर्वश्रेष्ठ या यूं कहें भगवान् कहलाना चाहता है,
जो इंसान तक नही बन पाता ताउम्र वो विधाता बन जाना चाहता है,
सब पे हुकूमत करके अपना लोहा मनवाना चाहता है,
आखिर इंसान यूँ खुदगर्ज बनके क्या पाना चाहता है,
साँसे तो सीमित है जिस दिन कनेक्शन कट तो सिर्फ एक ही आवाज आनी है कि माफ़ कीजिये ये सेवा स्थायी रूप से बंद है,
तब ना अंदर का मैं, ना बाहर का मै,
ना जीवन जीने की आपाधापी ,ना कोई कश्मकश, ना शोर ,
मिलता है तो सिर्फ शून्य सुन्न कर देने वाला मौन ,
एक ऐसी नींद जिससे कभी कोई ना उठ पाया,
बस यही तक जीना और मरने तक भी जीना ना सीख पाया.....................

Wednesday, 7 August 2019

रिश्ते

आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है,
क्यों रोज एक ही बात कहें,
बेहतर है चुप ही रहते है,
जरुरी नही नाव लेके उतर पड़े समुन्दर मे,
हम अपनी नांव नन्ही नदी पे ही चला लेते है,
जब दूजो को मोहलत ना हो तो छोड़ो क्या परवाह करना,
हम खुद बेपरवाह रहके क्यों दूजो की परवाह करते है,
क्यों बेवजह दूसरों से हम नाते निभाते है,
जब नाता बनता है तो झूठी उम्मीदे रखते है,
हम मन से जुड़ जाते लोग तो सिर्फ मोहब्बत करते है,
लोग दिल को दिमाग से खेलते है हम उनसे चाहत रखते है,
अफ़सोस है शातिर शख्स सभी फिर भी हम उन पे अपना वक़्त यूँही जाया करते है,
आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है ,
कुछ भी नही ,कुछ भी नही अब बस कुछ भी ना कहते है.....….............



जिंदगी या मौत

बादलो के ऊपर एक स्केटिंग करता हुआ शख्स नजर आता है जो अपनी मौज मे आगे बढे चला जा रहा है, इस बात से बिलकुल अंजान की पीछे आता मगरमच्छ उसके पावँ को अपने मुँह में समा लेना चाहता है, यही जीवन है आप आगे तो बढ़ते हो पर पीछे बैठा मगरमच्छ उतावला रहता है आपकी टांग पकड़ के उसे चबा जाने का बच गए तो जिंदगी वरना मौत .......

Tuesday, 6 August 2019

अश्रु पूरण श्रद्धांजलि

अभी तो जश्न की घडी थी कि अपने चले गए,
जिस बात को लेकर बरसो से तरसे थे जब वो मिली तो आप चले गए,
अभी तो खुल के ख़ुशी मना भी न पाए थे,
आप यूँ अचानक आँख आंसुओं से भर गए,
आप सबको छोड़ के अलविदा कर गए ......

माननीय सुषमा स्वराज जी आप सभी चाहने वालो के ह्रदय मे सदैव जीवित रहेंगी ........

माननीय सुषमा स्वराज जी की अंतिम विदाई

ललाट पटल पर चमकती लाल बिंदी ,
मांग मे लाल सिन्दूर ,
चेहरे पे चमकती निश्छल मुस्कान,
स्वयं भारतीयता की एक पहचान,
तेज तर्रार आवाज बोले तो सामने कोई टिक नही सकता,
एक बेहतरीन प्रवक्ता ,
ह्रदय से सच्ची देशभक्त,
एक संवेदनशील राजनेता,
बहुमुखी प्रतिभा की धनी,
राष्ट्र के लिए पूर्ण समर्पित
माननीय सुषमा स्वराज जी की अचानक मृत्यु घटना अत्यंत ही मार्मिक एवं ह्रदय विदरींन करने वाली है .....

Saturday, 3 August 2019

दोस्ती काफी नही एक दिन इस रिश्ते को बयां करने के लिए चंद अल्फाजो में पिरोया नही जा सकता ये एहसास फिर भी आप सबके लिए ...

बचपन में स्कूल की चौखट पे पहला कदम रखते ही जो साथ मिलता है वो होता है दोस्त,
माँ के बाद जो सबसे पहले हाथ थामता है वो होता है दोस्त,
साथ पढ़ना, साथ खेलना, साथ खाना, साथ हँसना रोना हर बात में साथ निभाता है वो होता है दोस्त,
कट्टी बट्टी से लेके सारी खट्टी मीठी यादें संजोने वाला, कभी आपकी बातें छिपाने वाला,कभी शिकायत लगाने वाला वो होता है दोस्त,
बचपन से लेके बड़े होने तक चेहरे भले ही बदल जाए पर दोस्तों की आदतें नही बदलती वो होता है दोस्त,
आपकी हर समस्या का हल बिना कुछ कहे भी आँखों में पढ़ जानेवाला वो होता है दोस्त,
कभी मन उदास हो आप रोना भी चाहे तो जो रोने भी नही देता वो होता है दोस्त,
आपके आँसुओ को हंसी मे बदलनेवाला शरारत करके हँसाने वाला, हर मोड़ पे ढाल बनके संभालनेवाला वो होता है दोस्त,
आपकी हर छोटी बड़ी बातों का राजदार, आपकी नादानी पर से पर्दा उठानेवाला,आपको सही गलत का आईना दिखाने वाला वो होता है दोस्त,
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जो मिलता तो है बेमोल पर होता है अनमोल वो होता है दोस्त ,
जीवन के सफर में अतीत के पन्नो में ही दर्ज सही पर अपनी यादों की महक से जीवन को महकाने वाला वो होता है दोस्त..........…........


आप सब चाहे दूर रहे पास रहे,
खास रहे या बनके एहसास रहे,
बस यही दुआ है ईश्वर से आप सभी खुश रहे कभी न उदास रहे।


मेरे जीवन मे आये मेरे सभी प्यारे मित्रो को मित्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये, (अंजलि)







Monday, 29 July 2019

जीवन मर्म

कविता क्या चंद शब्दो का हेर फेर हैं,
जीवन क्या धूप छावं का तालमेल हैं,
सुख दुख क्या बदलते वक़्त का एक खेल हैं,
कुछ हकीकत ,कुछ फ़साना सबका अपना अपना अफसाना,
बड़ा अनूठा बड़ा ही अद्भुत जीवन मर्म को जान पाना,
हो कुछ भी सबने माना है जीवन एक अनमोल खजाना,
 हाथ पसारे आते हैं सब हाथ पसारे सब को जाना .......

मनोदशा

मन से मन की बात को समझे नही यूँ अनकही ,
मन से मन के रास्ते है माना है उनके घर नही,
ताल्लुक अल्फाजो के मोहताज हरगिज है नही,
भ्रम समझते है जो इनको उनने कुछ समझा नही

Thursday, 25 July 2019

ऐ जिंदगी तुझे तो हम जी ही लेंगे ,
तुझे पाने पे तो रोते हुए आये थे हम पर इतना वादा है विदा होने पे तुझे हँसते हुए ही मिलेंगे,
तू ख़ुशी के पल दे या बेबसी के,
तू ख्वाहिशें दे या बेकसी दे,
तू जर्रा नवाज बन या नजरअंदाज कर,
तुझको अपने हौसलों की ताकत हम भी दिखा ही देंगे,
तू मौत से डरा मत मुझे जरा जी ले उससे भी जिंदादिली से ही मिलेंगे,
बस इतनी दुआ है कि मेरे जाने के बाद कोई ना रोये,
मुझको याद करके खुश हो मेरे अपने ,अपनी आँखे ना भिगोये,
जितनी शिद्दत से तुझे स्वीकारा है उतनी ही शिद्दत से तुझे अलविदा हम कहेंगे.........................

Wednesday, 24 July 2019

जी करता नीले नीले अम्बर की चादर ओढ़ लूँ,
दूर कही गगन से अपना नाता जोड़ लूँ,
उड़ जाऊं काले काले बादल बन के चहु ओर,
जा के बरसु बन के घटा सावन की घनघोर,
इंद्रधनुष के रंग चुरा लू हो जाऊं सतरंग,
शीतल मदमस्त पवन सी घुमू जैसे नाचे मोर,
बिजली जैसी कढ़ कढ़ कड़कू करू शोर ही शोर,.....…....................

Tuesday, 23 July 2019

भारत माँ की इस भूमि पे यूँ आज़ाद से लाल हुए ,
गर्भित है मन , पुलकित है मन , कैसे अपने इतिहास हुए,
निज स्वार्थ नही , सिर्फ राष्ट्र प्रेम की वेदी पे यूँ आप कुर्बान हुए,
आज के वर्तमान में लोग अपनी माँ को खून नही देते,
आप भारत माँ पे जान को हार दिए,
इस धरा के भूषण को ये पावन धरा भूल नही सकती,
अभिनन्दन आपका कोटिशः आप आज भी आज़ाद है
धरा, गगन ,पाताल, वायु ,जल कहाँ कैद हुआ करते है

महान देशप्रेमी वीर बलिदानी को आज उनके जन्मदिवस पे कोटि कोटि नमन ,जय हिंद ,जय भारत भूमि

Thursday, 18 July 2019

खुद को अब तुम चट्टान बना लो,
ना तोड़ पाये कोई ऐसी ईमारत बना लो,

आँसु दबे रहे आँखों में वो ही अच्छा है,
कुछ किसी से न कहे वो ही अच्छा है,
बेगानी सी दुनिया है ,बेआबरू होने से अपनी हद मे ही रहे वो ही अच्छा है,
कोई ना समझेंगे यहां किसी के मन का दर्द ,          दर्द आँखों से ना बहे वो ही अच्छा है.........

नंदियो की मौज सा मुझे अब खामोश बहना है,
कुछ नही कहना ,कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है,
जाना है शून्य की गहराई मे जाननी है अपने ही मन की थाह,
खुद की उथल पुथल मे अपने मन की सुनना है,
कुछ नही कहना, कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है,
जो पीछे छूट रहा सा रहा है उस लम्हे को हाथ बढ़ा के थामने का जिक्र क्या करे,
मेरे हाथ पसीजे है जिनमे सिर्फ पसीना ही पसीना है,
काई सी जम रही है मेरे उन विचारों पे जिनने समझा था कभी हर एक शख्स एक नगीना है,
मगर कहाँ कोहिनूर यूँ ही मिलना है,
कुछ नही कहना, कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है..............






नंदियो की लहरें उथल पुथल हुई जा रही है,
ना जाने कौन सी बेचैनी है फिर भी बहे जा रही है,
कुछ कहना तो चाहती है पर सहे जा रही है,
तूफ़ान सा लायेगी इसकी ये ख़ामोशी जो घूट घूट ये पीयें जा रही है...........................