सच में ये जीवन मृत्युलोक ही है जरुरी नही साँसों की डोर टूटे तभी मौत हो कभी कभी जिंदगी रहते भी इंसान मर जाता है और वो स्थिति मौत से भी बड़ी होती है,क्योंकि मरने के बाद इंसान मुक्त तो हो जाता है सब रिश्तो, भावनाओ और एहसासों से ,पर जिंदगी रहते आयी मौत तो बोझ और चिंता में तिल तिल तड़पाती रहती है.........................
Tuesday, 10 September 2019
Monday, 9 September 2019
तजुर्बा
एक बचपना बाकी था मुझमे मैंने उसको ना मरने दिया,
हर तरह के लोग मिले जीवन में किसी ने अपनापन दिया किसी ने दगा दिया,
अच्छे मिले तो लगा दुनिया अच्छी, बुरे मिले तो लगा दुनिया इत्तनी भी अच्छी नही,
किसी ने सीख दी जीने के सबक की तो किसी ने हमे गिरा दिया,
ऊपर ऊपर से अच्छी सोच रखने वालों ने भीतर के जहर से अक्सर डरा दिया,
कोईं मिला असली चेहरे के साथ किसी ने परत दर परत नकाब के चेहरों को दिखा दिया,
हाँ ऊपर से कठोर सोच वालो ने सच का दर्शन कर दिया ,
ये तजुर्बे जो पल पल में पल भर में जीवन को बदल देते है हमने इनका हर पल एक नया ही तजुर्बा किया .........
हर तरह के लोग मिले जीवन में किसी ने अपनापन दिया किसी ने दगा दिया,
अच्छे मिले तो लगा दुनिया अच्छी, बुरे मिले तो लगा दुनिया इत्तनी भी अच्छी नही,
किसी ने सीख दी जीने के सबक की तो किसी ने हमे गिरा दिया,
ऊपर ऊपर से अच्छी सोच रखने वालों ने भीतर के जहर से अक्सर डरा दिया,
कोईं मिला असली चेहरे के साथ किसी ने परत दर परत नकाब के चेहरों को दिखा दिया,
हाँ ऊपर से कठोर सोच वालो ने सच का दर्शन कर दिया ,
ये तजुर्बे जो पल पल में पल भर में जीवन को बदल देते है हमने इनका हर पल एक नया ही तजुर्बा किया .........
Saturday, 7 September 2019
Friday, 6 September 2019
चलो आज एक भरम टूट गया ,
उम्मीदों का आखिरी महल टूटा,
कतरा कतरा होंके बिलखे जो हाथ छूट गया,
छोड़ के जानेवाला खुश है अपनी दुनिया मे,
फिर क्यों मेरा ही दिल दुखा क्यों भावनाओ का ज्वार फूट गया,
कितने अच्छे से झूठ बोला वो हम सच समझके उसे खुद को गलत समझते रहे,
अपनी भी ना सुनी हमने उसके आगे ,
हमारी सोच को हम खुद ही कोसते रहे पर नही वो मेरी सोच थी सही आज हुआ वही जिसके डर से हम खुदu से भी लड़ जाते थे,
लोग आपको बदल के खुद ठहर जाते है,
छोड़ के हाथ अजनबी तो निकल जाते है,
हम गुजरे वक़्त के साथ को याद करके आँसू बहाते है,
पर ये यादें भी तो झूठी ही है फिर क्यों हम बेहाल हुए जाते है,
उम्मीदों का आखिरी महल टूटा,
कतरा कतरा होंके बिलखे जो हाथ छूट गया,
छोड़ के जानेवाला खुश है अपनी दुनिया मे,
फिर क्यों मेरा ही दिल दुखा क्यों भावनाओ का ज्वार फूट गया,
कितने अच्छे से झूठ बोला वो हम सच समझके उसे खुद को गलत समझते रहे,
अपनी भी ना सुनी हमने उसके आगे ,
हमारी सोच को हम खुद ही कोसते रहे पर नही वो मेरी सोच थी सही आज हुआ वही जिसके डर से हम खुदu से भी लड़ जाते थे,
लोग आपको बदल के खुद ठहर जाते है,
छोड़ के हाथ अजनबी तो निकल जाते है,
हम गुजरे वक़्त के साथ को याद करके आँसू बहाते है,
पर ये यादें भी तो झूठी ही है फिर क्यों हम बेहाल हुए जाते है,
हादसे
हादसों की हदे अभी जीवन से मिटी नही,
दुर्घटनाएं भरोसे के टूटने की अब तक घटी नही,
यूँ बेपनाह एहसास हुआ ठग जाने का क़ि बहती आँखें अब तक थमी नही,
भरोसा जीत के ही तो भरोसा तोड़ते है लोग ये भर्म टूटे तो कई बार पर आदतें यकीन की आज तक उठी नही..............
दुर्घटनाएं भरोसे के टूटने की अब तक घटी नही,
यूँ बेपनाह एहसास हुआ ठग जाने का क़ि बहती आँखें अब तक थमी नही,
भरोसा जीत के ही तो भरोसा तोड़ते है लोग ये भर्म टूटे तो कई बार पर आदतें यकीन की आज तक उठी नही..............
Thursday, 5 September 2019
टूटे तो यूँ टूटे की टुकड़ा टुकड़ा जो बिखरा वो समेटने के लायक ही नही रहा ,विश्वास, प्यार, एहसास सब मर से गये दिल मे ही उन्हें दफना सा दिया है, अब नही बचा यकीन किसी पे भी न वो हिम्मत है मुझमे फिर से धोखा खाने की किसी को खुद से बढ़ कर चाह पाने की, जो होता है अच्छे के लिए होता है ऐसा कहा जाता है शायद ये सजा जो मिली मुझे उसमे भी कुछ राज होंगे, लोग सच्चे नही थे जिनपे मैंने ऐतबार किया ,वो मेरे अपने नही थे जिनसे मैंने प्यार किया जो समझ ही न पाए मेरे आँसुओ की कीमत भी मैंने उनपे ही अपनी जान को निसार किया ,याद रहोगे तुम ताउम्र एक तजुर्बा बनके , अब तो यकीन सा होने लग गया तुम ना आओगे लौट के खेल सा था जो तुमने खेला शुक्रिया उसका पत्थर थे हम पहले से क्यों हमको कुरेदा इतना आवाज मेरी कोई तुम तलक ना जायेगी, जिंदगी है अभी बाकी मौत भी ना आएगी यूँ इस कदर सांस लेना मेरा दुस्वार हुआ सिर्फ आंसू ही बचे है जो आँखों में डब डाबाते है बात बेबात मेरी आँखों से झलक आते है , मैं जिन्दा रह मरु तुम्हे क्या परवाह तुम तो खुदगर्ज हो झूठे हो वफ़ा की उम्मीद क्या रखना एकबार पलट के भी क्यों देखोगे मेरी हालत को जाओ दूर गये हो तुम तो जाओ अपनी यादें भी अपने साथ ले जाओ जो आंसू है मेरे सारे उन्हें भी ले जाओ बद्दुआ तो नही दूंगी पर इतना कहूंगी मगर जो तुमने मेरे साथ किया वो तुम्हे भी मिले उम्र भर प्यार के लिए जी तुम्हारा भी जले , बहुत बहुत शुकिया मेरे जीवन मे आने के लिए यूँ इस कदर मुझे टुकड़े टुकड़े कर जाने के लिए
अचानक
चलो कुछ ख्वाब अधूरे ही छोड़ दे,
बेहिसाब दर्द की राह मोड़ दे,
जो साथ चलते चलते अचानक हाथ छोड़ दे,
बेबात ही सब रिश्ते तोड़ दे,
क्या करे उसका इंतजार जो हमे तनहा छोड़ दे,
पलट के भी ना देखे यूँ ही मुँह मोड़ दे,
हम उसके लिए चाहे रोये ,चाहे सिसके, आँखों में भरे आँसू कैसे बहना छोड़ दे,
पत्थर बन गया जो उसे कहाँ सुनाई देगी मेरी आवाज चाहें चिल्ला चिल्ला के हम गला रौंद दे,
सिर्फ एक चेहरा ही तो था ,एक नाम था आज तक नही पता पता तक उसका ,
जिंदगी में हम शामिल कर गए जिसे नही चुना कभी हमे यार भी,
जो दोस्त भी न बन पाया हम उसपे जान छोड़ दे,
वो जो चला गया लगता नही वापिस अब आएगा वो
चाहे हम मौत तक उसके नाम की पुकार करे,
या अपने जीवन के साथ ही खुद को मौन की खाई मे छोड़ दे............
बेहिसाब दर्द की राह मोड़ दे,
जो साथ चलते चलते अचानक हाथ छोड़ दे,
बेबात ही सब रिश्ते तोड़ दे,
क्या करे उसका इंतजार जो हमे तनहा छोड़ दे,
पलट के भी ना देखे यूँ ही मुँह मोड़ दे,
हम उसके लिए चाहे रोये ,चाहे सिसके, आँखों में भरे आँसू कैसे बहना छोड़ दे,
पत्थर बन गया जो उसे कहाँ सुनाई देगी मेरी आवाज चाहें चिल्ला चिल्ला के हम गला रौंद दे,
सिर्फ एक चेहरा ही तो था ,एक नाम था आज तक नही पता पता तक उसका ,
जिंदगी में हम शामिल कर गए जिसे नही चुना कभी हमे यार भी,
जो दोस्त भी न बन पाया हम उसपे जान छोड़ दे,
वो जो चला गया लगता नही वापिस अब आएगा वो
चाहे हम मौत तक उसके नाम की पुकार करे,
या अपने जीवन के साथ ही खुद को मौन की खाई मे छोड़ दे............
Wednesday, 4 September 2019
दगा
तू दगा करके खुश है तो जा खुश हो ले,
हम भी दिल के दर्द को आँसुओ में बहा देंगे,
पता था हमे लोग यूँही होते है दुनिया इस लिए इतबार नही करते थे,
तेरा हर झूठ सच सा लगा था हमे गलती हमारी ही तो थी सपने जो देखे हमने ,
झूठ की ईंट पे सच्ची मीनार जो बना ली थी हमने,
अंजाम से बेखबर होंके लोगो पे यकीन जो कर ली थी हमने,
दर्द बर्दाश्त तो नही होता पर जीना तो हर हाल मे होता है ,
एक आंधी सा आया तू और तूफ़ान सा उजाड़ गया,
जिंदगी का एक और सबक सीखा ही गया ........
हम भी दिल के दर्द को आँसुओ में बहा देंगे,
पता था हमे लोग यूँही होते है दुनिया इस लिए इतबार नही करते थे,
तेरा हर झूठ सच सा लगा था हमे गलती हमारी ही तो थी सपने जो देखे हमने ,
झूठ की ईंट पे सच्ची मीनार जो बना ली थी हमने,
अंजाम से बेखबर होंके लोगो पे यकीन जो कर ली थी हमने,
दर्द बर्दाश्त तो नही होता पर जीना तो हर हाल मे होता है ,
एक आंधी सा आया तू और तूफ़ान सा उजाड़ गया,
जिंदगी का एक और सबक सीखा ही गया ........
Tuesday, 3 September 2019
सच या झूठ
आँखें फड़कना बंद हो गई,
हिचकियों ने आना छोड़ दिया,
आंखें खुली रखो या बंद नींदों ने आना छोड़ दिया,
सपने जो सच से लगते थे टूट गए,
तो आँखों ने सपने सजाना छोड़ दिया,
अब तो सच भी सच्चा नही लगता,
हमने सच और झूठ का आईना खुद को दिखाना छोड़ दिया,
बहुत बह गई भावनाओं के ज्वार भाटे मे अब तो एहसास के किनारों पे भी जाना छोड़ दिया,
ये दुनिया दिखावटी बातें ही करती है हमने उनकी गहराई में जाना छोड़ दिया...............
हिचकियों ने आना छोड़ दिया,
आंखें खुली रखो या बंद नींदों ने आना छोड़ दिया,
सपने जो सच से लगते थे टूट गए,
तो आँखों ने सपने सजाना छोड़ दिया,
अब तो सच भी सच्चा नही लगता,
हमने सच और झूठ का आईना खुद को दिखाना छोड़ दिया,
बहुत बह गई भावनाओं के ज्वार भाटे मे अब तो एहसास के किनारों पे भी जाना छोड़ दिया,
ये दुनिया दिखावटी बातें ही करती है हमने उनकी गहराई में जाना छोड़ दिया...............
Tuesday, 27 August 2019
ख़ामोशी खामोश नही ....
वो एक ख़ामोशी जो शोर नही करती ,
वो हजारो उलझने लपटें होती है,
हजारों आवाजें है उसमें जो सिर्फ सुनायीं नही देती,
हम उस ख़ामोशी की आवाज सुनना चाहते है,
पर सुन नही पाते यहां वो ख़ामोशी शांति नही देती बेचैनी देती है,
ख़ामोशी शांत तो तब होती है जब हम सब आवाजे सुन ले जो हम सुनना चाहते है,
फिर नही बचता कुछ कहने सुनने को तब जो शान्ति होती है वो मन की शान्ति होती,
जिसमे सुकून होता है, नम्रता होती है,
गुस्सा और बेचैनी नही होती,
पर कभी कभी न टुटनेवाली ख़ामोशी इंसान को शून्य की और ले जाना चाहती ,
सब कुछ टूटने के बाद जो सन्नाटा होता है वो शांत नही होता व्याकुल होता है,
पर कोई हल नही इंसान हर हाल में जीता है,
जिंदगी में जीने के लिए ख़ामोशी से भी ख़ामोशी से ही दोस्ती करनी होती है,
मन की शान्ति को उथल पुथल बेचैनी के समुद्र मे ढूँढना होता है,
हालात चाहे कितने भी अजीब हो ,नाउम्मीदी हो उम्मीद फिर भी जोड़नी होती है,
चाहे कितना भी गहरा हो डुबाव उतराव ढूंढना पड़ता है,
ख़ामोशी मे भी मन की शान्ति का मुकाम ढूँढना पड़ता है...........
वो हजारो उलझने लपटें होती है,
हजारों आवाजें है उसमें जो सिर्फ सुनायीं नही देती,
हम उस ख़ामोशी की आवाज सुनना चाहते है,
पर सुन नही पाते यहां वो ख़ामोशी शांति नही देती बेचैनी देती है,
ख़ामोशी शांत तो तब होती है जब हम सब आवाजे सुन ले जो हम सुनना चाहते है,
फिर नही बचता कुछ कहने सुनने को तब जो शान्ति होती है वो मन की शान्ति होती,
जिसमे सुकून होता है, नम्रता होती है,
गुस्सा और बेचैनी नही होती,
पर कभी कभी न टुटनेवाली ख़ामोशी इंसान को शून्य की और ले जाना चाहती ,
सब कुछ टूटने के बाद जो सन्नाटा होता है वो शांत नही होता व्याकुल होता है,
पर कोई हल नही इंसान हर हाल में जीता है,
जिंदगी में जीने के लिए ख़ामोशी से भी ख़ामोशी से ही दोस्ती करनी होती है,
मन की शान्ति को उथल पुथल बेचैनी के समुद्र मे ढूँढना होता है,
हालात चाहे कितने भी अजीब हो ,नाउम्मीदी हो उम्मीद फिर भी जोड़नी होती है,
चाहे कितना भी गहरा हो डुबाव उतराव ढूंढना पड़ता है,
ख़ामोशी मे भी मन की शान्ति का मुकाम ढूँढना पड़ता है...........
Wednesday, 14 August 2019
Monday, 12 August 2019
आखिरी सच
जब तक मौत (मौन) नही आती,
हर इंसान जीवन को जीने के तरीके खोजता रहता है,
ऐसे रहूं ,वैसे रहूं ,ये करू, वो करूँ,
साम, दाम ,दंड ,भेद कुछ नही छोड़ता,
खुद के आगे बढ़ने को दूसरे को सीढ़ी बनाना ,
बुरा करके सबका अपना मतलब निकालना,
सिर्फ मैं ,मैं और मैं के पीछे भागता रहता है,
ये मेरा वो मेरा अब सब मेरे तब खत्म जब कोई ना मेरा मौत ही आखिरी बसेरा ,
तिनका उठा के नही ले जा पाता दुसरो का हक़ छीनने वाला ,
फिर क्यों इतनी उठपुथल मे जीवन भर जीता है ,
एक जीवन जीने के लिए क्यों लोगो के विश्वास को ,ईमान को,ठेस पहुचाता है,
लोगो को धोखा दे के क्या पाना चाहता है,
कहाँ जाना चाहता है,
यूँ तो इंसान चाँद पे भी घर बनाना चाहता है,
पृथ्वी को नारकीय करके अब वहां भी उत्पात मचाना चाहता है,
एक जीव एक आत्मा सब में है ये भूल के खुद को सर्वश्रेष्ठ या यूं कहें भगवान् कहलाना चाहता है,
जो इंसान तक नही बन पाता ताउम्र वो विधाता बन जाना चाहता है,
सब पे हुकूमत करके अपना लोहा मनवाना चाहता है,
आखिर इंसान यूँ खुदगर्ज बनके क्या पाना चाहता है,
साँसे तो सीमित है जिस दिन कनेक्शन कट तो सिर्फ एक ही आवाज आनी है कि माफ़ कीजिये ये सेवा स्थायी रूप से बंद है,
तब ना अंदर का मैं, ना बाहर का मै,
ना जीवन जीने की आपाधापी ,ना कोई कश्मकश, ना शोर ,
मिलता है तो सिर्फ शून्य सुन्न कर देने वाला मौन ,
एक ऐसी नींद जिससे कभी कोई ना उठ पाया,
बस यही तक जीना और मरने तक भी जीना ना सीख पाया.....................
हर इंसान जीवन को जीने के तरीके खोजता रहता है,
ऐसे रहूं ,वैसे रहूं ,ये करू, वो करूँ,
साम, दाम ,दंड ,भेद कुछ नही छोड़ता,
खुद के आगे बढ़ने को दूसरे को सीढ़ी बनाना ,
बुरा करके सबका अपना मतलब निकालना,
सिर्फ मैं ,मैं और मैं के पीछे भागता रहता है,
ये मेरा वो मेरा अब सब मेरे तब खत्म जब कोई ना मेरा मौत ही आखिरी बसेरा ,
तिनका उठा के नही ले जा पाता दुसरो का हक़ छीनने वाला ,
फिर क्यों इतनी उठपुथल मे जीवन भर जीता है ,
एक जीवन जीने के लिए क्यों लोगो के विश्वास को ,ईमान को,ठेस पहुचाता है,
लोगो को धोखा दे के क्या पाना चाहता है,
कहाँ जाना चाहता है,
यूँ तो इंसान चाँद पे भी घर बनाना चाहता है,
पृथ्वी को नारकीय करके अब वहां भी उत्पात मचाना चाहता है,
एक जीव एक आत्मा सब में है ये भूल के खुद को सर्वश्रेष्ठ या यूं कहें भगवान् कहलाना चाहता है,
जो इंसान तक नही बन पाता ताउम्र वो विधाता बन जाना चाहता है,
सब पे हुकूमत करके अपना लोहा मनवाना चाहता है,
आखिर इंसान यूँ खुदगर्ज बनके क्या पाना चाहता है,
साँसे तो सीमित है जिस दिन कनेक्शन कट तो सिर्फ एक ही आवाज आनी है कि माफ़ कीजिये ये सेवा स्थायी रूप से बंद है,
तब ना अंदर का मैं, ना बाहर का मै,
ना जीवन जीने की आपाधापी ,ना कोई कश्मकश, ना शोर ,
मिलता है तो सिर्फ शून्य सुन्न कर देने वाला मौन ,
एक ऐसी नींद जिससे कभी कोई ना उठ पाया,
बस यही तक जीना और मरने तक भी जीना ना सीख पाया.....................
Wednesday, 7 August 2019
रिश्ते
आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है,
क्यों रोज एक ही बात कहें,
बेहतर है चुप ही रहते है,
जरुरी नही नाव लेके उतर पड़े समुन्दर मे,
हम अपनी नांव नन्ही नदी पे ही चला लेते है,
जब दूजो को मोहलत ना हो तो छोड़ो क्या परवाह करना,
हम खुद बेपरवाह रहके क्यों दूजो की परवाह करते है,
क्यों बेवजह दूसरों से हम नाते निभाते है,
जब नाता बनता है तो झूठी उम्मीदे रखते है,
हम मन से जुड़ जाते लोग तो सिर्फ मोहब्बत करते है,
लोग दिल को दिमाग से खेलते है हम उनसे चाहत रखते है,
अफ़सोस है शातिर शख्स सभी फिर भी हम उन पे अपना वक़्त यूँही जाया करते है,
आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है ,
कुछ भी नही ,कुछ भी नही अब बस कुछ भी ना कहते है.....….............
हम अपने मन मे रहते है,
क्यों रोज एक ही बात कहें,
बेहतर है चुप ही रहते है,
जरुरी नही नाव लेके उतर पड़े समुन्दर मे,
हम अपनी नांव नन्ही नदी पे ही चला लेते है,
जब दूजो को मोहलत ना हो तो छोड़ो क्या परवाह करना,
हम खुद बेपरवाह रहके क्यों दूजो की परवाह करते है,
क्यों बेवजह दूसरों से हम नाते निभाते है,
जब नाता बनता है तो झूठी उम्मीदे रखते है,
हम मन से जुड़ जाते लोग तो सिर्फ मोहब्बत करते है,
लोग दिल को दिमाग से खेलते है हम उनसे चाहत रखते है,
अफ़सोस है शातिर शख्स सभी फिर भी हम उन पे अपना वक़्त यूँही जाया करते है,
आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है ,
कुछ भी नही ,कुछ भी नही अब बस कुछ भी ना कहते है.....….............
जिंदगी या मौत
बादलो के ऊपर एक स्केटिंग करता हुआ शख्स नजर आता है जो अपनी मौज मे आगे बढे चला जा रहा है, इस बात से बिलकुल अंजान की पीछे आता मगरमच्छ उसके पावँ को अपने मुँह में समा लेना चाहता है, यही जीवन है आप आगे तो बढ़ते हो पर पीछे बैठा मगरमच्छ उतावला रहता है आपकी टांग पकड़ के उसे चबा जाने का बच गए तो जिंदगी वरना मौत .......
Tuesday, 6 August 2019
माननीय सुषमा स्वराज जी की अंतिम विदाई
ललाट पटल पर चमकती लाल बिंदी ,
मांग मे लाल सिन्दूर ,
चेहरे पे चमकती निश्छल मुस्कान,
स्वयं भारतीयता की एक पहचान,
तेज तर्रार आवाज बोले तो सामने कोई टिक नही सकता,
एक बेहतरीन प्रवक्ता ,
ह्रदय से सच्ची देशभक्त,
एक संवेदनशील राजनेता,
बहुमुखी प्रतिभा की धनी,
राष्ट्र के लिए पूर्ण समर्पित
माननीय सुषमा स्वराज जी की अचानक मृत्यु घटना अत्यंत ही मार्मिक एवं ह्रदय विदरींन करने वाली है .....
मांग मे लाल सिन्दूर ,
चेहरे पे चमकती निश्छल मुस्कान,
स्वयं भारतीयता की एक पहचान,
तेज तर्रार आवाज बोले तो सामने कोई टिक नही सकता,
एक बेहतरीन प्रवक्ता ,
ह्रदय से सच्ची देशभक्त,
एक संवेदनशील राजनेता,
बहुमुखी प्रतिभा की धनी,
राष्ट्र के लिए पूर्ण समर्पित
माननीय सुषमा स्वराज जी की अचानक मृत्यु घटना अत्यंत ही मार्मिक एवं ह्रदय विदरींन करने वाली है .....
Saturday, 3 August 2019
दोस्ती काफी नही एक दिन इस रिश्ते को बयां करने के लिए चंद अल्फाजो में पिरोया नही जा सकता ये एहसास फिर भी आप सबके लिए ...
बचपन में स्कूल की चौखट पे पहला कदम रखते ही जो साथ मिलता है वो होता है दोस्त,
माँ के बाद जो सबसे पहले हाथ थामता है वो होता है दोस्त,
साथ पढ़ना, साथ खेलना, साथ खाना, साथ हँसना रोना हर बात में साथ निभाता है वो होता है दोस्त,
कट्टी बट्टी से लेके सारी खट्टी मीठी यादें संजोने वाला, कभी आपकी बातें छिपाने वाला,कभी शिकायत लगाने वाला वो होता है दोस्त,
बचपन से लेके बड़े होने तक चेहरे भले ही बदल जाए पर दोस्तों की आदतें नही बदलती वो होता है दोस्त,
आपकी हर समस्या का हल बिना कुछ कहे भी आँखों में पढ़ जानेवाला वो होता है दोस्त,
कभी मन उदास हो आप रोना भी चाहे तो जो रोने भी नही देता वो होता है दोस्त,
आपके आँसुओ को हंसी मे बदलनेवाला शरारत करके हँसाने वाला, हर मोड़ पे ढाल बनके संभालनेवाला वो होता है दोस्त,
आपकी हर छोटी बड़ी बातों का राजदार, आपकी नादानी पर से पर्दा उठानेवाला,आपको सही गलत का आईना दिखाने वाला वो होता है दोस्त,
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जो मिलता तो है बेमोल पर होता है अनमोल वो होता है दोस्त ,
जीवन के सफर में अतीत के पन्नो में ही दर्ज सही पर अपनी यादों की महक से जीवन को महकाने वाला वो होता है दोस्त..........…........
आप सब चाहे दूर रहे पास रहे,
खास रहे या बनके एहसास रहे,
मेरे जीवन मे आये मेरे सभी प्यारे मित्रो को मित्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये, (अंजलि)
Monday, 29 July 2019
जीवन मर्म
कविता क्या चंद शब्दो का हेर फेर हैं,
जीवन क्या धूप छावं का तालमेल हैं,
सुख दुख क्या बदलते वक़्त का एक खेल हैं,
कुछ हकीकत ,कुछ फ़साना सबका अपना अपना अफसाना,
बड़ा अनूठा बड़ा ही अद्भुत जीवन मर्म को जान पाना,
हो कुछ भी सबने माना है जीवन एक अनमोल खजाना,
हाथ पसारे आते हैं सब हाथ पसारे सब को जाना .......
जीवन क्या धूप छावं का तालमेल हैं,
सुख दुख क्या बदलते वक़्त का एक खेल हैं,
कुछ हकीकत ,कुछ फ़साना सबका अपना अपना अफसाना,
बड़ा अनूठा बड़ा ही अद्भुत जीवन मर्म को जान पाना,
हो कुछ भी सबने माना है जीवन एक अनमोल खजाना,
हाथ पसारे आते हैं सब हाथ पसारे सब को जाना .......
मनोदशा
मन से मन की बात को समझे नही यूँ अनकही ,
मन से मन के रास्ते है माना है उनके घर नही,
ताल्लुक अल्फाजो के मोहताज हरगिज है नही,
भ्रम समझते है जो इनको उनने कुछ समझा नही
मन से मन के रास्ते है माना है उनके घर नही,
ताल्लुक अल्फाजो के मोहताज हरगिज है नही,
भ्रम समझते है जो इनको उनने कुछ समझा नही
Thursday, 25 July 2019
ऐ जिंदगी तुझे तो हम जी ही लेंगे ,
तुझे पाने पे तो रोते हुए आये थे हम पर इतना वादा है विदा होने पे तुझे हँसते हुए ही मिलेंगे,
तू ख़ुशी के पल दे या बेबसी के,
तू ख्वाहिशें दे या बेकसी दे,
तू जर्रा नवाज बन या नजरअंदाज कर,
तुझको अपने हौसलों की ताकत हम भी दिखा ही देंगे,
तू मौत से डरा मत मुझे जरा जी ले उससे भी जिंदादिली से ही मिलेंगे,
बस इतनी दुआ है कि मेरे जाने के बाद कोई ना रोये,
मुझको याद करके खुश हो मेरे अपने ,अपनी आँखे ना भिगोये,
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