कभी कभी इंसान की स्थिति पिंजरे मे कैद उस पंछी जैसी होती जो पिंजरे से रिहा होने कि सोचना भी नहीं चाहता, मोह वश उसको पिंजरा ही अच्छा लगने लगता वो कैद को सहृष स्वीकार कर वाह्य दुनिया से खुद को अलग कर उस छोटे से पिंजरे को अपनी पूरी दुनिया मान लेता है, और बंधन मे बंधे होते भी जीवन् को आज़ाद होके जीता, पर मोह , माया , और भावनाओ से बना ये जाल् कभी ना कभी तो टूटता पर तब तक पंछी अपनी उड़ान भूल चुका होता अब उसे अपनी कैद से ज्यादा आजादी से डर लगने लगता , वो स्व छ्न्द आसमानो मे उड़ने वालोंं के साथ जीवन् जीने योग्य नहीं रहता ,अकेले उस पिंजरे मे कैद उसके सारे अपने उसको भूल चुके होते,पिंजरा टूटने पे रिहा होने पर उसके जीवन् का अस्तित्व भी समाप्त हो जाता , जैसे इंसान मोह से जुड़े होने कि वजह से अपने आप को अपनो के बीच सुरक्षित और मुक्त मानता जीवन् जीने कि उसकी लालसा मृत्यु जैसे सत्य को भी स्वीकार नहीं करना चाहती , और मृत्यु के बाद भी वो भटकाव लेके अपनो कि तलाश करता वो अपने जो माटी के पुतले को जला चुके होते, और दो चार दिन उसको भुलाने कि प्रकिया मे आगे बढ़ चुके होते , समय रुकता नहीं सब अपने जीवन् कि कैद मे जीवन् जीने लगते ,माया रूपी सोने के पिंजरे मे खुद को मुक्त मान लेते ...................
Sunday 22 January 2023
मन के घोड़े ......
मन के घोड़े दूर दूर तक सपनो मे हो आते है ,
सपने तो सपने होते कब सच से नजर मिलाते है,
सपनो को जी लेने वाले भ्रम का जाल बनाते है,
खुद से खुद को ही दूर रखके हवा हवा ( भावनाओं) मे रह जाते है,
सच तो ये सच के सामने सपने दम तोड़ ही जाते है ................
Sunday 20 November 2022
रंग उतरता ही है....
जब दरार सी आती है फर्क पड़ ही जाता है ,
जुडाव से बिखराव तक का सफर चल ही जाता है,
दर्रे दर्रे उतर जाती है सब पपड़ीयां,
खो जाती है रंगत बदल जाती है सारी हस्तियां,
रंग उतरता ही है इंसान हो या तितलियां,,लल
,
जिंदगी एक रेल.......
रेल सी लम्बी जिंदगी और बोगी जैसे जुड़े हर रिश्ते और यात्री जैसे जुड़े हर अपने ....
रेल सी जिंदगी है ,
है बड़ा लम्बा सफर,
जितने डिब्बे है जुड़े सबका अपना नंबर,
चल रहे है एक पटरी रास्ता है बस सफर,
कौन आए कौन जाए पटरियों को क्या खबर,
उच्च नीच जाति जैसे जुड़े एसी से जनरल ,
अपना अपना श्रेणीक्रम है, अपना अपना मूल्य है,
यूँ तो है एक ही डगर है ,अन्तर
तो पर जरूर है,
समाज के भेदभाव जैसा रेल पे भी है असर,
सब जुड़े से दिख रहे है है सभी अलग थलग,
कि जिंदगी एक रेल सी है, है बड़ा लम्बा सफर ..
बोगी जुडती कपलिंग से बँधी रहती वेक्यूम से,
रिश्ते जुड़ते भावनाओं से बंधे रहते स्नेह से,
टूट जाते स्वार्थ से, छल से, चाल से, कपट से,दम्भ से
उतर जाते यात्री से अपने अपने मतलब से अपने अपने स्टेशन,
रास्ते है पडाव है बांधाये है सुख दुःख सी,
चलती जाती रेल का बस चलते जाना अनवरत,
कभी जीवन के अंत तक भी साथ देती पटरियां,
या कभी यूँही कहीं बोझिल हो टूट जाती सी है,
कौन आए कौन जाए पटरियों को क्या खबर,
जिंदगी एक रेल सी है ,है बड़ा लम्बा सफर ..
किसकी मंजिल है कहां तक कितना लम्बा है सफर .........................
Thursday 12 May 2022
..........
कभी कभी खुद को खुद ही दफनाना पड़ता है ,
अपनी जिंदगी को जीते जी मौत जैसा बनाना पड़ता है,
ख़ुशी नहीं मिलती किसी को भी ऐसा करके
पर खुद से हार कर खुद को दिखाना पड़ता है,
Wednesday 11 May 2022
दो कदम
दो कदम आगे ही तो बढ़े थे ,
हम को बदल के लोग बदलने लगे ,
हंसी कि उम्मीद तो हमको कभी थी ही नहीं,
लोग आँखो मे आँसू देख के ही हंसने लगे,
दूसरों को खुश रखने को हमने खुद से ही समझौते किये,
लोग हमें जख्म दे के हमसे मुकरने लगे,
खेल नहीं हूँ मैं जो कल अपने बनने का दावा किये,
आज वो दाँव खेलने लगे ..................
Sunday 24 April 2022
तमाशा
ये तो सच है कि भगवान झटके देते है कभी कभी अनगिनत,
कभी सपने शुरू होने के पहले ही खत्म हो जाते है,
कभी मुस्कुराते हुए चेहरे पल भर मे आंसुओं कि बाढ़ मे बदल जाते है,
कभी कभी अपने अपनो से इतनी दूर निकल जाते है जहां ना आवाज जाती है ,ना ख़ामोशी
ये जनम वो जनम ,अच्छे कर्म बुरे कर्म ,
हाथों कि लकीरें, माथे कि लकीरें,
मेरी तक़दीर ,तेरी तकदीर,
किसने देखा है आने वाला कल ,
पर क्या ये वक़्त जो थम गया बरसो से सिर्फ अपने लिए ,
ऐसा कौन सा जनम था वो जहां के कर्ज यहां तक चलें आए,
इस जनम का तो याद नहीं ऐसा कौन सा कर्म था वो जिसकी सजा आज तक पूरी ना हुई ,
सोच और समझ से परे हम ने किया क्या जो हमसे रास्ते ही छूट गए,
अपने जो नाम के ही अपने थे उनके भी गर्दिश मे हाथ ही छूट गए,
लोग समझते है हम ज़िंदा है आज तक कुछ मौत ऐसी भी होती है जिनमें साँसे नहीं जाती ,
ये वो मौत है जिसमें शरीर ख़ाक नहीं होता चिता पे नहीं सोता ,
मरने वाले को तो फिर भी सुकून मिल गया होता है ये तो वो मौत है जहां इंसान जिंदा ही मर गया होता है,
रिश्तों के तमाशे मे भावनांए दफ्न हो गई,
ऊधेर बुन और कसमकश मे जीवन अपना अस्तित्व खो गई
Thursday 14 April 2022
जिंदगी की आजमाईश
जिंदगी तु मुझे हर बारी क्यूँ आजमाने चली आती है,
जब भी जीने की कोशिश करती हूँ तू सताने चली आती है,
छोड़ दे ना अकेला मुझे क्यूँ हर बारी एक नया ख्वाब दिखाने चली आती है,
दुनिया के छलावे से जब भी खुद को समेट के खड़ा करती हूँ तू मुझे फिर उलझाने चली आती है,
साँसे है चल रही है वक़्त है गुजर रहा है क्यूँ हर बारी तू अपनेपन का स्वांग रचाने चली आती है,
चुपचाप ही तो हूँ किसी का क्या लेती क्यूँ हर बारी तू मुझे भूला हुआ सब याद कराने चली आती है,
अब मुस्कुराने की हिम्मत भी ना होती मेरी क्यूँ की तू हर बारी आंसुओं कि चादर मुझे तोहफे मे देने चली आती है ........................................................
Saturday 26 March 2022
मनो व्यथा
कुछ बेचेनी है जो समझ नहीं आती ,
कश्मकश सी हर वक़्त छाई है,
मुझे पता नहीं मेरा मुक्कदर,
किस मोड़ पे खड़े है हम ,
आंखों मे सिर्फ परछाई है,
कुछ सहमे कुछ डरे ,
टेढ़ी मेढी हाथों की लकीरो मे उलझें पड़े,
पता नहीं मेरी किस्मत मुझे कहां छोड़ आई है,
Thursday 17 March 2022
बेरंग होली
जीवन मे रंग नहीं है फिर भी होली है,
हम किसी के संग नहीं है फिर भी होली है,
रिश्तों मे अब समर्पण नहीं है फिर भी होली है,
रंगों मे रंग जाने का अब मन नहीं है फिर भी होली है,
फरेबी सी दुनिया मे सच्चा रंग नहीं है फिर भी होली है,
आजकल के अपनो मे अपनो के लिए वक़्त नहीं है फिर भी होली है,
हाथों मे गुलाल है और मन मे कटार है फिर भी होली है,
तमाम उलझने है जलती मन मैं मन की होली है,फिर भी होली है,
चलो होली कल भी थी आज भी है बस होली तो होली है
क्या जला आये होलिका मे सब तो राख है फिर भी होली है,
Wednesday 16 March 2022
मेरा जादू..................................
तू वजह कब बन गया मेरे जीने की पता ही ना चला ,
एक अजनबी अनजान शक्श मुझे इतना प्यारा भी होगा,
जिसपे बेफिक्र हो के मैं यकीन करती हूँ,
जो मुझे बात बे बात ढेरो मुस्कुराहट तोहफे मे देता है,
जिसने मुझे बदल के रख दिया मेरी रात को दिन बना दिया,
मेरी उदासियां जाने कहां दफना दी,
मैं तो चुप गुमशुम सी जी रही थी जिंदगी ,
उसने मुझे खुद से खुद मे मिला दिया,
वो एक बड़ा जादुगर ही है जो आज मेरी आदत बन गया,
अब डर लगता है कहीं ये हाथ ना छूट जाए,
इसके जाने से मेरा ख्वाब ना मेरी आँखों से रूठ ना जाए,
फिर मैं गुमशुम हो जाऊ और हंसना क्या मुस्कुरा भी ना पाऊं,
कहां से लाये हो तुम इतना प्यार निश्चल, निर्मल, निर्विकार,
तेरे लीजिये मुझे हर मुश्किलें स्वीकार...................................
न्
Tuesday 8 March 2022
Sunday 16 January 2022
जीवन एक रणभूमि
जीवन एक रणभूमि है हुंकार करो और बड़े चलो,
खुद को ही खुद से जीतो,
खुद के प्रहार लोगो के वार सब सहते रहो और लड़ते चलो कभी खुद से ,कभी दूसरों से जब उचित जान प्रतिकार करो,
खुद ही तुम खुद को समझो हर हार जीत सहर्ष स्वीकार करो
जीवन के रण मे तुम घायल हो या मर जाओ हर घाव से रिस्ते खून का स्राव मे आनंद भरो,
तुम कभी ना विचलित हो जीवन पथ पर,
हर घाव सहर्ष स्वीकार करो,
जख्म को हरा ही रहने दो हर दर्द में तुम आंनद भरो,
पथ के कांटे पथ के कंकर खुद ही ढूंढो खुद पाँव धरो,
जीवन मे सब एकल ही है ये बात सहर्ष स्वीकार करो,
जीवन एक रणभूमि है हुंकार करो और बड़े चलो...................................................
दर्द
हर एक शख्स जो हमसे रुबरु हुआ वो कुछ ना कुछ हासिल ही करने आए, हम बेमतलब सबको अपना मान बैठे , हमें हमेशा एक फरेब एक टीस ना मिटने वाला दर्द ही हासिल हुआ ,ना बदल पाए हम खुद को फिर भी एक बचपना जो हमने बड़े होने तक ना छोड़ा, ना जाने मरने के बाद ही छूटेगा ये अब तब तक और कितने दर्द हासिल होंगे, मन से सोचने का काम कब बंद होगा ,कब हम खुद से खुद मे शामिल होंगे.................................................................................
जीवन -एक स्वप्न
उम्र भर के लिए कुछ भी नहीं जो आज है वो कल नहीं होगा वक़्त है बदल जाएगा, और बदलता वक़्त ले जाएगा अपने साथ आपका सब कुछ, कुछ झूठी मुस्कान कुछ सच्ची हकीकत, कुछ तस्वीर सा आईना, कुछ गहरी कुछ उथली बातें, कुछ परछाइयां ,
........................................
Tuesday 15 June 2021
पिंजरा
क्यूँ कभी कभी ऐसा लगता है जैसे हमारे इर्द गिर्द एक बड़ा सा पिंजरा हो और हमने उसमें खुद को कैद कर रखो अपनी स्वेच्छा से अपने हालातो के चलते ,कभी मन मे आता है ये सारे दायरे हम तोड़ दे खुद को स्वतन्त्र छोड़ दे ,तोड़ दे ये पिंजरा रिहा हो जाए , पर क्यूँ नहीं कर पाते हम ऐसा क्यूँ नहीं तोड़ पाते अपनी सोच के दायरे , क्यूँ नहीं आसमानो तक अपनी आवाज़ नहीं पहुंचा पाते ,क्यूँ घुटन के बाद भी कम हवा मे सांस लेते है ,
Tuesday 25 May 2021
राज........–
इस तिलिस्मी दुनिया मे लोग वफादार नहीं मिलते,
मन कि बात कह सके वो राजदार नहीं मिलते,
मिलता है सब कुछ यहां के बाजारो मे मगर जो बिक ना सके वैसे ईमानदार नहीं मिलते,
बड़ा आसान लगता है अपना मान लेना मगर जो अपना बन सके वैसे किरदार नहीं मिलते,
दिए कि लो मे रोशन है आज भी कई घर कि सबके यहां रोशनदान नहीं मिलते,
Saturday 15 May 2021
बातें
बात की बात थी ,
बातों में बात थी,
बातों ही बातों मे बात बीत गई,
बातों की कहानी बनी,
बातों का बतंगड बना ,
इन्ही बातों बातों मे दिन और रात बीत गई .........
Thursday 13 May 2021
मन की बात
बहुत दिन बीते मेरी खुद से कोई ना बात हुई,
मिलते है बाहरी दुनिया से खुद से पर मुलाकात ना हुई,
कई बार उमडे मन के बादल पर बरसात ना हुई,
आँखों मे नमी भी रही , भावनाओं मे ख़ुशी भी रही पर इनकी रहमत हमारे साथ ना हुई......................
Monday 3 May 2021
स्पष्टता
जिंदगी और मौत का अगर कोई सवाल नहीं,
तो यूँही असत्य कहना मेरा कोई कारोबार नहीं,
झूठ से हासिल कभी कुछ भी तो होता नहीं,
सार्वभौमिक सत्य है जीवन कोई धोखा नहीं.......अंजलि
Friday 9 April 2021
जीवन
जिंदगी किसी जंग से कम नज़र आती नहीं,
हम जिंदा है या मर चुके है बात समझ आती नहीं,
ना नजरिए है ना नजारे है,
कभी सोचो तो डर लगता क्या हम वही है ??
जो कभी किसी बात से डरते ना थे,
हर गलत बात पे लड़ते थे पीछे हटते ना थे,
अब बड़े मजबूर और कमजोर से हो गए है हम,
लगता है अपने आप से हि दूर हो गए है हम,
किस किस से लड़े किस किस कि सुने
जीवन शूल सा भूकता है,
कौन सी राह चलें, कौन सी छोड़ दे,
कौन सपना है कौन पराया किसे क्या कहे या कुछ भी कहना छोड़ दे,
ये खामोशी कहीं मुझे खामोश हि ना कर दे..............
Thursday 8 April 2021
यूँ ही अनकही
जीवन की आपाधापी में हम कुछ ऐसे दौड़े,
उतर गए रंग ,
दिखें सबके ढंग,
चलो अब हौले हौले....................
Friday 27 September 2019
विश्वास - एक सजा
भरोसा तो वैसे भी लोगो पे कम था मेरा और रहा सहा भी सब ले गयी,
लोगो पे ऐतबार करने की एक बेहतरीन सजा दे गयी,
सिर्फ आपके मानने भर से दुनिया अपनी नही हो जाती गैर को गैरो की तरह ही रखने का नजरिया दे गयी,
Thursday 26 September 2019
Sunday 22 September 2019
खोना
असीम अनंत दुनिया का हो गया,
वो जो कल था वो वापिस नही आना,
वो अतीत के दामन मे खो गया,
जो आदत में उतर गया था कभी,
आज नजरो से भी ओझल हो गया,
वक़्त है ये वक़्त जो वापिस लौट के नही आता,
मेरे जीवन का वो लम्हा मुझसे जुदा हो गया.......
Saturday 21 September 2019
एक विचार
मैं खुद के लिए खास थी या बकवास थी,
मैं मेरे विचारों में थी या मेरे उसूल मुझमे थे,
मेरे सवाल खुद से थे या मैं खुद के लिए एक सवाल थी,
मैं खुद के लिए सिर्फ एक मशवरा थी या सभी सवालों का खुद ही जवाब थी,
मैं शून्य थी या शून्य में जीवन की तलाश थी,
मैं जिंदगी की किताब का एक पन्ना थी या मैं खुद एक किताब थी,
मैं एक चित्र थी या चित्रवलियो की एक श्रृंखला थी,
मेरी स्वास मुझमे थी या स्वास में मैं थी,
मैं एक पल थी या चलते समय के साथ हर पल के साथ थी,
मैं स्वयं प्राणवायु थी या प्राणवायु मेरे साथ थी,
मैं एक आत्मा थी या आत्मा में मै थी,
मैं एक अनसुलझा सवाल थी या सुलझे हुए हर सवाल का जवाब थी,
मैं स्वयं एक आग थी या जीवन को प्रदीप्त करने को मुझमे कही आग थी,
मैं पंचतत्वों से रचित एक जीव या मुझमे सिर्फ पंचतत्वों की ही शक्ति मात्र थी,
मैं अवचेतन पारलौकिक जगत का हिस्सा या मैं स्वयं चेतना मात्र थी,
मैं जो भी थी जैसे भी थी बस उस परम पिता परमात्मा की एक कृति मात्र थी.............
..
विचार
Sunday 15 September 2019
जिंदगी अनजानी
तू रोज नए नए पैतरे बदलती है,
एक मुश्किल जाती भी नही तू नयी भेज देती है,
तराशे या कुरेदे तुझे तू तमाशा बना ही देती है,
कभी कभी रहने का मन नही होता तुझमे,
पर फिर भी साँसों की डोर भी तेरा ही साथ देती है,
यूँ कहने को तो मेरे सीने में धड़कता है दिल पर धड़कन पर हक़ तू ही जमा लेती है,
जीवन पूरा हो जाता है पर समझ नही आती जिंदगी,
तू अपनी होते हुए भी होती है बेगानी,
तू जानकर भी रहती है रह जाती है अनजानी..........
Wednesday 11 September 2019
सहारा
लोग उनका हाथ छोड़ ही देते है,
बचपन में भी जब कदमो पे चलना आ जाए तो हाथ पकड़ के चलना नही सिखाया जाता,
बुढ़ापे में लाठी थमा के हाथ छुड़ा लेते है लोग,
सहारा ढूढ़ने वाले सहारा ही ढूंढते रहते है,
आसरे की नदी में डूब ही जाते है,
और हाथ छुड़ा के किनारे पे आ जाते है लोग.........
Tuesday 10 September 2019
मृत्युलोक
Monday 9 September 2019
तजुर्बा
हर तरह के लोग मिले जीवन में किसी ने अपनापन दिया किसी ने दगा दिया,
अच्छे मिले तो लगा दुनिया अच्छी, बुरे मिले तो लगा दुनिया इत्तनी भी अच्छी नही,
किसी ने सीख दी जीने के सबक की तो किसी ने हमे गिरा दिया,
ऊपर ऊपर से अच्छी सोच रखने वालों ने भीतर के जहर से अक्सर डरा दिया,
कोईं मिला असली चेहरे के साथ किसी ने परत दर परत नकाब के चेहरों को दिखा दिया,
हाँ ऊपर से कठोर सोच वालो ने सच का दर्शन कर दिया ,
ये तजुर्बे जो पल पल में पल भर में जीवन को बदल देते है हमने इनका हर पल एक नया ही तजुर्बा किया .........
Saturday 7 September 2019
Friday 6 September 2019
उम्मीदों का आखिरी महल टूटा,
कतरा कतरा होंके बिलखे जो हाथ छूट गया,
छोड़ के जानेवाला खुश है अपनी दुनिया मे,
फिर क्यों मेरा ही दिल दुखा क्यों भावनाओ का ज्वार फूट गया,
कितने अच्छे से झूठ बोला वो हम सच समझके उसे खुद को गलत समझते रहे,
अपनी भी ना सुनी हमने उसके आगे ,
हमारी सोच को हम खुद ही कोसते रहे पर नही वो मेरी सोच थी सही आज हुआ वही जिसके डर से हम खुदu से भी लड़ जाते थे,
लोग आपको बदल के खुद ठहर जाते है,
छोड़ के हाथ अजनबी तो निकल जाते है,
हम गुजरे वक़्त के साथ को याद करके आँसू बहाते है,
पर ये यादें भी तो झूठी ही है फिर क्यों हम बेहाल हुए जाते है,
हादसे
दुर्घटनाएं भरोसे के टूटने की अब तक घटी नही,
यूँ बेपनाह एहसास हुआ ठग जाने का क़ि बहती आँखें अब तक थमी नही,
भरोसा जीत के ही तो भरोसा तोड़ते है लोग ये भर्म टूटे तो कई बार पर आदतें यकीन की आज तक उठी नही..............
Thursday 5 September 2019
अचानक
बेहिसाब दर्द की राह मोड़ दे,
जो साथ चलते चलते अचानक हाथ छोड़ दे,
बेबात ही सब रिश्ते तोड़ दे,
क्या करे उसका इंतजार जो हमे तनहा छोड़ दे,
पलट के भी ना देखे यूँ ही मुँह मोड़ दे,
हम उसके लिए चाहे रोये ,चाहे सिसके, आँखों में भरे आँसू कैसे बहना छोड़ दे,
पत्थर बन गया जो उसे कहाँ सुनाई देगी मेरी आवाज चाहें चिल्ला चिल्ला के हम गला रौंद दे,
सिर्फ एक चेहरा ही तो था ,एक नाम था आज तक नही पता पता तक उसका ,
जिंदगी में हम शामिल कर गए जिसे नही चुना कभी हमे यार भी,
जो दोस्त भी न बन पाया हम उसपे जान छोड़ दे,
वो जो चला गया लगता नही वापिस अब आएगा वो
चाहे हम मौत तक उसके नाम की पुकार करे,
या अपने जीवन के साथ ही खुद को मौन की खाई मे छोड़ दे............
Wednesday 4 September 2019
दगा
हम भी दिल के दर्द को आँसुओ में बहा देंगे,
पता था हमे लोग यूँही होते है दुनिया इस लिए इतबार नही करते थे,
तेरा हर झूठ सच सा लगा था हमे गलती हमारी ही तो थी सपने जो देखे हमने ,
झूठ की ईंट पे सच्ची मीनार जो बना ली थी हमने,
अंजाम से बेखबर होंके लोगो पे यकीन जो कर ली थी हमने,
दर्द बर्दाश्त तो नही होता पर जीना तो हर हाल मे होता है ,
एक आंधी सा आया तू और तूफ़ान सा उजाड़ गया,
जिंदगी का एक और सबक सीखा ही गया ........
Tuesday 3 September 2019
सच या झूठ
हिचकियों ने आना छोड़ दिया,
आंखें खुली रखो या बंद नींदों ने आना छोड़ दिया,
सपने जो सच से लगते थे टूट गए,
तो आँखों ने सपने सजाना छोड़ दिया,
अब तो सच भी सच्चा नही लगता,
हमने सच और झूठ का आईना खुद को दिखाना छोड़ दिया,
बहुत बह गई भावनाओं के ज्वार भाटे मे अब तो एहसास के किनारों पे भी जाना छोड़ दिया,
ये दुनिया दिखावटी बातें ही करती है हमने उनकी गहराई में जाना छोड़ दिया...............
Tuesday 27 August 2019
ख़ामोशी खामोश नही ....
वो हजारो उलझने लपटें होती है,
हजारों आवाजें है उसमें जो सिर्फ सुनायीं नही देती,
हम उस ख़ामोशी की आवाज सुनना चाहते है,
पर सुन नही पाते यहां वो ख़ामोशी शांति नही देती बेचैनी देती है,
ख़ामोशी शांत तो तब होती है जब हम सब आवाजे सुन ले जो हम सुनना चाहते है,
फिर नही बचता कुछ कहने सुनने को तब जो शान्ति होती है वो मन की शान्ति होती,
जिसमे सुकून होता है, नम्रता होती है,
गुस्सा और बेचैनी नही होती,
पर कभी कभी न टुटनेवाली ख़ामोशी इंसान को शून्य की और ले जाना चाहती ,
सब कुछ टूटने के बाद जो सन्नाटा होता है वो शांत नही होता व्याकुल होता है,
पर कोई हल नही इंसान हर हाल में जीता है,
जिंदगी में जीने के लिए ख़ामोशी से भी ख़ामोशी से ही दोस्ती करनी होती है,
मन की शान्ति को उथल पुथल बेचैनी के समुद्र मे ढूँढना होता है,
हालात चाहे कितने भी अजीब हो ,नाउम्मीदी हो उम्मीद फिर भी जोड़नी होती है,
चाहे कितना भी गहरा हो डुबाव उतराव ढूंढना पड़ता है,
ख़ामोशी मे भी मन की शान्ति का मुकाम ढूँढना पड़ता है...........
Wednesday 14 August 2019
Monday 12 August 2019
आखिरी सच
हर इंसान जीवन को जीने के तरीके खोजता रहता है,
ऐसे रहूं ,वैसे रहूं ,ये करू, वो करूँ,
साम, दाम ,दंड ,भेद कुछ नही छोड़ता,
खुद के आगे बढ़ने को दूसरे को सीढ़ी बनाना ,
बुरा करके सबका अपना मतलब निकालना,
सिर्फ मैं ,मैं और मैं के पीछे भागता रहता है,
ये मेरा वो मेरा अब सब मेरे तब खत्म जब कोई ना मेरा मौत ही आखिरी बसेरा ,
तिनका उठा के नही ले जा पाता दुसरो का हक़ छीनने वाला ,
फिर क्यों इतनी उठपुथल मे जीवन भर जीता है ,
एक जीवन जीने के लिए क्यों लोगो के विश्वास को ,ईमान को,ठेस पहुचाता है,
लोगो को धोखा दे के क्या पाना चाहता है,
कहाँ जाना चाहता है,
यूँ तो इंसान चाँद पे भी घर बनाना चाहता है,
पृथ्वी को नारकीय करके अब वहां भी उत्पात मचाना चाहता है,
एक जीव एक आत्मा सब में है ये भूल के खुद को सर्वश्रेष्ठ या यूं कहें भगवान् कहलाना चाहता है,
जो इंसान तक नही बन पाता ताउम्र वो विधाता बन जाना चाहता है,
सब पे हुकूमत करके अपना लोहा मनवाना चाहता है,
आखिर इंसान यूँ खुदगर्ज बनके क्या पाना चाहता है,
साँसे तो सीमित है जिस दिन कनेक्शन कट तो सिर्फ एक ही आवाज आनी है कि माफ़ कीजिये ये सेवा स्थायी रूप से बंद है,
तब ना अंदर का मैं, ना बाहर का मै,
ना जीवन जीने की आपाधापी ,ना कोई कश्मकश, ना शोर ,
मिलता है तो सिर्फ शून्य सुन्न कर देने वाला मौन ,
एक ऐसी नींद जिससे कभी कोई ना उठ पाया,
बस यही तक जीना और मरने तक भी जीना ना सीख पाया.....................
Wednesday 7 August 2019
रिश्ते
हम अपने मन मे रहते है,
क्यों रोज एक ही बात कहें,
बेहतर है चुप ही रहते है,
जरुरी नही नाव लेके उतर पड़े समुन्दर मे,
हम अपनी नांव नन्ही नदी पे ही चला लेते है,
जब दूजो को मोहलत ना हो तो छोड़ो क्या परवाह करना,
हम खुद बेपरवाह रहके क्यों दूजो की परवाह करते है,
क्यों बेवजह दूसरों से हम नाते निभाते है,
जब नाता बनता है तो झूठी उम्मीदे रखते है,
हम मन से जुड़ जाते लोग तो सिर्फ मोहब्बत करते है,
लोग दिल को दिमाग से खेलते है हम उनसे चाहत रखते है,
अफ़सोस है शातिर शख्स सभी फिर भी हम उन पे अपना वक़्त यूँही जाया करते है,
आप अपनी मौज मे रहो,
हम अपने मन मे रहते है ,
कुछ भी नही ,कुछ भी नही अब बस कुछ भी ना कहते है.....….............
जिंदगी या मौत
Tuesday 6 August 2019
माननीय सुषमा स्वराज जी की अंतिम विदाई
मांग मे लाल सिन्दूर ,
चेहरे पे चमकती निश्छल मुस्कान,
स्वयं भारतीयता की एक पहचान,
तेज तर्रार आवाज बोले तो सामने कोई टिक नही सकता,
एक बेहतरीन प्रवक्ता ,
ह्रदय से सच्ची देशभक्त,
एक संवेदनशील राजनेता,
बहुमुखी प्रतिभा की धनी,
राष्ट्र के लिए पूर्ण समर्पित
माननीय सुषमा स्वराज जी की अचानक मृत्यु घटना अत्यंत ही मार्मिक एवं ह्रदय विदरींन करने वाली है .....
Saturday 3 August 2019
Monday 29 July 2019
जीवन मर्म
जीवन क्या धूप छावं का तालमेल हैं,
सुख दुख क्या बदलते वक़्त का एक खेल हैं,
कुछ हकीकत ,कुछ फ़साना सबका अपना अपना अफसाना,
बड़ा अनूठा बड़ा ही अद्भुत जीवन मर्म को जान पाना,
हो कुछ भी सबने माना है जीवन एक अनमोल खजाना,
हाथ पसारे आते हैं सब हाथ पसारे सब को जाना .......
मनोदशा
मन से मन के रास्ते है माना है उनके घर नही,
ताल्लुक अल्फाजो के मोहताज हरगिज है नही,
भ्रम समझते है जो इनको उनने कुछ समझा नही
Thursday 25 July 2019
Tuesday 23 July 2019
गर्भित है मन , पुलकित है मन , कैसे अपने इतिहास हुए,
निज स्वार्थ नही , सिर्फ राष्ट्र प्रेम की वेदी पे यूँ आप कुर्बान हुए,
आज के वर्तमान में लोग अपनी माँ को खून नही देते,
आप भारत माँ पे जान को हार दिए,
इस धरा के भूषण को ये पावन धरा भूल नही सकती,
अभिनन्दन आपका कोटिशः आप आज भी आज़ाद है
धरा, गगन ,पाताल, वायु ,जल कहाँ कैद हुआ करते है
महान देशप्रेमी वीर बलिदानी को आज उनके जन्मदिवस पे कोटि कोटि नमन ,जय हिंद ,जय भारत भूमि
Thursday 18 July 2019
कुछ नही कहना ,कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है,
जाना है शून्य की गहराई मे जाननी है अपने ही मन की थाह,
खुद की उथल पुथल मे अपने मन की सुनना है,
कुछ नही कहना, कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है,
जो पीछे छूट रहा सा रहा है उस लम्हे को हाथ बढ़ा के थामने का जिक्र क्या करे,
मेरे हाथ पसीजे है जिनमे सिर्फ पसीना ही पसीना है,
काई सी जम रही है मेरे उन विचारों पे जिनने समझा था कभी हर एक शख्स एक नगीना है,
मगर कहाँ कोहिनूर यूँ ही मिलना है,
कुछ नही कहना, कुछ नही कहना बस अब चुप ही रहना है..............
Monday 15 July 2019
जब भी मैं खुद को समेट के खड़े होती हूं तू टांग अड़ाने क्यों चली आती है,
माना मेरी ख़ुशी तुझसे देखीं नही जाती ,
तो तू गम मे भी मेरी खिल्ली उड़ाने क्यों चली आती है,
लेन देन का खेल बंद कर दे अपना तुझसे मुझे कुछ नही चाहिए ,
जो तूने दे दिया वो संभाल नही पायी मै आज तक ,
तुझसे इससे ज्यादा उम्मीद नही मेरी,
जा पीछा छोड़ मेरा मुझे छोड़ दे मेरे हाल पे क्यों बार बार तू झूठी हँसी हंसा के रुलाने चली आती है,
जा ले जा अपनी सांसे भी अपनी धड़कन भी शांत रहने दे मुझे शोर सुनाने क्यों चली आती है,
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है,
मुझे तू समझ बैठी क्या है??
तू जो दे रही मे चुप करके सब स्वीकार करू,
क्यों करू नही चाहिए तुझसे कुछ भी ले जा मुझे मुझ मे रहने दे तू जा,
जा मै क्यों न तेरा प्रतिकार करू,
जिंदगी तू बार बार मुझे सताने क्यों चली आती है ...............
Thursday 4 July 2019
Friday 21 June 2019
Monday 17 June 2019
मेरी सखी
मेरे मन की बात को किसी से भी न कहती है,
जो कुछ होता है मुझमे अनकहा सा तू वो भी समझ लेती है,
एक तेरे साथ ने जिंदगी दी है हमे,
वरना जीवन का गुबार हमे डूबा देता,
हम किसी से कभी कुछ न कह पाते,
हमारा अपना ही दर्द हमे सुला देता,
मन जब भी व्यथित होता तेरे पास होती हूँ मैं
मन जब भी निराश होता है एक तूही होती है मेरे साथ मेरी आश बनके,
तूने भी मेरा साथ दिया है लम्हा लम्हा,
बहुत बार सम्भाल लिया हमे तनहा,
एक वादा तुझसे मांगती हूँ मै मेरा साथ मत छोड़ना,
जब भी मेरे कदम डगमगाये मुझे सँभाल लेना,
जोर से थामना हाथ की हम होश मे आ जाए,
फिर से तेरे सिवा किसी को अपने आप तक न ला पाये,
तू जीवन भर साथ रहना मेरे यूँही,
अल्फाज ना भी हो तो मेरे मौन को स्वीकार लेना,
इस दुनिया के भर्म जाल से हमे उबार लेना,
नही चाहिए मुझे इस बेग़ैरत दुनिया से कुछ भी,
यहां लोग सिवाय धोखे के दे भी क्या सकते है,
Thursday 13 June 2019
प्राणवायु
Monday 10 June 2019
सीमाएं
के , उसी तरह बिना बंदिशो के निर्द्वन्द संसार में मान की उम्मीद करना भी सिर्फ एक कल्पना मात्र हैं/
Tuesday 4 June 2019
व्याख्या
भ- भावनाओ का
रो-रोष रहित
सा-साथ
विश्वास
वि-विशेष
श्वा-साँसों का
स- संकलन
दोनों का स्थान गर एक बार डगमगाया तो जिंदगी बोझ और साँसे घुटन बन के रह जाती है
अंजलि
Wednesday 29 May 2019
दिलासा
ना किसी से आश कोई,
न कोई उम्मीद,
ना कोई मेरा आपना,
ना साधु, ना फ़कीर,
रैनबसेरा दुनिया है ,
दो पल यहां निवास,
मुझे रहन दो तनहा ही ,
नही बनना किसी का खास..........
Tuesday 21 May 2019
ख्वाब
बन चूका जैसे अपना,
आँखें थी खुली पर हम ख्वाब में थे,
लाखों सवाल थे पर हम भावनाओं के ज्वार मे थे,
जी गये थे उस सपने को अपना समझ कर जिसकी कोई पहचान नही थी,
कोई अस्तित्व नही था,
समुंदर की लहरों की तरह बहे जा रहे थे कोई किनारा नही था पर इतरा रहे थे,
खुद को भूल के उस सपने को जिए जा रहे थे,
ये कैसी मनोस्थिति थी विचार से परे,
पता ही नही कौन सी दिशा में बहे,
पर फिर भी वो चार दिन एक सपना,
बन चूका जैसे अपना,
आँखें खुली थी पर वो ख्वाब तोडना नही चाहते थे,
मन के भवर में कोई नांव छोड़ना नही चाहते थे,
बस जी रहे थे वो एक सपना,
लगा मानो जी गये हो पूरी उम्र उसमे
जो अपना तो नही था ,
पर था तो मेरी आँखों मे बसा एक अपना मेरा सपना,
वो चार दिन एक सपना,
बन चूका जैसे अपना...................
Sunday 19 May 2019
हर हर महादेव
हमरे मन के सब विकार और सभी क्लेश
न हमपे है बुद्धि बल और न तुम जैसा त्याग,
हम जैसे दीनन का प्रभु ना करना तुम परित्याग,
मतलब के सब मित्र हैं,और सुखन के यार,
तेरी माया से रचित झणभंगुर संसार,
तेरे हाथ ही डोर है, तूही है भरतार,
मेरी जीवन की नावं के बनियो तारणहार
हर हर महादेव
Saturday 11 May 2019
बहरूपिये
आँशु ख़ुशी और गम के सब पी सकते हम,
वक़्त ने हमको सब सहने की ताकत दी है,
ईश्वर ने हमे सब कहने की हिम्मत दी है,
जितने सबक जिंदगी ने सिखाये है हमे,
जिंदगी ने ना जाने कितने दांव खेले है,
बहुत सहा, बहुत समझा बहुत देखी दुनिया,
यही लगा क्या हम ही दुनिया से अलबेले हैं,
लोग दूसरों का लहूँ पी के भी आज जिन्दा है,
मर गयी इंसानियत पर नही शर्मिंदा है,
गिद्द (पंछी)दुनिया में आज कम क्यों हुए,
उसका कारण क्योंकि इंसान ही गिद्द बन बैठा,
मरे हुए का भी जो मांस तक न छोड़ें वो कहाँ से इंसान कहलाने के काबिल हैं,
यही दुनिया है यहां सभी जीते हैं,
मुखोटे पहने हुए तमाम बहरूपिये है,
कैसे किसका नकाब उतरेगा,
कौन जाने कौन क्या निकलेगा??
अंजलि
मेरी नजर
मेरे पैरों में अब भी बेड़ी हैं,
मैंने खुद को खुला नही छोड़ा,
जंजीर आज भी उतनी भारी पहनी है,
खुद को वापिस ले सकूँ दुनिया के तमाशे से,
खुद को संभाल सकूँ खुद से ही तराश सकूँ,
जरुरी नही है हर शख्श हम को पहचाने ,
हम अकेले ही सही हमको कोई ना जाने,
जैसे भी हैं हम खुद में जिन्दा हैं,
आत्मसंम्मान है हम्मे नही शर्मिंदा है,
नजरे उठा करके खुद को देख सकते है,
सर उठा के मुश्किलों का सामना कर सकते हैं,
सच है तो दुनिया से उलझ सकते हैं,
अपनी बातों को बेबाक कह सकते हैं,
जिंदगी एक किताब
कदम जो आगे बढ़ जाए उनको मोड़ना मुश्किल होता है,
सही गलत के तराजु में तोलना मुश्किल होता है,
खुली किताब बनके जीवन सरल तो बन सकता है पर अक्सर उस किताब को जोड़ना मुश्किल होता हैं,
कुछ भाव कुछ अभाव जीवन का हिस्सा सही ,
जीवन अपना हैं किसी के मनोरंजन का हिस्सा नही ,
उड़ते हुए पन्ने हवा की चाल नही देखते बस उड़ जाया करते है,
बस या बेबस कही उलझे तो कही फट जाया करते है,
वापिस वो नही आते उस किताब का हिस्सा बनने ,
जरुरी है किताब बंद ही रहे जो कुछ अनकहा है वो उसी मे रहे,
यूँ तो कुछ भी नही हैं खास पर मेरा अपना हैं,
जो गुजर गया अच्छा हो या बुरा मेरा ही तो सपना हैं,
चोट खाने से डरते है तो संभल जाना अच्छा ,
अपने कदमो को रोक के ठहर जाना अच्छा,
पन्ने आँशु से न कही भीग जाए ,
जिंदगी से रूठ के कहि न गल जाए ,
वक़्त की धूप से धुंधले कही न पड़ जाए ,
Tuesday 26 February 2019
आज चार दिन हो गए श्रीदामु पर घर आज भी वीरान हैं सूनापन आज भी वही है ,मन अभी भी भारी भारी हैं , तेरी याद अब तलक जारी है , श्रीदामु तेरी गाडी ढ़की आज पर तू देखने नही आया बैठने की जिद्द भी नही की तूने न घूमने के लिए दौड़ के मम्मी को मनाया अच्छा नही लगा तेरा यूँ रूठ जाना हम सब को यूँ तनहा छोड़ जाना रसोई का वो कोना आज भी खाली हैं आज भी ऐसा लगता है कि तू आएगा फिर से अपने नन्हे नन्हे पाँव को दूध की कटोरी मे डाल के मुझ पे छीटे डालेगा, तुझे चिढ़ाने पे अपने दांत मेरे हाथों में चुभोएगा, पर नही तू चला गया और जानेवाले वापिस नही आया करते सिर्फ सताती है उनकी यादें और तू यूँ जो अचानक चला गया कभी न कभी कही न कही इस जनम न सही अगले जन्म ही तू मिला तो बहुत लड़ाई होगी तुमसे
Monday 25 February 2019
श्रीदामा की यादें
चलता विरता जीव निकल गए प्राण बचे बस यादों के अवशेष ,
काश पता होती ये बात सबको की किसको कितना जीना हैं,
साथ छोड़ के हाथ निकल जाता है हर लम्हा,
कह नही सकते तेरा जाना कर गया कितना तन्हा,
सब कुछ तो हैं वही,वही दिन और वही है रात,
बस तू साथ नही रह गया,रह गयी साथ तुम्हारी बात,
यादों के इस जहाज का अब डूबना मुश्किल है,
मृत्यु अटल सत्य है पर स्वीकारना मुश्किल है,
यादें इतनी है कि खुद को उबारना मुश्किल हैं,
कुछ लोग दुनिया के लिए मामूली हो सकते हैं,
पर किसी के लिए वो पूरी दुनिया होते हैं....................
Sunday 25 February 2018
शख्सियतें
कुछ पे ये दुनिया हँसती हैं,
कुछ ऐसे हैं जो मिट ना पाये,
कुछ ऐसे हैं जो गुमनाम से है,
कुछ इंतिहासो का हिस्सा है,
कुछ केवल कोरा किस्सा हैं,
कुछ वक़्त के हाथों बिक न सके,
कुछ ईमान के रहते झुक न सके,
नाम उनका भले गुमनाम सही उनका ईमान तो जिन्दा हैं,
वो वक़्त भी उनसे जिन्दा था ये लम्हा भी उनसे जिन्दा हैं,
उनकी शहादत का किस्सा अब भी जेहन में जिन्दा हैं,
इंसान जो हक़ का लड़ न सका अब तक वही शर्मिंदा हैं,
इतिहास तो कल भी ठहरा था ,
इतिहास तो अब भी ठहरा हैं,
Saturday 6 May 2017
हमारा गर्व......हमारा गौरव ....हमारे रक्षक देशभक्त सिपाही
गर्व से गर्दन हम उठाते हैं तब,
जब सरहदों पे लोग जान गवांते है,
अपने वतन की मान रखने को ,
वो अपना सर्वश्व लूटाते हैं,
नही हैं मोल कुछ इनका उनकी नजर में जो घर पे बैठकर सिर्फ अपनी जुबान चलाते है,
सीने पे लगनेवाली गोली मोहलत नही देती उन्हें कुछ सोचने की,
मौत सर पे खड़ी होती हैं हर घड़ी और वो सीमाओं में खड़े भी सीमाओं में बंधे .......
क्या हैं समाज ज्ञान ?????😢
हम सबको बचपन में moral science पढ़ायी जाती है,
बड़ी बड़ी बातें सिखायी जाती हैं,
पर बड़े होने पे हमे उन morals पे चलने की स्वतंत्रता नही मिलती हैं,
वो बाते सिर्फ पढने तक ही रहती है जीवन में उतारी नही जाती,
सभी नियम उलटे से बेउत्तर ,बेमायने से लगते हैं,
जब गिरते हुए को संभालने की जगह उसे कुचलकर निकल जाने को हम समाज की रीत कहते हैं,
यही होता हैं सब ऐसा ही करते हैं ,
गलत बात को भी ठीक कहते हैं???
किसी की मदद करने को जुर्म समझा जाता हैं,
मरते हुए को बचाने की नही मरता छोड़ जाने की सलाह दी जाती हैं,
फिर क्यों society science हमे बचपन में पढ़ाई नही जाती,
क्यों बेवकूफ समझा जाता हैं उन्हें जो दूसरों के काम आते हैं,
भले ही नही मिलता कुछ पर आत्मसंतुष्टि तो पाते हैं..............
Thursday 27 April 2017
क्या हम हिंदुस्तान में ही रहते हैं????????
हिंदुस्तान का नाम बदल के लोग इंग्लिश तान क्यों नही कर देते है, सब को जब इतनी इंग्लिश पसंद हैं तो हिंदी भी इंग्लिश मैं क्यों नही बोल लेते , माना कि वो एक भाषा हैं , पर क्या हम विदेशी हैं, जो हर समय सिर्फ अंग्रेजी बोलने वाला सभ्य कहलाये, और हिंदी बोलने वाला पिछड़ा हुआ और देहाती , ये कहा कि स्वतंत्रता हैं कि हम अपने ही हिंदुस्तान में रह कर हिंदी नही बोल सकते , क्यों बंदर बनके सिर्फ नक़ल ही करते हैं सब? क्या अपनी कोई पहचान हैं ही नही , अपनी मातृभाषा का अपमान स्वयं ही क्यों क्या अपनी भाषा का कोई मूल्य कोई सम्मान नही हैं??????
अपने बच्चो को इंग्लिश माध्य्म में सभी पढ़ाते हैं क्यों सिर्फ इंग्लिश ही उन्हें स्मार्ट बना सकती हैं, फिर जब बच्चे विदेशियों जैसा हाल करते हैं तो क्यों बुरा लगता हैं, वो भी अपने पिछड़े हुए हिंदुस्तानी माँ बाप को वृद्धाश्रम का रास्ता दिखाते हैं , फिर क्यों बुरा लगता हैं, अब अंग्रेजी सीखना और अंग्रेज बनाने में हम फर्क ही भूल गए हैं तो फिर अपने हिंदुस्तानी संस्कारो का रोना क्यों रोते हैं बाद में जब बच्चा बना इंग्लिशतानी तो क्यों कदर करेगा अपने रिश्तों की, अपने मूल्यों की , बड़ो के मान की, आदर की क्यों जैसा आप उन्हें बना रहे हैं वो वैसा ही तो कर रहे हैं न ??????
Sunday 23 April 2017
नन्ही कश्तियाँ............
बारिश की बूंदे हमने भी खेली थी ,
कागज़ के चंद टुकडो से कश्तियाँ बनायीं थी ,
कुछ भीग के डूब गयी ,
कुछ किनारे पर ठहर गयी ,
कुछ दो कदम ठहरी भी ,
पर ये खेल बस पल दो पल का ही था ,
२ पल मन को बहलाने का खेल ,
हँसाने -रुलाने का खेल ,
पल २ पल में ही जब बदल जाते हैं सारे मंजर ,
तो ज़िन्दगी भी लगने लगती हैं सिर्फ एक खेल ,
एक ऐसा खेल जिसके खिलाडी तो हम हैं ,
पर चलानेवाला कोई और हैं ,
उस काठ के घोड़े की तरह की तरह जो चलता भी हैं ,
और पहुँचता भी कही नही |
Sunday 26 March 2017
जाल......
बड़ी बड़ी बातों का बड़ा बड़ा जाल,
सीधे बने लोगो की शतरंज सी चाल,
जैसी दिखे दुनिया वैसा सच्चा नही हाल,
भ् म जाल,माया जाल, रिश्तो का व्यापार,
इन सब में घिरा हैं इंसान का जीवनकाल,............
Saturday 25 March 2017
जिद्दी चिराग....
आँधियों देखते हैं तुममे भी कितना दम हैं,
चिराग आज भी तेरी ही जद में रोशन हैं,
है तू जिद्दी तो नन्हा चिराग क्या कम है,
टिकेगा वो ही जिसमे अंत तक जूझने का दमखम हैं..........................
Friday 24 March 2017
ये कैसी वजह ......
हजारो नाम है किरदार के
हजारो शख्सियते भी है,
कोई अपना कहता हैं हमे,
कोई दुश्मन मानता भी हैं,
दोनों ही रिश्ते हैं,
मगर इनकी हदें भी है,
कहने को तो ये दुनिया बहुत बड़ी हैं,
मगर ये घूमती रहती हैं क्यों इसकी वजह भी हैं,
ये वापिस फिर उसी मोड़ पे लाती है इंसान को ,
जहां पे मौत मिलती जिंदगी से गले भी है,..........
Monday 20 March 2017
हवा के साज पे लोगो का अंदाज
हवा की दिशा के साथ बहने वाले लोग
हवाओं की दिशा बदलते ही अपना रास्ता बदल लेते हैं,
उलटी हवा में उन्हें टिकना नही आता,
उसूलों की चटनी बनाके खा जाते हैं,
बेईमानी के शरबत के साथ पी जाते हैं अपना आत्मसम्मान,
रह जाते हैं मार के अपनी आत्मा,
खुद को जिंदा बताते हैं,
पर उन्हें जीना नही आता,
दफ़न कर देते हैं अपनी मन की हर आवाज को मन में,
कि बेबाकी से उनको जख्म को सीना नही आता,
सर को गुरुर से उठा के चलते हैं,
उन्हें ईश्वर के आगे सर झुकाना नही आता,
बेतालों की तरह नाचते हैं दुनिया की हर लय पे,
कि जिंदगी की सरगम को पहचाना नही आता
........
Sunday 12 March 2017
हौसलें की ताकत........................
लोग ऐसे भी हैं दुनिया में जो मर मर के भी जीते हैं ,
अपने सारे दुखो को पानी की तरह पीते हैं ,
पर हौसलों की ताकत हैं कि सब सहकर भी हँसते हैं ,
और अच्छे दिनों कि कामनाये रखते हैं ,
उम्मीद हैं उन्हें आज भी उस दिन कि जो आज तक नही आया ज़िन्दगी में उनकी ,
नही मिल पाया खुशियों का एक पल भी सुकून से फिर भी करते हैं इन्तजार
नही मानते ज़िन्दगी से हार
Friday 10 March 2017
जय सिया राम, भगवा आ ही गया
केसर जितना पवित्र और सुगंधित है
केसरिया रंग भी सद भाव और शान्ति का प्रतीक हैं
अब तो रंग केसरिया ही छा गया
होली आयी तो पूजा को कमल भी खिल के आ गया
रंगों रंग केसरिया
होली भई केसरिया ...............जय सिया राम
Saturday 8 March 2014
टेढ़े मेढ़े रास्ते
चोटें भी लगेगी पर फिर भी हमे चलना हैं ,
इन रास्तो पे चलते और संग संग चलते कुछ और अजनबी हैं ,
कुछ दूर तक हैं अपने कुछ को बीच में मुड़ना हैं ,
अनजान रास्तो पे अनजान मुश्किलो से हमे खुद ही उबरना हैं ,
ये वक़्त न रुका हैं , न जीवन चक्र ही थमा हैं ,
जब तक हैं जान बाकी साँसों को तो चलना हैं .........
Sunday 24 March 2013
हंसी या सजा
एक हंसी भी हजार आसुओं के साथ मिली ,
ये हमारी किस्मत को अच्छी सौगात मिली,
चंद पल मुस्कुराना चाहा, तो आंसुओं की बरसात मिली |
ढूंढने चले जब हम अपने हिस्से की खुशियाँ,
हमे बदले में हमेशा वक़्त की मार मिली |
नही उम्मीद नही आस न कोई किस्मत से गिला ,
सोच लेंगे जो किस्मत में था सिर्फ वही मिला ,
हो सकता हैं किस्मत ही लिखी गयी हो आंसुओं से हमारी
तभी हर हालत हर बात पे आंसू ही मिला |
Sunday 10 February 2013
इंसानी मौत का यह कैसा मजाक
उनकी मौत पर भी जुर्माने की मोहर लगाते ये लोग ,
क्या यह इंसानी जान पैसे में खरीदी जा सकती हैं क्यों इंसान की मौत का भी मजाक बनाते ये लोग ,
जुर्माने की आड़ लेकर अपनी राजनीती खेलनेवाले क्यों दिखावे का शोक दिखाते ये लोग ,
अखबारों के लिए हैं ये महज बस एक खबर हादसों के नाम पर अपनी भुनाते ये लोग |
मन को व्यथित और आक्रोशित कर जाते ये लोग ।
उनसे जानो जिनके घर के चूल्हे ठन्डे पड़ गये जिनके अपने कभी वापिस न आने वाली राह पर चढ़ गये ,
दर्द उनका हम महसूस भी नही कर पायेंगे और मरहम लगाने का उन पर ढोंग रचाते ये लोग ।